प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम करना चाहती हैं 85 साल की महिला अपनी 12 बीघा जमीन, देखें वीडियो

उत्तर प्रदेश ,डेस्क रिपोर्ट। देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) की देशवासी अपने-अपने ढंग से सराहना (appreciate) करते हैं तो कुछ लोग उनकी आलोचना (critisize) करते भी नजर आते हैं। वहीं उत्तर प्रदेश से एक मामला ऐसा सामने आया है जहां एक 85 वर्ष की महिला ने अपनी 12 बीघा जमीन नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) के नाम करने तहसील पहुंची। वहीं तहसील पहुंची 85 साल की महिला की अर्जी सुन कर वहां मौजूद वकील भी हैरान रह गए। महिला अपनी जिद पर अड़ी रही और अपनी जमीन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम करने की बात करती रहीं।

पूरा मामला उत्तर प्रदेश के मैनपुरी (Mainpuri)  का है जहां 85 साल की बिट्टन देवी (Bittan Devi) मैनपुरी की तहसील पहुंची, जहां उन्होंने अपनी इच्छा वकील के सामने रखी। 85 साल की बिट्टन देवी मैनपुरी के किसानी क्षेत्र के चितायन गांव की निवासी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी  (Prime Minister Narendra Modi)  द्वारा चलाई जा रही योजनाओं से मिल रहे लाभ के चलते वह काफी प्रभावित है। बिट्टन देवी को सरकार की तरफ से पेंशन भी मिल रही है, जिससे वह अपना गुजारा कर रही है। सरकार द्वारा चलाई जा रही योजनाओं से बिट्टन देवी इतनी प्रभावित हैं कि उन्होंने अपनी 12 बीघा जमीन देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) के नाम करने का फैसला किया है।


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Gaurav Sharma

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पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है। इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।