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यहां सूखे बोर से निकला कुछ ऐसा कि मच गई लूट

बैतूल, वाजिद खान। जिले के पास सेलगांव में एक सूखे बोर से निकल रहे तरल ने सबको हैरत में डाल दिया है। डीजल जैसे दिखने वाला ये  तरल से न केवल वैसी ही बू आ रही है बल्कि यह आग में डालने पर भड़क कर ज्वलनशील पदार्थ जैसी प्रतिक्रिया भी दे रहा है। पीएचई विभाग ने आज देर शाम इसकी सैम्पलिंग कर जांच शुरू कर दी है। उधर बोर से डीजल निकलने की अफवाह के बाद लोग इसे बटोरने के लिए कुप्पियाँ ,बोतले लेकर पहुंच रहे है।

घटना साईंखेड़ा थाना इलाके के सेलगांव पंचायत के करीब चारबन की है। बताया जा रहा है कि पांच साल पहले पीएचई विभाग ने यहां पेयजल के लिए बोर किया था, लेकिन यह 400 फुट गहराई के बावजूद सूखा निकला था।जिसे वैसे ही छोड़ दिया गया था। पूरे मामले की जानकारी मिलते ही विभागीय कर्मचारियों को मौके पर भेजा गया ,वहीं इस बोर से सैम्पल एकत्रित कर जांच के लिए भेजे जा रहे है। यह तरल दिखने में डीजल,मिट्टी तेल जैसा ही दिख रहा है।

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Gaurav Sharma

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पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है। इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।