कृषि मंत्री कमल पटेल ने दिया संवेदनशीलता का परिचय, घायल तेंदुए को पहुंचा पशु चिकित्सालय

Gaurav Sharma
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भोपाल, डेस्क रिपोर्ट। मध्यप्रदेश के कृषि विकास एवं किसान कल्याण मंत्री कमल पटेल का एक नया चेहरा देखने को मिला है, जिसमें उन्होंने वन्यजीवों के प्रति संवेदनशीलता का परिचय देते हुए एक घायल तेंदुए (Injured leopard) की मदद की। कृषि मंत्री कमल पटेल (Agriculture Minister Kamal Patel) ने सड़क पर घालय पड़े तेंदुए की मदद करते हुए उसे इलाज के लिए डालय 100 की मदद से वन अमले के पास रवाना किया।

सड़क पर घायल मिला तेंदुआ

पूरी घटना सोनकच्छ के पास हर्निया गांव की है, जहां एक तेंदुआ घायल अवस्था में सड़क पर पड़ा हुआ था। जिसे देख कृषि मंत्री कमल पटेल तुरंत ही डायल हंड्रेड (Dial 100) को बुलाया और घायल तेंदुआ को वन विभाग के पास भेजा है। सड़क पर तेंदुआ के अचानक आ जाने पर वह किसी दुर्घटना का शिकार (Accident) हो गया था। जिसके बाद वहां देखते ही देखते स्थानीय लोगों की भीड़ इकट्ठा हो गई। जिन्होंने घटना की सूचना वन विभाग को दे दी थी।

 

कृषि मंत्री ने संवेदनशीलता का दिया परिचय

इसी दौरान कृषि मंत्री कमल पटेल भी वहां पहुंचे, जिन्होंने तेंदुआ को गंभीर हालत में देखा। जहां पर मंत्री ने कहा कि वन विभाग का इंतजार नहीं कर सकते। जिसके बाद कृषि मंत्री कमल पटेल ने संवेदनशीलता दिखाते हुए देवास के वन अधिकारियों को तुरंत ही फोन किया और डायल 100 को बुलाया। जहां मौजूद लोगों की मदद से घायल तेंदुए को इलाज के लिए वन विभाग के हॉस्पिटल के लिए रवाना किया। वहीं मंत्री ने उम्मीद जताते हुए कहा कि उचित समय पर इलाज हो जाने से तेंदुए की जान बचाई जा सकती है।


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पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है।इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।

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