MP: इस सीट पर कांग्रेस को गुटबाजी का तो BJP को भितरघात का खतरा, कैसे मिलेगी जीत

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उज्जैन।

विधानसभा की तरह लोकसभा चुनाव में भी कई सीटों पर कांग्रेस-बीजेपी को गुटबाजी और भितरघात का खतरा बना हुआ है। यहां अपने ही पार्टी के लिए चुनौती बने हुए हुए। इनमें से एक उज्जैन लोकसभा सीट भी है।  2014 में यहां से भाजपा उम्मीदवार चिंतामणि मालवीय चुनाव जीते थे। वहीं कांग्रेस उम्मीदवार प्रेमचंद्र गुड्डू दूसरे जबकि बसपा उम्मीदवार रामप्रसाद जाटव तीसरे स्थान पर रहे थे। लेकिन इस बार पार्टी ने मालवीय का टिकट काट भाजपा के अनिल फिरोजिया पर दांव लगाया है, वही कांग्रेस ने बाबूलाल मालवीय को मैदान में उतारा है।लेकिन दोनों ही पार्टियां गुटबाजी और भितरघात से जूझ रही है, ऐसे में दोनों के लिए जीत हासिल करना ढेड़ी खीर साबित होने वाला है।

हैरानी की बात तो ये है कि इस बार भाजपा-कांग्रेस दोनों ने हारे हुए प्रत्याशियों पर भरोसा जताया है। भाजपा के अनिल फिरोजिया पिछले साल तराना से विधानसभा चुनाव हार चुके हैं। वहीं कांग्रेस के बाबूलाल मालवीय भी तराना से एक बार विधायक रहने के बाद 2003 और 2008 का चुनाव हार गए थे।  विधानसभा चुनाव में उज्जैन-आलोट संसदीय क्षेत्र की आठ विधानसभा सीटों में से कांग्रेस ने पांच पर जीत हासिल की थी, वही बीजेपी केवल तीन पर ही कब्जा कर पाई थी। जिन तीन सीटों (उज्जैन उत्तर, उज्जैन दक्षिण, महिदपुर) पर पार्टी को हार मिली, वहां कांग्रेस के ही नेता बागी बनकर चुनाव लड़े थे और परिणाम पर गहरा असर डाला था।यहां विधानसभा चुनाव से सीख लेते हुए कांग्रेस ने बागी नेताओं को मनाने की कोशिश की है। खुद मुख्यमंत्री कमलनाथ ने नाराज नेताओं से बात कर उन्हें पार्टी के लिए काम करने को कहा है।लेकिन गुटबाजी अब भी सामने आ रही है। 

वही बीजेपी में भी हालात कुछ ठीक नही है, यहां भितरघात का खतरा बना हुआ है। इसका कारण  सांसद चिंतामणि मालवीय का टिकट कटना है।चुंकी मालवीय ने बीता चुनाव तीन लाख से अधिक वोटों से जीता था और इस बार भी दावेदारी थी, वही केंद्रीय मंत्री थावरचंद गेहलोत भी अपने खेमे के किसी नेता को टिकट दिलाना चाहते थे, लेकिन ऐसा ना हो सका। आखिरकार निर्णय पूर्व मुख्यमंत्री शिवराजसिंह पर छोड़ा गया और अनिल फिरोजिया का नाम तय हुआ।जिसके चलते संसदीय क्षेत्र में पार्टी अंदरूनी रूप से बंटी हुई है। थावरचंद गेहलोत और मौजूदा सांसद चिंतामणि मालवीय सहित कई हैं। ऐसे में फिरोजिया के सामने भी बहुत सी चुनौतियां हैं। हालांकि यहां भी भाजपा नेता भितरघात और खेमेबाजी की बात से इनकार कर जीत का दावा कर रहे हैं।


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