थाने पर नहीं हुई सुनवाई तो घायल महिला एम्बुलेंस सहित शिकायत लेकर पहुंची डीआईजी कार्यालय

इंदौर, आकाश धोलपुरे। इंदौर में गुरुवार दोपहर को एक ऐसा मामला सामने आया जिसने कानून व्यवस्था पर सवालिया निशान खड़े कर दिये है। दरअसल, मारपीट के मामले में घायल महिला इतनी आहत हुई कि वो अपने परिजनों के साथ थाने पर सुनवाई नही हुई तो सीधे पुलिस के आला अधिकारियों के पास शिकायत के लिए जा पहुंची। हालांकि, एम्बुलेंस को अंदर आता देख वहां मौजूद पुलिसकर्मियों ने एम्बुलेंस को रोक दिया और महिला से कहा कि वो आवेदन देकर अपनी शिकायत दर्ज करवाये।

बता दें कि घटना इंदौर के सदर बाजार थाना क्षेत्र के भोई मोहल्ला में रहने वाली बुजुर्ग महिला उमा के साथ उसी के परिवार के सोनू नामक युवक ने मारपीट की जिसके बाद वो बदहवास हो गई। ऐसे में महिला की बेटी अलका गौड़ ने बताया कालू और अनिता नामक महिला ने उसकी माँ के साथ घर के घुसकर मारपीट कर डाली इसके बाद जब सदर बाजार थाने पर सुनवाई नही हुई और वहां मौजूद पुलिसकर्मियों ने डांटकर भगा दिया।


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Gaurav Sharma

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पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है। इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।