भोपाल, डेस्क रिपोर्ट। महाराष्ट्र के सोलापुर (solapur of maharashtra) के रहने वाले रणजीत सिंह डिसले (ranjeet singh disale) पहले भारतीय हैं जिन्होंने ग्लोबल टीचर अवार्ड (Global Teacher Award) अपने नाम किया है। रणजीत सिंह डिसले (ranjeet singh disale) को इस साल ग्लोबल टीचर अवार्ड से सम्मानित किया गया है । डिसले को लड़कियों की पढ़ाई को बढ़ावा देने के लिए और किताबों में QR कोड के संबंध में कार्य करने को लेकर इस अवार्ड से सम्मानित किया गया है। रणजीत सिंह डिसले को ग्लोबल टीचर अवार्ड मिलने की घोषणा होते ही देशभर में खुशी की लहर दौड़ पड़ी, क्योंकि वह पहले भारतीय हैं जिन्हें इस सम्मान से सम्मानित किया गया है।
राजनीतिक और अन्य क्षेत्र से लोग उन्हें बधाई देने में जुट गए हैं। इसी कड़ी में मध्य प्रदेश के सीएम शिवराज सिंह चौहान (CM Shivraj Singh Chouhan) ने भी रणजीत सिंह डिसले (ranjeet singh disale) को बधाई देते हुए ट्वीट किया है। सीएम शिवराज ने अपनी ट्वीट में लिखा है कि QR कोडेड पाठ्य पुस्तकों व आधुनिक टेक्नोलॉजी की मदद से बेटियों में शिक्षा को बढ़ावा देने वाले श्री #रणजितसिंह_डिसले जी को #GlobalTeacherPrize सम्मान के लिए आत्मीय बधाई! आप जैसे शिक्षकों पर देश और दुनिया को गर्व है। ऐसे ही समाज के नवनिर्माण में योगदान देते रहिये, शुभकामनाएं!
QR कोडेड पाठ्य पुस्तकों व आधुनिक टेक्नोलॉजी की मदद से बेटियों में शिक्षा को बढ़ावा देने वाले श्री #रणजितसिंह_डिसले जी को #GlobalTeacherPrize सम्मान के लिए आत्मीय बधाई!
आप जैसे शिक्षकों पर देश और दुनिया को गर्व है। ऐसे ही समाज के नवनिर्माण में योगदान देते रहिये, शुभकामनाएं! https://t.co/CpsSTTlyCc
— Shivraj Singh Chouhan (मोदी का परिवार ) (@ChouhanShivraj) December 4, 2020
वही महाराष्ट्र के राज्यपाल ने रणजीत सिंह डिसले को बधाई देते हुए कहा कि मैं रंजीत सिंह को हार्दिक बधाई देता हूं, जिन्हें एक मिलियन डॉलर के ग्लोबल टीचर प्राइस 2020 से नवाजा गया, जो कि लंदन द्वारा दिया जाता है। रणजीत सिंह डिसले ने ग्रामीण अंचल के बच्चों के बीच शिक्षा को लेकर रुचि पैदा करने का काम किया है।
बता दे कि रणजीत सिंह डिसले दुनिया भर के 140 देशों में से चयनित 12000 शिक्षकों में से एक थे जिन्हें विजेता बनाया गया है। रणजीत सिंह डिसले 32 वर्ष के हैं। वही रणजीत सिंह डिसले ने यह घोषणा की है कि वो जीते हुए सात करोड़ की राशि का 50 प्रतिशत 9 फाइनलिस्ट में बांटेंगे , जोकि 9 देशों के हजारों बच्चों को गुणवत्ता शिक्षा प्रदान करने में काम आएगा।