सावधान! पानी की बर्बादी आपको खिला सकती है जेल की हवा, देना पड़ सकता है 1 लाख का जुर्माना

ऩई दिल्ली, डेस्क रिपोर्ट। देश में भूजल संरक्षण (water conservation) के इतिहास में एक ऐतिहासिक फैसला (historical desicion) लिया गया है, जिसके तहत पीने योग्य पानी (drinking water) या भूजल (under ground water) का बर्बादी (wastage) और दुरुपयोग (misuse), एक दंडनीय अपराध होगा। केंद्रीय भूजल प्राधिकरण ने एक अधिसूचना जारी की है जिसके तहत नागरिक निकायों को निर्देश दिया गया है कि वो अनुपालन नियम बनाए और लोगों से उसका जबरदस्ती पालन करवाया जाए। वहीं नियमों के उल्लंघन पर कार्रवाई की जाए।

सीजीडब्ल्यूबी के अधिकारी बताते है कि पर्यावरण (संरक्षण) अधिनियम, 1986 के तहत की जाने वाली कार्रवाई में पांच साल तक की कैद और प्रावधानों का पालन न करने पर 1 लाख रुपये तक का जुर्माना लग सकता है।


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Gaurav Sharma

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पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है। इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।