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Wed, Dec 17, 2025

भरतपुर में ‘सियासी भूकंप’! मोती महल से रियासतकालीन झंडा क्यों हटाया गया? सर्व समाज ने दिया ज्ञापन, जानें …

Written by:Deepak Kumar
Published:
भरतपुर में ‘सियासी भूकंप’! मोती महल से रियासतकालीन झंडा क्यों हटाया गया? सर्व समाज ने दिया ज्ञापन, जानें …

राजस्थान के भरतपुर में मोती महल को लेकर एक विवाद छिड़ गया है। महाराजा विश्वेन्द्र सिंह के पुत्र अनिरुद्ध सिंह ने मोती महल से रियासतकालीन झंडा हटा दिया और उसकी जगह अन्य झंडा लगा दिया। इस कदम के बाद भरतपुर की जनता में आक्रोश फैल गया है। सर्व समाज और जाट समुदाय के लोग अब मोती महल पर झंडा वापस लगाने की मांग को लेकर सड़कों पर उतर आए हैं। महाराजा विश्वेन्द्र सिंह ने खुद फेसबुक पर इसकी जानकारी दी और कहा कि यह झंडा उनके पूर्वजों की कुर्बानी का प्रतीक है। जनता और समाज के लोग चेतावनी दे रहे हैं कि झंडा वापस न लगाया गया तो वे खुद महल पर पहुंचेंगे।


झंडा हटाने पर जनता का आक्रोश 
अनिरुद्ध सिंह द्वारा मोती महल से रियासतकालीन झंडा हटाने की खबर के बाद भरतपुर में लोगों में नाराजगी बढ़ गई है। सर्व समाज और जाट समुदाय के लोग लगातार महापंचायत कर रहे हैं और झंडा पुनः लगाने की मांग कर रहे हैं। समाज के लोग जिला पुलिस अधीक्षक और कलेक्टर को ज्ञापन भी सौंप चुके हैं। उन्होंने अल्टीमेटम दिया है कि अगर 21 सितंबर तक झंडा वापस नहीं लगाया गया, तो जनता खुद महल पर कूच करेगी। इस कदम के पीछे उनका कहना है कि झंडा उनके पूर्वजों की कुर्बानी और जिले की ऐतिहासिक विरासत का प्रतीक है।


 पिता-पुत्र के बीच संपत्ति विवाद 
पूर्व महाराजा विश्वेन्द्र सिंह और उनके पुत्र अनिरुद्ध सिंह के बीच लंबे समय से संपत्ति विवाद चल रहा है। विवाद के चलते विश्वेन्द्र सिंह ने मोती महल छोड़कर फार्महाउस में रहना शुरू कर दिया था। इसके बावजूद अनिरुद्ध सिंह सोशल मीडिया के माध्यम से पिता के खिलाफ लगातार विवादित टिप्पणियां कर रहे हैं। पिता-पुत्र के मतभेद इतने बढ़ गए हैं कि दोनों के बीच ताल्लुक पूरी तरह खत्म हो गए हैं। समाज के लोग मानते हैं कि विश्वेन्द्र सिंह हमेशा सभी जातियों और धर्मों के लोगों को साथ लेकर चले हैं, जबकि अनिरुद्ध सिंह की टिप्पणियां समाज को पसंद नहीं आ रही हैं।


पंचायत और समाज का समर्थन 
विश्वेन्द्र सिंह ने फेसबुक पर जनता को बताया कि उनके पूर्वजों की कुर्बानी के प्रतीक रियासतकालीन झंडे को अनिरुद्ध सिंह ने हटाया। इसके बाद भरतपुर के कई इलाकों में पंचायतें आयोजित की गईं। समाज के लोग और जाट समुदाय के नेता झंडा वापस लगाने की मांग कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि यह केवल झंडे का मामला नहीं, बल्कि जिले की ऐतिहासिक और सांस्कृतिक विरासत का सवाल है। स्थानीय लोग चेतावनी दे रहे हैं कि अगर प्रशासन और अनिरुद्ध सिंह ने कार्रवाई नहीं की, तो वे स्वयं महल पहुंचकर रियासतकालीन झंडा लगाएँगे।


इतिहास और सुरक्षा चिंता 
भरतपुर का इतिहास रियासतकालीन झंडे से जुड़ा है। 1985 में कांग्रेस के समय भी झंडा हटाने को लेकर राजा मान सिंह नाराज हुए थे और उस समय उन्होंने मुख्यमंत्री शिवचरण माथुर के हेलीकॉप्टर को जीप से टक्कर मार दी थी। वर्तमान में अनिरुद्ध सिंह और उनकी मां दिव्या सिंह फिलहाल शहर में नहीं हैं, लेकिन पुलिस प्रशासन हर स्थिति पर नजर रखे हुए है। समाज और जनता का आक्रोश बढ़ता जा रहा है। सरकार और प्रशासन अब स्थिति को संभालने की कोशिश कर रहे हैं, ताकि किसी प्रकार की हिंसा या विवाद न उत्पन्न हो और रियासतकालीन झंडे का सम्मान बना रहे।