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Sun, Dec 7, 2025

राजस्थान सरकार के आदेश से रुका टांका निर्माण, बाड़मेर के ग्रामीणों में नाराजगी

Written by:Neha Sharma
राजस्थान के बाड़मेर जिले में महात्मा गांधी नरेगा योजना के तहत बनाए जा रहे पानी के टांकों पर रोक लगाने के सरकार के आदेश से ग्रामीणों में नाराजगी फैल गई है। दीपावली के दिन जारी इस आदेश ने इन टांकों के निर्माण पर रोक लगा दी, जिससे लोगों में चिंता और असंतोष दोनों बढ़ गए हैं।
राजस्थान सरकार के आदेश से रुका टांका निर्माण, बाड़मेर के ग्रामीणों में नाराजगी

राजस्थान के बाड़मेर जिले में महात्मा गांधी नरेगा योजना के तहत बनाए जा रहे पानी के टांकों पर रोक लगाने के सरकार के आदेश से ग्रामीणों में नाराजगी फैल गई है। रेतीले इलाकों में पानी की हर बूंद अमूल्य मानी जाती है और ये टांके ग्रामीण जीवन का आधार बन चुके हैं। ये न केवल वर्षा जल संग्रह कर पीने, पशुपालन और सिंचाई की जरूरतें पूरी करते हैं, बल्कि स्थानीय लोगों को रोजगार भी उपलब्ध कराते हैं। दीपावली के दिन जारी इस आदेश ने इन टांकों के निर्माण पर रोक लगा दी, जिससे लोगों में चिंता और असंतोष दोनों बढ़ गए हैं।

अब मनरेगा के तहत नहीं होगा टांकों का निर्माण

बाड़मेर के कई गांवों और ढाणियों में पानी की किल्लत हमेशा से बड़ी समस्या रही है। रेत के धोरों के बीच बसे इन इलाकों में टैंकरों का पहुंचना मुश्किल होता है, ऐसे में नरेगा के तहत बने लाखों टांके ग्रामीणों के लिए वरदान साबित हुए। स्थानीय लोगों का कहना है कि अब तक ये टांके वर्षा जल का बड़ा स्रोत बन गए थे, जिनसे सालभर पीने और मवेशियों के लिए पानी मिलता था। बुजुर्ग बताते हैं कि पहले उन्हें 10 से 15 किलोमीटर दूर से सिर पर घड़ा या ऊंटों पर पानी लाना पड़ता था, लेकिन टांकों ने उनकी जिंदगी आसान बना दी।

सरकार के इस फैसले की विपक्ष ने तीखी आलोचना की है। बाड़मेर-जैसलमेर-बालोतरा के सांसद उम्मेदाराम बेनीवाल और बायतु विधायक हरीश चौधरी ने इसे “आमजन की पीठ में खंजर” घोंपने वाला कदम बताया। विपक्ष का कहना है कि यह आदेश रेगिस्तान के निवासियों की जीवनरेखा पर कुठाराघात है। उनका आरोप है कि सरकार ग्रामीणों की तकलीफ समझने के बजाय जनहित के कार्यों को रोक रही है।

पंचायती राज मंत्री ने दी सफाई

इस विवाद पर पंचायती राज मंत्री मदन दिलावर ने सफाई देते हुए कहा कि टांका निर्माण में भ्रष्टाचार की शिकायतें मिली थीं, जिनकी जांच जारी है। मंत्री ने आश्वासन दिया कि जांच पूरी होने के बाद टांका निर्माण कार्य फिर शुरू कर दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि सरकार ग्रामीणों की जरूरतों को नजरअंदाज नहीं करेगी, लेकिन पारदर्शिता भी जरूरी है।

हालांकि, ग्रामीणों का कहना है कि जांच लंबी चलने से उनकी पानी की समस्या और बढ़ेगी। दूर-दराज ढाणियों तक यह खबर पहुंचते ही लोगों ने सरकार से टांका निर्माण बहाल करने की मांग की है। ग्रामीणों का कहना है कि इन टांकों ने न केवल जल संकट कम किया, बल्कि रेगिस्तान में जीवन को नई दिशा दी। उनका मानना है कि सरकार का यह कदम “रेगिस्तान में उम्मीदों पर पानी फेरने” जैसा है।