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Thu, Dec 18, 2025

राजस्थान की राजनीति में बड़ा ‘भूकंप’! अशोक गहलोत से काफी आगे निकले सचिन पायलट, इस सर्वे के आंकड़ों ने चौंकाया।

Written by:Deepak Kumar
Published:
राजस्थान की राजनीति में बड़ा ‘भूकंप’! अशोक गहलोत से काफी आगे निकले सचिन पायलट, इस सर्वे के आंकड़ों ने चौंकाया।

राजस्थान कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अशोक गहलोत और सचिन पायलट के बीच सियासी खींचतान लंबे समय से चर्चा का विषय रही है। हालांकि हाल के महीनों में दोनों नेताओं ने पुरानी बातों को भुलाकर आगे बढ़ने की बात कही है। इसी बीच इंडिया टुडे-सी वोटर सर्वे के नतीजे सामने आए हैं, जिनमें सचिन पायलट गांधी परिवार के बाहर कांग्रेस नेतृत्व के लिए सबसे बेहतर विकल्प के रूप में उभरते दिख रहे हैं। दिलचस्प बात यह है कि पायलट मौजूदा कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे से भी आगे निकल गए हैं।

सर्वे में नेताओं की रेटिंग

सर्वे में पूछा गया कि गांधी परिवार से बाहर कांग्रेस का नेतृत्व कौन संभाल सकता है। नतीजों में सचिन पायलट को 16 फीसदी लोगों का समर्थन मिला। मल्लिकार्जुन खरगे को 12 फीसदी, शशि थरूर को आठ फीसदी, पी. चिदंबरम को सात फीसदी और अशोक गहलोत को केवल छह फीसदी लोगों ने इस पद के लिए उपयुक्त माना। यह आंकड़ा बताता है कि पायलट को पार्टी में युवा चेहरा और संभावित भविष्य का नेता माना जा रहा है, जबकि गहलोत की लोकप्रियता में गिरावट दर्ज की गई है।

गहलोत ने अध्यक्ष पद की रेस से रखा था खुद को बाहर

अक्टूबर 2022 में कांग्रेस अध्यक्ष पद के चुनाव में मल्लिकार्जुन खरगे विजयी हुए थे। उस समय शशि थरूर ने भी चुनाव लड़ा था, जबकि अशोक गहलोत का नाम भी दावेदारों में चर्चा में था। लेकिन गहलोत ने खुद को इस दौड़ से बाहर रखा था, क्योंकि वे उस समय राजस्थान के मुख्यमंत्री के रूप में अपनी जिम्मेदारियां निभा रहे थे। अब सर्वे के नतीजे कांग्रेस की आंतरिक राजनीति में नए समीकरण बना सकते हैं।

पायलट की बढ़ती सियासी भूमिका

सचिन पायलट इस समय राजस्थान की टोंक विधानसभा सीट से विधायक हैं और छत्तीसगढ़ कांग्रेस के प्रभारी की जिम्मेदारी संभाल रहे हैं। केंद्र सरकार में वे दूरसंचार मंत्री रह चुके हैं। उनके पिता, दिवंगत राजेश पायलट, कांग्रेस के कद्दावर नेताओं में से एक थे और दो दशक तक सांसद रहने के साथ केंद्रीय मंत्री भी रहे। अब सर्वे में मिली बढ़त से पायलट की सियासी हैसियत और मजबूत होती नजर आ रही है, जो आने वाले चुनावों में पार्टी के फैसलों को प्रभावित कर सकती है।