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Fri, Dec 19, 2025

कुमार विश्वास की पत्नी मंजू शर्मा ने दिया इस्तीफा, राजस्थान पब्लिक सर्विस कमीशन की थीं सदस्य

Written by:Deepak Kumar
Published:
कुमार विश्वास की पत्नी मंजू शर्मा ने दिया इस्तीफा, राजस्थान पब्लिक सर्विस कमीशन की थीं सदस्य

जाने-माने कवि कुमार विश्वास की पत्नी और राजस्थान पब्लिक सर्विस कमीशन (RPSC) की सदस्य डॉ. मंजू शर्मा ने सदस्य पद से इस्तीफा दे दिया है। यह कदम राजस्थान हाई कोर्ट की तल्ख टिप्पणियों के बाद आया। डॉ. शर्मा ने अपना इस्तीफा राज्यपाल को भेजा और बताया कि वह स्वेच्छा से यह निर्णय ले रही हैं। उनका कार्यकाल 14 अक्टूबर 2026 तक था और उन्होंने 15 अक्टूबर 2020 को पद ग्रहण किया था। हाईकोर्ट ने सब इंस्पेक्टर भर्ती प्रक्रिया रद्द करते हुए कमीशन के तत्कालीन अध्यक्ष और सदस्यों की भूमिका पर सवाल उठाए थे। मंजू शर्मा ने स्पष्ट किया कि उनके खिलाफ किसी भी जांच या अभियोजन का मामला लंबित नहीं है।


 सब इंस्पेक्टर भर्ती और हाईकोर्ट की टिप्पणियां


डॉ. मंजू शर्मा के कार्यकाल में ही राजस्थान पब्लिक सर्विस कमीशन ने सब इंस्पेक्टर भर्ती प्रक्रिया पूरी की थी। हाईकोर्ट ने इस भर्ती रद्द करते हुए कमीशन की कार्य प्रणाली और निर्णय लेने के तरीकों पर सवाल उठाए। अदालत ने स्वत: संज्ञान लेते हुए जनहित याचिका के तौर पर मामले की सुनवाई का आदेश दिया। हाईकोर्ट की टिप्पणी से आयोग और उसके सदस्यों की भूमिका पर सार्वजनिक बहस शुरू हो गई। डॉ. शर्मा ने कहा कि उन्होंने हमेशा पारदर्शिता और निष्पक्षता के साथ कार्य किया। हालांकि हाईकोर्ट की टिप्पणी के बाद आयोग की गरिमा और व्यक्तिगत प्रतिष्ठा पर असर पड़ा।


कमीशन के अन्य सदस्यों की गिरफ्तारी 


इस भर्ती विवाद में कमीशन के दो सदस्य पहले ही पेपर लीक के आरोप में गिरफ्तार होकर जेल जा चुके हैं। हाईकोर्ट की तल्ख टिप्पणी के बाद तत्कालीन अध्यक्ष और अन्य सदस्यों के खिलाफ जांच शुरू होने की उम्मीद जताई जा रही है। डॉ. मंजू शर्मा ने स्पष्ट किया कि उनके खिलाफ किसी भी पुलिस या जांच एजेंसी में कोई मामला लंबित नहीं है और न ही उन्हें किसी प्रकरण में अभियुक्त माना गया है। उनका इस्तीफा इस उम्मीद और सतर्कता के बीच आया कि आयोग की गरिमा और निष्पक्षता पर किसी प्रकार का सवाल न उठे।


 इस्तीफा और कारण 


राज्यपाल को लिखे इस्तीफे में डॉ. मंजू शर्मा ने कहा कि उन्होंने अपने कार्यकाल में हमेशा पारदर्शिता, ईमानदारी और निष्पक्षता के साथ काम किया। हाल के विवाद और हाईकोर्ट की टिप्पणियों के कारण उनकी व्यक्तिगत प्रतिष्ठा और आयोग की गरिमा प्रभावित हुई। उन्होंने कहा कि सार्वजनिक जीवन में शुचिता का पक्ष लेने के कारण उन्होंने स्वेच्छा से सदस्य पद से इस्तीफा दिया। उनका कहना था कि यह कदम आयोग की गरिमा और निष्पक्षता बनाए रखने के लिए आवश्यक था, ताकि किसी प्रकार का संदेह या विवाद उनकी ईमानदारी और कार्य प्रणाली पर न पड़े।


सार्वजनिक जीवन में शुचिता पर जोर

डॉ. मंजू शर्मा ने अपने इस्तीफे में यह भी बताया कि सार्वजनिक जीवन में शुचिता और निष्पक्षता उनके लिए सर्वोपरि हैं। उन्होंने स्पष्ट किया कि उनका निर्णय निजी प्रतिष्ठा की रक्षा के साथ-साथ आयोग की गरिमा बनाए रखने के लिए लिया गया। उनका यह कदम यह संदेश देता है कि सार्वजनिक पद पर रहते हुए पारदर्शिता और ईमानदारी सर्वोच्च मूल्य होने चाहिए। डॉ. शर्मा ने यह भी कहा कि वह सदैव आयोग और राज्य की सेवा के लिए प्रतिबद्ध रहेंगी, लेकिन वर्तमान परिस्थितियों में इस्तीफा देना ही उचित था ताकि विवाद और गलतफहमी से आयोग को कोई नुकसान न पहुंचे।