निर्वाचन आयोग जल्द ही राजस्थान समेत देश के अन्य राज्यों में वोटर लिस्ट के गहन पुनरीक्षण अभियान की शुरुआत कर सकता है। इस अभियान का उद्देश्य मतदाता सूचियों को और अधिक सटीक व साफ़ बनाना है। इसकी तारीखों की घोषणा बाद में की जाएगी, लेकिन प्रशासनिक स्तर पर तैयारी शुरू हो चुकी है।
केवल वोटर ID और आधार नहीं होगा मान्य
इस अभियान में सबसे बड़ा बदलाव यह है कि वोटर आईडी और आधार कार्ड को पहचान का प्रमाण नहीं माना जाएगा। यानी, अगर आपके पास सिर्फ ये दो दस्तावेज हैं, तो यह मतदाता सूची में नाम बनाए रखने के लिए पर्याप्त नहीं होंगे। आयोग ने इस बार तीन श्रेणियों में दस्तावेजों की मांग का निर्देश दिया है।
संभाल लें ये 3 जरूरी दस्तावेज
1 जुलाई 1987 से पहले जन्म: केवल स्वयं की पहचान का दस्तावेज मांगा जाएगा।
1 जुलाई 1987 से 2 दिसंबर 2004 के बीच जन्म: स्वयं के साथ-साथ माता या पिता का दस्तावेज जरूरी होगा।
2004 के बाद जन्म: स्वयं के साथ माता-पिता दोनों के जन्म और जन्मस्थान के दस्तावेज अनिवार्य होंगे।
कौन-कौन से दस्तावेज मान्य होंगे?
अगर आपका जन्म 1 जुलाई 1987 से पहले हुआ है, तो सिर्फ अपना पहचान पत्र दिखाना होगा। 1987 से 2004 के बीच जन्म वालों को अपने साथ माता या पिता का दस्तावेज भी देना होगा। 2004 के बाद जन्म वालों को माता-पिता दोनों के जन्म और जन्मस्थान के प्रमाण देने होंगे। मान्य दस्तावेजों में जन्म प्रमाण पत्र, पासपोर्ट, पेंशन आदेश, सरकारी पासबुक, राशन कार्ड, जाति प्रमाण पत्र, मूल निवास प्रमाण पत्र और एनपीआर शामिल हैं।





