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Sun, Dec 7, 2025

जयपुर के सुपुत्र और विज्ञापन जगत के ‘एड गुरु’ पीयूष पांडे का निधन, राज्यपाल और मुख्यमंत्री ने जताया शोक

Written by:Neha Sharma
राजस्थान के प्रसिद्ध विज्ञापन विशेषज्ञ और पद्मश्री सम्मानित पीयूष पांडे का शुक्रवार सुबह मुंबई में निधन हो गया। राजस्थान के राज्यपाल हरिभाऊ बागडे और मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने निधन पर शोक जताया।
जयपुर के सुपुत्र और विज्ञापन जगत के ‘एड गुरु’ पीयूष पांडे का निधन, राज्यपाल और मुख्यमंत्री ने जताया शोक

राजस्थान के प्रसिद्ध विज्ञापन विशेषज्ञ और पद्मश्री सम्मानित पीयूष पांडे का शुक्रवार सुबह मुंबई में निधन हो गया। 70 वर्षीय पांडे पिछले कुछ समय से श्वसन संबंधी समस्याओं से जूझ रहे थे और एक निजी अस्पताल में उनका इलाज चल रहा था। उनके निधन से विज्ञापन जगत में शोक की लहर दौड़ गई है।

पद्मश्री सम्मानित पीयूष पांडे का निधन

राज्यपाल हरिभाऊ बागडे ने भारतीय विज्ञापन जगत की इस दिग्गज हस्ती के निधन पर गहरा दुख व्यक्त किया। राजभवन की ओर से जारी शोक संदेश में उन्होंने कहा कि पीयूष पांडे भारतीय रचनात्मकता और संचार जगत के प्रतीक थे। राज्यपाल ने ईश्वर से दिवंगत आत्मा की शांति और शोक संतप्त परिवार को यह दुख सहने की शक्ति प्रदान करने की प्रार्थना की।

मुख्यमंत्री ने जताया शोक

मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने ‘एक्स’ पर पोस्ट करते हुए लिखा, ‘भारतीय विज्ञापन जगत के पुरोधा एवं सृजनात्मक प्रतिभा के धनी, जयपुर में जन्मे पद्मश्री पीयूष पांडे जी के निधन का समाचार अत्यंत दुखद है. उनकी (पांडे की) सृजनात्मकता व संवेदनशील दृष्टि ने भारतीय विज्ञापन को नई पहचान दी. ईश्वर दिवंगत आत्मा को शांति व परिजनों को शक्ति प्रदान करें.’

अशोक गहलोत ने क्या कहा?

पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने भी पांडे के निधन पर शोक व्यक्त किया। उन्होंने कहा, “वे राजस्थान से रणजी क्रिकेट भी खेले थे. क्रिकेट के बाद उन्होंने अपनी रचनात्मक प्रतिभा से देश-दुनिया में नाम कमाया. मैं ईश्वर से दिवंगत आत्मा को शांति एवं परिजनों को हिम्मत देने की कामना करता हूं.”

पीयूष पांडे भारतीय विज्ञापन उद्योग के सबसे प्रभावशाली व्यक्तित्वों में से एक थे। उन्होंने कई प्रतिष्ठित अभियानों का निर्माण किया, जिनमें भारतीय संस्कृति और भावनाओं की गहरी झलक देखने को मिलती थी। उनके योगदान ने विज्ञापन जगत में भारतीय पहचान को सशक्त रूप से स्थापित किया। उनके निधन से न केवल विज्ञापन उद्योग, बल्कि पूरे रचनात्मक समाज ने एक मार्गदर्शक खो दिया है।