भारत के पूर्व उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के इस्तीफे के एक दिन बाद उनके रिश्तेदार और वरिष्ठ वकील प्रवीण बलवदा ने बयान दिया है कि धनखड़ ने यह कदम स्वास्थ्य कारणों से उठाया है। बलवदा, धनखड़ की पत्नी के भाई हैं। उन्होंने कहा कि धनखड़ कभी दबाव में नहीं आए और उन्होंने परिवार की सलाह मानते हुए यह निर्णय लिया।
राजनीतिक दबाव से किया इनकार
बलवदा ने कहा कि जगदीप धनखड़ ने कभी किसी प्रकार के राजनीतिक दबाव को स्वीकार नहीं किया। वे कॉलेज के दिनों से ही आत्मनिर्भर और निर्णय लेने वाले व्यक्ति रहे हैं। बलवदा ने यह भी बताया कि मार्च में धनखड़ के स्टेंट डले थे और तभी से उन्हें निम्न रक्तदाब और चक्कर आने जैसी समस्याएं हो रही थीं।
धनखड़ का सियासी सफर
जगदीप धनखड़ का राजनीतिक सफर काफी विविधतापूर्ण रहा है। 1989 में वह जनता दल के सांसद बने और बाद में संसदीय कार्य राज्य मंत्री भी रहे। 1993 से 1998 तक कांग्रेस विधायक रहे और 2003 में बीजेपी में शामिल हुए। 2019 में पश्चिम बंगाल के राज्यपाल और 2022 में भारत के उपराष्ट्रपति बने। 21 जुलाई 2025 को उन्होंने अपने पद से इस्तीफा दे दिया।
काम और स्वास्थ्य में संतुलन नहीं
बलवदा ने कहा कि धनखड़ अत्यंत कार्यशील व्यक्ति हैं और उन्हें लगता था कि वे अपने स्वास्थ्य और जिम्मेदारियों के साथ न्याय नहीं कर पा रहे हैं। इस कारण उन्होंने स्वेच्छा से पद छोड़ना बेहतर समझा।
निजी फैसले का सम्मान
बलवदा ने अंत में कहा कि यह पूरी तरह से निजी फैसला है, जो एक समझदार और जिम्मेदार नेता ने खुद के और देश के हित में लिया है। उन्होंने उम्मीद जताई कि अब धनखड़ स्वास्थ्य पर ध्यान देंगे और जल्द स्वस्थ होंगे।





