Chanakya Niti : चाणक्य का जन्म करीब 376 ईसा पूर्व में हुआ था और वे मौर्य वंश के समय के महामंत्री और चन्द्रगुप्त मौर्य के गुरु थे। उन्होंने चन्द्रगुप्त को राजा बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। चाणक्य के शास्त्रों और उपदेशों का महत्व आज भी मान्यता में है और उनके नीति शास्त्र का विशेष महत्व है जो राजनीति, शासन और व्यवसायिक नीति के सिद्धांतों को समर्थन देता है। चाणक्य के उपदेश और विचार आज भी नेताओं, प्रशासकों और व्यवसायी लोगों के लिए महत्वपूर्ण हैं और उनके समय के समय की जरूरतों के साथ मेल करते हैं। चाणक्य नीति के अनुसार, इन 5 लोगों के काम में कभी दखल नहीं देना चाहिए।
पति-पत्नी के बीच ना पड़े
चाणक्य का कहना है कि पति और पत्नी के बीच कभी नहीं पड़ना चाहिए। जब वे साथ मिलकर कोई काम कर रहे होते हैं, तो उन्हें एक-दूसरे की यात्रा को बिना टोड़े जारी रखना चाहिए। इससे वे अपने रिश्ते को मजबूती से बनाए रख सकते हैं और उनका एकांत भंग नहीं होता। दोनों रथ का दो पहिया होते हैं। इसलिए इनके किसी भी काम में दखल नहीं देना चाहिए।
दो लोगों के बीच ना पड़े
चाणक्य बताते हैं कि जब दो ज्ञानी व्यक्तियां आपस में बातचीत कर रहे हों तो उनके बीच में कोई तीसरे को नहीं बोलना चाहिए। ऐसा करने से उनके काम में बाधा आ सकती है और यह मूर्खता कहलाती है। चाणक्य के इस संदेश का मतलब है कि जब दो ज्ञानी व्यक्तियाँ आपस में ज्ञान और विचार साझा कर रही होती हैं, तो उनके बीच में किसी तृतीय व्यक्ति की आवश्यकता नहीं होती है। इससे वे अपने विचारों को सही तरीके से व्यक्त कर सकते हैं और उनका संवाद सुगम होता है। इसके बिना एक अतिरिक्त व्यक्ति की उपस्थिति से केंद्रित ध्यान भंग हो सकता है।
हल-बैल के बीच ना दें दखल
जब हल और बैल एक नजर आ रहे हो, तो उनसे दूर जाने का प्रयास करें। हल और बैल जूट किसानों के लिए महत्वपूर्ण जानवर होते हैं जो खेतों में काम करने में मदद करते हैं। चाणक्य के उपदेश का मतलब यह है कि हमें अपने विचारों और क्रियाओं को समझने के लिए सबकुछ समझने की कोशिश करनी चाहिए और इससे हम अपनी सुरक्षा और भलाई को बनाए रख सकते हैं। इस तरह की बुद्धिमत्ता और सतर्कता हमारे जीवन में महत्वपूर्ण है।
पुजारी को ना टोंके
चाणक्य नीति के अनुसार, पुरोहितों या पुजारियों को किसी भी धार्मिक आयोजन के समय बातचीत नहीं करना चाहिए। धार्मिक आयोजनों और पूजा-पाठ के समय पुरोहित या पुजारी को बीच में टोकने से विघ्न उत्पन्न हो सकता है और धार्मिक अद्भुतियों के पालन को अविघ्न रूप से करने में बाधा हो सकती है। यह आदर्शों के प्रति सजगता और समर्पण का प्रतीक है।
(Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है। MP Breaking News किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है। किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें।)