आचार्य चाणक्य को हम सभी बचपन से ही जानते हैं, क्योंकि इनके बारे में बड़े बुजुर्ग और शिक्षकों द्वारा अक्सर ही बताया जाता था। उनकी नीतियों को अपनाने वाला हर एक व्यक्ति अच्छा इंसान बनकर समाज में उभरता है। अपने जीवन काल के दौरान उन्होंने कई महत्वपूर्ण कार्य किए हैं। जैसे नंद वंश को हराकर उन्होंने अखंड भारत की स्थापना करवाई थी। वह सम्राट चंद्रगुप्त मौर्य के प्रमुख सलाहकार थे।
गुरुकुल से अपनी शिक्षा प्राप्त करने वाले आचार्य चाणक्य को कौटिल्य या फिर विष्णु गुप्त के नाम से भी जाना जाता है। अपने अनुभव के आधार पर उन्होंने चाणक्य नीति (Chanakya Niti), नीति शास्त्र, अर्थशास्त्र, आदि की रचना की। जिसमें उन्होंने जीवन के हर एक पहलुओं पर विस्तार पूर्वक बताया है।

आयु
चाणक्य नीति के अनुसार, जन्म से पहले ही किसी भी व्यक्ति की आयु तय हो जाती है। जिससे चाह कर भी कोई बदल नहीं सकता। यदि किसी को केवल 10 साल जीना है, तो वह उतने ही साल की कर दुनिया को अलविदा कह देगा। वहीं, यदि किसी को 100 साल से अधिक जीना है, तो वह इतने साल तक जीवित किसी भी हालात में रहेगा।
कर्म
चाणक्य नीति के अनुसार, इंसान के कर्म कैसे होंगे, यह जन्म से पहले ही तय हो जाता है। कर्म वही होता है, जो जीवन में सुख और दुख का फैसला करते हैं। इस जन्म में व्यक्ति कैसा काम करेगा इस बात का फैसला पिछले जन्म में ही तय हो चुका होता है। कर्मों के परिणाम अनुसार ही जीवन में सब कुछ प्राप्त होता है। इंसान को स्वर्ग और नरक भी इसी जन्म में भोगना पड़ता है। जो जीवन को सुख और शांति से गुजारता है, उसके जीवन यह स्वर्ग से कम नहीं होता। वहीं, जो जीवन को कष्टों से गुजारता है, उसके लिए यह नरक के सामान होता है।
रिश्ते
चाणक्य नीति के अनुसार, जब बच्चा मां के गर्भ में होता है, तभी यह बातें तय हो जाती है कि वह व्यक्ति आगे चलकर कितना पढ़ाई करेगा और जीवन में कितना पैसा कमाएगा। साथ ही उसके रिश्ते सगे संबंधियों से कैसे होंगे, यह सब पहले से ही तय हो जाता है।
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