Chanakya Niti : आचार्य चाणक्य को कौटिल्य और विष्णुगुप्त के नाम से भी जाना जाता है, जोकि प्राचीन भारत के एक महान विद्वान, अर्थशास्त्री, राजनीतिज्ञ और शिक्षक थे। चाणक्य ने चंद्रगुप्त मौर्य को नंद वंश के अत्याचारी राजा धनानंद को हराने में मदद की और चंद्रगुप्त को मौर्य साम्राज्य का सम्राट बनाया। उनकी योजना और रणनीतियों के बिना यह संभव नहीं हो सकता था। उन्होंने चंद्रगुप्त मौर्य को शिक्षा और शासन की कला में प्रशिक्षित किया। उन्होंने चंद्रगुप्त के राज्यकाल में उनके प्रमुख सलाहकार की भूमिका निभाई। चाणक्य का व्यक्तित्व अत्यंत कठोर, दृढ़निश्चयी और बुद्धिमान था। वह अपने सिद्धांतों और नीतियों पर हमेशा अडिग रहे और अपनी बुद्धिमानी से राज्य की सुरक्षा की। चाणक्य ने “अर्थशास्त्र” नामक एक महत्वपूर्ण ग्रंथ की रचना की, जो राज्य व्यवस्था, आर्थिक नीतियों, युद्धनीति और प्रशासनिक कौशल पर आधारित है। उनकी नीतियां आज भी लोगों द्वारा अपनाई जाती है। तो चलिए आज के आर्टिकल में हम आपको इसके बारे में विस्तार से बताएंगे। आइए जानते हैं यहां…
चाणक्य नीति के अनुसार, विश्वास किसी पर इतना करो कि वह आपसे छल करते वक्त अपने आप को दोषी समझे और प्रेम किसी से इतना करो कि वह आपको खोने से डरे।
विश्वास
- किसी पर इतना विश्वास करो कि वह आपसे छल करते वक्त अपने आप को दोषी समझे।
इसका मतलब है कि किसी पर विश्वास करने के लिए आपको इतना संपूर्ण और पारदर्शी होना चाहिए कि यदि वह व्यक्ति कभी भी आपके साथ विश्वासघात करता है, तो वह खुद को दोषी और लज्जित महसूस करे।
प्रेम
- प्रेम किसी से इतना करो कि वह आपको खोने से डरे।
इसका अर्थ यह है कि किसी के साथ आपका प्रेम इतना गहरा और सच्चा होना चाहिए कि वह व्यक्ति हमेशा आपके प्रति वफादार रहे और आपको खोने का भय उसे हमेशा बना रहे। इस प्रकार का प्रेम बनने के लिए आपके प्यार में सच्चाई, त्याग और सम्मान होना चाहिए।
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