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Sun, Dec 21, 2025

Gita Updesh: गीता उपदेश के अनुसार ऐसे स्थान पर खुद को रखें शांत, जीवन हो जाएगा सफल

Written by:Sanjucta Pandit
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गीता उपदेश के अनुसार, परेशानी आए तो ईमानदार रहें, धन आ जाए तो सरल रहें, अधिकार मिलने पर विनम्र रहें और क्रोध आने पर शांत रहें, यही जीवन का प्रबंधन कहलाता है।
Gita Updesh: गीता उपदेश के अनुसार ऐसे स्थान पर खुद को रखें शांत, जीवन हो जाएगा सफल

Gita Updesh : हम सभी बचपन से ही श्रीमद्भगवद्गीता पढ़ते आ रहे हैं। बता दें कि स्कूल के पाठ्यक्रम में इसे शामिल भी किया गया है, ताकि बच्चों को गीता का उपदेश के बारे में थोड़ी बहुत जानकारी मिल सके। इसमें कुल 18 अध्याय और 700 श्लोक है, जिसे संस्कृत भाषा में लिखा गया था। अब इसका अनुवाद कई भाषाओं में किया जा चुका है। जब अर्जुन कुरुक्षेत्र की रणभूमि में अपने परिवारजनों, गुरुओं और मित्रों को युद्ध के लिए तैयार देखकर विचलित हो गए थे और युद्ध करने से इंकार कर दिया, तब भगवान श्रीकृष्ण ने उन्हें जीवन के विभिन्न पहलुओं, कर्तव्यों और धर्म के बारे में ज्ञान दिया। भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को बताया कि आत्मा न तो जन्म लेती है, न ही मरती है। आत्मा अजर, अमर और अविनाशी है। मृत्यु केवल शरीर का परिवर्तन है, जैसे पुराने वस्त्रों को त्यागकर नए वस्त्र धारण किए जाते हैं। उन्होंने यह भी कहा कि अपने कर्तव्यों का पालन करना ही सच्चा धर्म है। इसमें मोक्ष प्राप्ती के मार्ग बताएं गए हैं। तो चलिए आज के आर्टिकल में हम आपको गीता उपदेश के बारे में विस्तार से बताएंगे। आइए जानते हैं विस्तार से…

गीता उपदेश के अनुसार, परेशानी आए तो ईमानदार रहें, धन आ जाए तो सरल रहें, अधिकार मिलने पर विनम्र रहें और क्रोध आने पर शांत रहें, यही जीवन का प्रबंधन कहलाता है।

परेशानी आए तो ईमानदार रहें

गीता उपदेश के अनुसार, सत्य और धर्म का पालन करना चाहिए, चाहे परिस्थिति कैसी भी हो। धैर्य और ईमानदारी के साथ अपने कर्तव्यों का पालन करने पर जोर दिया गया है। गीता में श्रीकृष्ण कहते हैं कि सत्य और धर्म के मार्ग पर चलने वाला व्यक्ति अंत में सफलता प्राप्त करता है।

धन आ जाए तो सरल रहें

भगवान श्री कृष्ण कहते हैं कि संतोष और सादगी से जीवन जीना ही सच्ची समृद्धि है। धन का सही उपयोग और सरल जीवन शैली अपनाने पर जोर दिया गया है।

अधिकार मिलने पर विनम्र रहें

गीता उपदेश के अनुसार, विनम्रता और अहंकार से दूर रहने का महत्व बताया गया है। भगवान श्री कृष्ण अर्जुन को सिखाते हैं कि सच्चा नेता वही है जो विनम्रता और सेवा भाव से अपने कर्तव्यों का पालन करता है। उन्होंने यह भी बताया है कि अधिकार और शक्ति मिलने पर कभी भी इंसान को अहंकार नहीं करना चाहिए।

क्रोध आने पर शांत रहें

गीता में क्रोध को एक प्रमुख शत्रु माना गया है, जो विवेक और निर्णय लेने की क्षमता को नष्ट कर देता है। श्रीकृष्ण कहते हैं कि क्रोध से विनाश होता है और मनुष्य को अपने क्रोध पर नियंत्रण रखना चाहिए।

(Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है। MP Breaking News किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है। किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें।)