Thu, Dec 25, 2025

Gita Updesh: भगवान श्री कृष्ण के अनुसार इस वक्त इंसान की बदल जाती है जरूरत, पढ़ें गीता उपदेश

Written by:Sanjucta Pandit
Published:
उन्होंने अर्जुन को सिखाया कि आत्मा अमर है और मृत्यु केवल शरीर का परिवर्तन है। माधव ने अर्जुन को बताया कि परिणामों की चिंता किए बिना अपने कर्तव्यों का पालन करना धर्म है। इसके अलावा, उन्होंने अर्जुन को श्रीकृष्ण ने अपने विराट रूप का दर्शन कराया।
Gita Updesh: भगवान श्री कृष्ण के अनुसार इस वक्त इंसान की बदल जाती है जरूरत, पढ़ें गीता उपदेश

Gita Updesh : श्रीमद्भगवद्गीता सनातन धर्म का एक महत्वपूर्ण ग्रंथ है, जो भगवान श्रीकृष्ण और अर्जुन के बीच के संवाद का विस्तृत वर्णन है। इसमें कुल 18 अध्याय और 700 श्लोक हैं, जिनमें धर्म योग, कर्म योग और ज्ञान योग के बारे में बताया गया है। गीता उपदेश भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को कुरुक्षेत्र के रणभूमि में दिए थे। जब महाभारत के युद्ध की शुरुआत से पहले अर्जुन अपने परिवारजनों, गुरुओं और मित्रों को सामने देखकर युद्ध करने से हिचकिचा रहे थे और उन्होंने युद्ध न करने का निर्णय लिया था। तब भगवान श्रीकृष्ण ने उन्हें जीवन के विभिन्न पहलुओं, कर्तव्यों और धर्म के बारे में उन्हें ज्ञान दिया। उन्होंने अर्जुन को सिखाया कि आत्मा अमर है और मृत्यु केवल शरीर का परिवर्तन है। माधव ने अर्जुन को बताया कि परिणामों की चिंता किए बिना अपने कर्तव्यों का पालन करना धर्म है। इसके अलावा, उन्होंने अर्जुन को श्रीकृष्ण ने अपने विराट रूप का दर्शन कराया। जिसके बाद युद्ध प्रारंभ हुआ और अंत में पांड़वों को कौरवों पर जीत हासिल हुई। बता दें कि गीता उपदेश में बताई गई बातों को अपनाने वाला हर एक व्यक्ति अच्छा और नेक इंसान बनता है। आइए जानते हैं विस्तार से…

पढ़ें गीता उपदेश

  • गीता उपदेश के अनुसार, भगवान श्री कृष्ण ने बताया था कि जब इंसान की जरूरत बदल जाती है, तब उसके बात करने का तरीका भी बदल जाता है। इसका अर्थ है कि भगवान श्री कृष्ण ने बताया है इंसान जरूरत के हिसाब से एक-दूसरे से जुड़ा हुआ है।
  • भगवान श्री कृष्णा ने गीता उपदेश के दौरान यह कहा था कि टूट जाने के बाद कसूर चाहे जिसका भी हो बात वही शुरू करता है, जो आपसे प्रेम करता होगा। नाराज होकर आपसे दूर होने वाले लोग आपके अपने नहीं हो सकते।
  • गीता उपदेश के दौरान भगवान श्री कृष्ण ने यह बताया था कि कलयुग में लोग अच्छे की तलाश में जुटे रहते हैं और ऐसी स्थिति में वह सच्चे इंसान को खो देते हैं। जिसका पछतावा उन्हें बाद में आगे चलकर होता है। तब ना समय उनके वश में होता है और ना ही स्थिति उनके हित में होती है।

(Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है। MP Breaking News किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है। किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें।)