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Sun, Dec 21, 2025

भगवान शिव ने रावण के कटे सिरों को किया ठीक इसलिए कहलाया वैद्यनाथ, इस धाम में रोग-दोष से मिलती है मुक्ति

Written by:Sanjucta Pandit
Published:
यूँ तो सालों भर यहां श्रद्धालुओं का आना-जाना लगा रहता है, लेकिन सावन के महीने और शिवरात्रि के मौके पर यहां बहुत ही ज्यादा भीड़ उमड़ती है। इस धाम में आने वाला हर एक भक्त अपनी श्रद्धा अनुसार मनोकामनाएं मांगता है, जो पूरी होने पर वापस जाकर भगवान के दर्शन कर अपनी इच्छा अनुसार भेंट भी चढ़ाता है।
भगवान शिव ने रावण के कटे सिरों को किया ठीक इसलिए कहलाया वैद्यनाथ, इस धाम में रोग-दोष से मिलती है मुक्ति

सावन का महीना बहुत ही ज्यादा महत्वपूर्ण माना जाता है। इस दौरान भक्त भगवान शिव की विधि-विधान पूर्वक पूजा-अर्चना करते हैं। शिवालयों को फूल और चमचमाती लाइटों से सजाकर तैयार कर दिया जाता है। सुबह से ही मंदिर के कपाट भक्तों के लिए खोल दिए जाते हैं, आरती के साथ भगवान का जलाभिषेक किया जाता है। शिव मंत्रों के साथ श्रद्धालुओं की बहुत ही भारी मात्रा में भीड़ उमड़ती है। वहीं, कांवरिए कंधे पर गंगाजल लेकर अपने नजदीकी शिव मंदिरों में पहुंचते हैं और भोलेनाथ पर जल अर्पित कर जग कल्याण की कामना करते हैं।

इस महीने में भारत के प्रसिद्ध शिव मंदिरों में बहुत ही ज्यादा भीड़ उमड़ती है। कई बार श्रद्धालुओं की भीड़ को काबू में रखने के लिए सुरक्षा दृष्टि से हाथ से पुलिस बल भी तैनात किए जाते हैं, ताकि मंदिर परिसर में किसी प्रकार की कोई अप्रिय घटना ना हो।

वैद्यनाथ धाम

यदि आप भी सावन के महीने में बाबा भोलेनाथ के प्रसिद्ध मंदिरों को एक्सप्लोर करना चाहते हैं, तो आप इस बार झारखंड के देवघर में स्थित वैद्यनाथ धाम जा सकते हैं। यहां की अलौकिक कहानी और मान्यता अपने आप में बहुत अलग है। सावन के महीने में यहां पर मेला लगता है, जहां लाखों की संख्या में भक्त पहुंचते हैं। सुल्तानगंज से पवित्र गंगा का जल लेकर श्रद्धालु करीब 100 किलोमीटर तक की कांवड़ उठाकर इस स्थान में पहुंचते हैं और बाबा को जल चढ़ाते हैं। इस दौरान पूरे सफर में भोलेनाथ के जयकारे गूंजते हैं, पूरा शहर भक्ति में डूबा हुआ नजर आता है।

पौराणिक कथा

इस मंदिर का रहस्य रामायण काल से जुड़ा हुआ है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, लंकापति रावण ने हिमालय पर जाकर भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए घोर तपस्या की थी और वह इस कार्य में सफल भी हो गया था। दरअसल, उसने भोलेनाथ को प्रसन्न करने के लिए एक-एक करके अपने नौ सिर काटकर शिवलिंग पर चढ़ा दिए और जब वह आखिरी सिर काटने वाला था, तब बाबा प्रसन्न होकर उसके सामने प्रकट हुए और उसकी तपस्या व श्रद्धा भाव को देखकर, उसे मनचाहा वरदान मांगने को कहा।

तब रावण ने लंका में शिवलिंग स्थापित करने की आज्ञा मांगी। इस वरदान को पूरा करने के लिए शिव जी ने अपने लिंग रावण को सौंपते हुए कहा कि धरती पर इसे जहां भी रख दिया जाए, यह वहीं स्थापित हो जाएगा। इससे रावण बहुत अधिक प्रसन्न हो गया और वहां से शिवलिंग को लेकर लंका जाने लगा।

देवगणों में मची खलबली

अब इस घटना से देवी-देवताओं में खलबली मच गई। उन्हें यह चिंता सताने लगी कि यदि रावण लंका में शिवलिंग को स्थापित कर ले, तो उसकी शक्ति और भी बढ़ जाएगी और यह सभी देवताओं के लिए खतरे की बात भी थी। इससे दुनिया में अशांति का माहौल बन सकता था। तब सभी भगवान विष्णु के पास पहुंचे और पूरी बात उन्हें बताई। यह जानते ही जगतपालक ने वरुण देव को यह आदेश दिया कि वह रावण को शिवलिंग लंका ले जाने से रोके। इस आदेश का पालन हुआ। रावण ने रास्ते में थोड़ा विश्राम करने के लिए यह लिंग एक बालक को सौंपा। जब उसकी आंख खुली, तब शिवलिंग वहीं रखी थी। बहुत कोशिश के बाद भी शिवलिंग को वहां से रावण उठा नहीं पाया और हारकर अपनी लंका की ओर रवाना हो गया।

कामना लिंग

तब भगवान विष्णु और ब्रह्मा सहित अन्य देवी-देवता धरती पर आकर उस शिवलिंग की पूजा-अर्चना की और उसी स्थान पर ज्योतिर्लिंग की स्थापना करते हुए स्तुति कर स्वर्ग को वापस चले गए। स्थानीय लोगों के अनुसार, यहां स्थित शिवलिंग को “कामना लिंग” भी कहते हैं। ऐसी मान्यता है कि बैजनाथ ज्योतिर्लिंग भक्तों को मनवांछित फल देते हैं। यहां आने वाला भक्त कभी भी खाली हाथ नहीं लौटता।

एक अन्य रहस्य

इसके अलावा, मंदिर को लेकर एक और रहस्य भी जुड़ा हुआ है, जिसके अनुसार यहां मरीजों की बीमारी ठीक हो जाती है। दरअसल, इसके पीछे भी भगवान शिव और रावण की ही कथा जुड़ी हुई है। दरअसल, शिव जी ने रावण की तपस्या से प्रसन्न होकर उसके नौ सिरों को फिर से ठीक कर दिया था। हालांकि, सिर काटने की पीड़ा से भी वैद्य बनाकर रावण को मुक्ति दिलाई थी। इसी कारण से इस ज्योतिर्लिंग को वैद्यनाथ धाम कहा गया। यहां पूजा-अर्चना करने से लोगों को रोग और दोष से मुक्ति मिलती है।

(Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है। MP Breaking News किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है। किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें।)