अहोई अष्टमी व्रत पर इन 3 राशियों कि चमकेगी किस्मत और समझें तारें देखने का महत्व, खुशहाल होगी संतान!

अहोई अष्टमी माताओं का संतान सुख और लंबी उम्र के लिए महत्वपूर्ण व्रत है, जो कि 13 अक्टूबर को मनाया जाएगा। इस दिन पूजा, तारों को अर्घ्य देना, व्रत और दान करने से बच्चों की खुशहाली, स्वास्थ्य और परिवार में समृद्धि आती है।

अहोई अष्टमी हिंदू धर्म में संतान की लंबी उम्र और सुख-समृद्धि के लिए किया जाने वाला बेहद खास व्रत है। इस दिन का इंतजार सुहागिन माताएं पूरे वर्ष करती हैं। कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी को पड़ने वाला यह पर्व मां की ममता और संतान के उज्जवल भविष्य से जुड़ा है। बता दें कि यह व्रत काफी कठिन होता है क्योंकि माता को अपनी संतान की खुशहाली के लिए निर्जला व्रत रखना पड़ता है। आमतौर पर आपने सूर्य और चंद्रमा की पूजा करते हुए देखे होंगे, लेकिन इस व्रत में तारों के दर्शन कर अर्घ्य देने के बाद ही पारण किया जाता है। मान्यता है कि अहोई माता की कृपा से संतान की आयु लंबी होती है और उनके जीवन में उन्नति के नए मार्ग खुलते हैं।

भारत में हर त्योहार का अपना एक अलग महत्व और रस होता है। लोग इन्हें बड़े श्रद्धा और उत्साह के साथ मनाते हैं। कार्तिक महीने का एक बेहद खास पर्व अहोई अष्टमी है। इसे ‘अहोई आठे’ भी कहा जाता है। इस दिन माताएं अपनी संतान की लंबी उम्र, अच्छे स्वास्थ्य और सुख-समृद्धि की कामना करती हैं।

शुभ मुहूर्त

पंचांग के अनुसार, इस साल अहोई अष्टमी 13 अक्टूबर 2025 को रात 12:24 मिनट से शुरू होकर 14 अक्टूबर की सुबह 11:09 मिनट तक चलेगी। इस दिन पूजन का मुहूर्त शाम 5:53 मिनट से लेकर शाम 7:08 मिनट तक है। ऐसे में इस साल अहोई अष्टमी 13 अक्टूबर को मनाई जाएगी।

इन राशियों पर असर

  • वृषभ राशि के जातकों के लिए यह दिन बहुत शुभ रहने वाला है। लंबे समय से जो इच्छाएं संतान से जुड़ी थीं, उन्हें इस दिन सफलता मिल सकती है। घर में हंसी-खुशी का माहौल रहेगा और बच्चों से संबंधित कोई शुभ समाचार आने से परिवार में खुशहाली आएगी। चंद्रमा की स्थिति पारिवारिक जीवन को सकारात्मक ऊर्जा से भर देगी।
  • कर्क राशि के लोगों के लिए यह समय नई उम्मीदों और खुशियों का संकेत लेकर आएगा। संतान प्राप्ति की इच्छा रखने वालों के लिए ग्रहों की स्थिति शुभ रहेगी। बुजुर्गों का आशीर्वाद इस दौरान विशेष रूप से फलदायी होगा। संतान से जुड़ी शुभ सूचना परिवार में उत्साह और खुशियों की लहर ला सकती है।
  • कन्या राशि के जातकों के लिए अहोई अष्टमी का दिन संतान सुख, पारिवारिक वृद्धि और मानसिक संतोष का प्रतीक रहेगा। जिन दंपतियों को लंबे समय से संतान की प्रतीक्षा थी, उनके जीवन में इस दिन कोई बड़ा परिवर्तन हो सकता है। माता अहोई की पूजा में मन लगाना और व्रत का पालन करने से उन्हें संतान सुख का आशीर्वाद मिलेगा।

क्यों देखे जाते हैं तारें?

अहोई अष्टमी पर एक खास रीति भी है, जिसमें माताएं तारों को जल अर्पित करती हैं। ऐसा माना जाता है कि जैसे आकाश में तारे हमेशा चमकते हैं, वैसे ही हमारे परिवार के बच्चे स्वस्थ और दीर्घायु हों। इस परंपरा में तारों को माता अहोई का प्रतीक या उनके वंशज माना जाता है। इसलिए इसका काफी अधिक महत्व होता है।

इन चीजों का करें दान

  • आहार और वस्त्र का दान करना शुभ माना जाता है। किसी गरीब या जरूरतमंद व्यक्ति को गेहूं, चावल या किसी भी अनाज का दान करें। इसके साथ ही बच्चों के लिए नए कपड़े देना भी बेहद लाभकारी माना जाता है।
  • इस दिन सफेद वस्तुएं देने का भी बड़ा महत्व है। दूध, दही, चीनी या सफेद रंग की मिठाइयां किसी मंदिर या जरूरतमंद को दान करें। मान्यता है कि इससे जीवन में भौतिक सुख-सुविधाओं की कमी नहीं होती और घर में समृद्धि बनी रहती है।
  • फल और गुड़ का दान करना संतान की शिक्षा और करियर में उन्नति के लिए विशेष रूप से लाभकारी माना जाता है। पीले रंग के फल और गुड़ का दान करने से कुंडली में सूर्य मजबूत होता है, जिससे बच्चों में नेतृत्व क्षमता, आत्मविश्वास और मान-सम्मान बढ़ता है।
  • अहोई अष्टमी पर ब्राह्मण को दक्षिणा देना भी बहुत शुभ माना जाता है। इसके जरिए संतान को बड़ों का आशीर्वाद मिलता है, जिससे उसका जीवन सुरक्षित और सफल बनता है।

(Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है। MP Breaking News किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है। किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें।)


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