Akhuratha Sankashti Chaturthi 2023: साल 2023 की अंतिम और पौष माह का पहला संकष्टी चतुर्थी व्रत 30 दिसंबर शनिवार को है। पौष माह की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को “अखुरथ संकष्टी चतुर्थी” के नाम से जाना जाता है। यह दिन भगवान गणेश को समर्पित होता है। मान्यता है इस दिन व्रत रखने से जीवन के कष्ट दूर होते हैं। इस दिन केवल सूर्योदय का ही नहीं बल्कि चंद्रोदय का भी खास महत्व होता है।
शुभ मुहूर्त और योग
पंचांग के अनुसार 30 दिसंबर सुबह 9:43 बजे चतुर्थी तिथि का आरंभ होता है। 31 दिसंबर सुबह 11:55 बजे इसका समाओं होगा। 30 दिसंबर को संकष्टी चतुर्थी का व्रत रखा जाएगा। चंद्रोदय का समय रात 9:10 बजे है। इस दौरान विष्कंभ और प्रीति योग का निर्माण हो रहा है। पूजा का शुभ मुहूर्त शनिवार सुबह 8:03 बजे से लेकर सुबह 9:30 बजे तक है। शाम 6 :14 बजे से लेकर रात 7:46 बजे तक पूजा करना शुभ होगा।
करें ये खास उपाय
अखुरथ संकष्टी चतुर्थी के दिन कुछ उपायों को करना बेहद शुभ माना जाता है। ऐसा करने से सौभाग्य की प्राप्ति होती है। सफलता के योग बनते हैं।
- इस दिन पूजा के दौरान भगवान गणेश को पान का बीड़ा अर्पित करें। गौ माता को हरा चारा खिलाएं। ऐसा करने से घर परिवार में शांति और खुशहाली आती है।
- अखुरथ संकष्टी चतुर्थी के दिन बप्पा को 21 दूर्वा की गांठ चढ़ाएं। ऐसा करने से छात्रों को लाभ होता है। नौकरी के अवसर मिलते हैं। सफलता के योग बनते हैं। बुद्धि में वृद्धि होती है।
- इस दिन गणपती बप्पा को गुड़ के लड्डू और घी का भोग लगाएं। इसे गाय को खिलाएं। ऐसा करने से धन-समृद्धि में वृद्धि होती है। अर्थित तंगी दूर होती है।
ऐसे करें पूजा
- अखुरथ संकष्टी चतुर्थी के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
- पूजास्थल की साफ-सफाई करें। गंगाजल का छिड़काव करें।
- व्रत का संकल्प लें। बप्पा की पूजा करें।
- माथे पर तिलक लगाएं। भोग और दूर्वा घास अर्पित करें।
- शाम के समय चंद्र को अर्घ्य दें।
- गणेश वंदना का पाठ करना या सुनना न भूलें।
(Disclaimer: इस आलेख का उद्देश्य केवल सामान्य जानकारी साझा करना हैम जो पंचांग, मान्यताओं और विभिन्न माध्यमों पर आधारित है। MP Breaking News इन बातों के सत्यता और सटीकता की पुष्टि नहीं करता।)





