Mon, Dec 22, 2025

आंवला एकादशी को लेकर हो रहा हैं कन्फ्यूजन? यहां जानिए सही तारीख और पूजा विधि

Written by:Bhawna Choubey
Published:
Amla Ekadashi 2025: आंवला एकादशी 2025 के व्रत की तारीख को लेकर श्रद्धालुओं में थोड़ी उलझन है। कुछ लोग इसे 9 मार्च तो कुछ 10 मार्च को मनाने की बात कर रहे हैं। इस विशेष एकादशी के दिन आंवले के पेड़ की पूजा और भगवान विष्णु की आराधना करने से पुण्य की प्राप्ति होती है।
आंवला एकादशी को लेकर हो रहा हैं कन्फ्यूजन? यहां जानिए सही तारीख और पूजा विधि

सनातन धर्म में एकादशी तिथि का विशेष महत्व है। यह दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी को समर्पित होता है। इस दिन भक्तजन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की कृपा पाने के लिए व्रत रखते हैं। फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को आँवला एकादशी कहा जाता है, कुछ कुछ लोग इसे आमलकी एकादशी और रंगभरी एकादशी भी कहते हैं।

जैसा कि नाम से ही समझ आ रहा है इस दिन आँवले के पेड़ की पूजा अर्चना करने का विशेष महत्व है। इसी दिन व्रत रखने से भक्तों के सभी पाप नष्ट हो जाते हैं, भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की कृपा बनी रहती है। लेकिन हर कोई के मन में यह सवाल है कि आख़िर 2025 में आँवला एकादशी का व्रत किस दिन रखा जाएगा, क्या आप अभी इसकी तारीख़ को लेकर कन्फ्यूज हैं, चलिए हम आपको कन्फ्यूजन दूर कर देते हैं।

किस दिन रखा जाएगा आंवला एकादशी का व्रत (Amla Ekadashi 2025)

हिंदू पंचांग के अनुसार, फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि 9 मार्च को सुबह 7 बजकर 45 मिनट से शुरू होगी और इसका समापन अगले दिन 10 मार्च को 7 बजकर 44 मिनट पर होगा। जैसा कि हम सभी जानते हैं कि हिन्दू धर्म में हर त्योहार और व्रत उदयातिथि के अनुसार ही मनाया जाता है। ठीक इसी तरह आँवला एकादशी का व्रत भी 10 मार्च को रखा जाएगा।

आंवला एकादशी का महत्त्व

आँवला एकादशी के दिन भगवान विष्णु और आंवले के पेड़ की पूजा करना बहुत शुभ माना गया है। जो भी व्यक्ति इस दिन व्रत रखता है, उसे पुण्य की प्राप्ति होती है। इस दिन ख़ास तौर पर महिलाओं के द्वारा व्रत रखा जाता है, पूजा पाठ की जाती है, आंवले के पेड़ की परिक्रमा की जाती है। ऐसा करने से घर परिवार में सुख शांति बनी रहती है, जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार भी होता है।

आंवला एकादशी पूजा विधि

  • आँवला एकादशी के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान दान करें, पूजा के दौरान पीले वस्त्र धारण करें।
  • भगवान सूर्य देव को जल अर्पित करें, घर के मंदिर में एक चौकी रखें।
  • क्योंकि के ऊपर भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की मूर्ति या फिर तस्वीर को स्थापित करें।
  • व्रत का संकल्प लें। भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा के दौरान उन्हें फूल, फल, मिठाई, तुलसी और चंदन अर्पित करें।
  • माता लक्ष्मी को शृंगार की चीज़ें चढ़ाएं। भगवान और माता के सामने देसी घी का दीपक जलाएं।
  • भोग लगाएं, और अंत में आरती करें। भोग को सभी लोगों में बांटें।

 

Disclaimer- यहां दी गई सूचना सामान्य जानकारी के आधार पर बताई गई है। इनके सत्य और सटीक होने का दावा MP Breaking News नहीं करता।