Mon, Dec 29, 2025

आज है अपरा एकादशी 2025, करें इस कथा का पाठ, मिलेगा पुण्य और शांति

Written by:Bhawna Choubey
Published:
अपरा एकादशी का व्रत हिंदू धर्म में बेहद पवित्र माना गया है। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा करने से व्यक्ति को जीवन भर के पापों से मुक्ति मिलती है। विशेष रूप से इस एकादशी की कथा सुनने और उसका पाठ करने से अपार पुण्य प्राप्त होता है।
आज है अपरा एकादशी 2025, करें इस कथा का पाठ, मिलेगा पुण्य और शांति

अगर आप भी चाहते हैं कि जीवन के सभी पाप कटें और पुण्य का मार्ग प्रशस्त हो, तो इस वर्ष 2025 में अपरा एकादशी (Apara Ekadashi 2025) का व्रत ज़रूर करें और नीचे दी गई कथा का पाठ अवश्य करें।

एकादशी व्रत का महत्व हिंदू धर्म में बहुत खास है, हिंदू पंचांग के अनुसार हर महीने दो एकादशी आती हैं। इनमें से अपरा एकादशी ज्येष्ठ मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी होती है, जिसे ‘अचला एकादशी’ भी कहा जाता है। इसका महत्व इसलिए अधिक है क्योंकि यह मोक्ष प्राप्त करने और पापों के प्रायश्चित के लिए विशेष मानी जाती है।

क्यों खास मानी जाती है अपरा एकादशी?

इस दिन व्रत करने वाले जातक को भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होती है। शास्त्रों में बताया गया है कि इस व्रत को रखने से ब्रह्म हत्या, चोरी, व्यभिचार जैसे घोर पापों का भी नाश हो जाता है।

अपरा एकादशी 2025 की तिथि और शुभ मुहूर्त

ज्येष्ठ माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि इस वर्ष 23 मई को देर रात 01 बजकर 12 मिनट पर प्रारंभ होकर उसी दिन रात 10 बजकर 29 मिनट पर समाप्त हो रही है। ऐसे में अपरा एकादशी का व्रत 23 मई को ही पूरे श्रद्धा और विधि-विधान के साथ किया जा रहा है।

यह एकादशी भगवान विष्णु को समर्पित होती है और मान्यता है कि इस दिन व्रत रखने व कथा सुनने से व्यक्ति को जन्म-जन्मांतर के पापों से मुक्ति मिलती है। अपरा एकादशी का व्रत आत्मशुद्धि, पुण्य प्राप्ति और मोक्ष के मार्ग को प्रशस्त करने वाला माना जाता है। भक्त इस दिन उपवास रखते हैं, भक्ति में लीन रहते हैं और विष्णु सहस्त्रनाम व व्रत कथा का पाठ करते हैं।

अपरा एकादशी व्रत की पूजा विधि

  • प्रातःकाल उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें। भगवान विष्णु का ध्यान करते हुए व्रत का संकल्प लें।
  • एक साफ स्थान पर लकड़ी की चौकी पर पीला वस्त्र बिछाएं और उस पर भगवान विष्णु की मूर्ति या चित्र स्थापित करें।
  • भगवान को पीला चंदन, अक्षत, फूल, माला, तुलसी दल, धूप, दीप आदि अर्पित करें।
  • भगवान को भोग में बेसन के लड्डू, खीर आदि अर्पित करें।
  • अपरा एकादशी की व्रत कथा का पाठ करें और भगवान विष्णु की आरती करें।
  • दिनभर व्रत रखें और भगवान का स्मरण करें।
  • अगले दिन द्वादशी तिथि के दौरान पारण करें।

अपरा एकादशी की व्रत कथा

पौराणिक कथा के अनुसार, राजा महीध्वज की उसके छोटे भाई ने हत्या कर शव को पीपल के पेड़ के नीचे गाड़ दिया। अकाल मृत्यु के कारण राजा की आत्मा प्रेत बनकर उस पेड़ पर भटकने लगी। एक दिन धौम्य ऋषि वहां से गुज़रे और आत्मा की पीड़ा को समझकर उसे परलोक उपदेश दिया। फिर ऋषि ने ज्येष्ठ कृष्ण पक्ष की अपरा एकादशी का व्रत रखा, जिसके प्रभाव से महीध्वज की आत्मा को प्रेत योनि से मुक्ति मिली और वह स्वर्ग लोक चला गया।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

Q1: क्या अपरा एकादशी व्रत केवल पुरुष कर सकते हैं?
नहीं, यह व्रत स्त्री और पुरुष दोनों कर सकते हैं। सभी जातियों और आयु के लोग इस व्रत को रख सकते हैं।

Q2: क्या बिना कथा सुने व्रत अधूरा माना जाता है?
हां, व्रत कथा सुनना आवश्यक होता है, तभी व्रत पूर्ण माना जाता है।

Q3: अपरा एकादशी व्रत में क्या केवल जल पर रह सकते हैं?
हां, यदि संभव हो तो निर्जल व्रत करें, अन्यथा फलाहार किया जा सकता है।

Q4: क्या अपरा एकादशी पर दान करना चाहिए?
जी हां, दान करना इस दिन अत्यंत शुभ होता है, विशेष रूप से अन्न, वस्त्र और धन का दान।

Q5: क्या अपरा एकादशी पर तुलसी पूजा करनी चाहिए?
बिल्कुल, तुलसी भगवान विष्णु को प्रिय है। उनकी पूजा बिना तुलसी के अधूरी मानी जाती है।