Kotipati Rajyog, Chandika Yog, Jaya Yog, Astrology : कुंडली के ग्रहों का राशि जातकों के जीवन पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ता है। कुंडली में कई तरह के योग ऐसे हैं, जो राजयोग से भी अति महत्वपूर्ण माने जाते हैं। वैदिक ज्योतिष में कोटिपति योग को महत्वपूर्ण योग में जाना जाता है।
कोटिपति योग
कुंडली में कोटिपति योग होने पर जातकों को धन की चिंता नहीं होती है। उन्हें अपने जीवन में धन लाभ होने के साथ ही उनके जीवन में धन का निरंतर प्रवाह देखने को मिलता है। संस्कृत शब्द कोटि का मतलब होता है “एक करोड़” ज्योतिषियों के अनुसार इस योग के जातकों को करोड़पति तक बनाने की क्षमता होती है।
कोटिपति योग का निर्माण
- शुक्र और गुरु के केंद्र में स्थित होने पर लग्न चार राशि में हो और शनि केंद्र में हो तब ‘कोटिपति योग’ का निर्माण होता है।
- इसके साथ ही कोटि पति योग के संपूर्ण लाभ को प्राप्त करने के लिए लग्न के स्वामी को मजबूत स्थिति में होना आवश्यक है।
कोटिपति योग का लाभ
- इस योग से कैरियर में इन्होंने पद से शुरुआत करने के साथ ही शीर्ष पर पहुंचने की क्षमता होती है।
- इसके साथ ही धन प्रसिद्धि और भाग्य का भरपूर साथ मिलते हैं।
- ताकत और सिद्धि का प्रभाव देखने को मिलता है यह एक दुर्लभ योग है और असाधारण लोग की कुंडली में है इस योग का निर्माण होता है।
- वहीं जातकों के भविष्य का निर्माण होता है। उनके सभी प्रयास सफल होते हैं
- साथ ही उन्हें प्रतियोगिता परीक्षा में सफलता हासिल होती है।
- वह अद्भुत क्षमता के धनी होते हैं।
- सुख सुविधाएं प्राप्त होती है
- आशावादी रहते हैं। अपनी बातों को लेकर स्पष्टता रखते हैं।
- इसके साथ ही शैक्षणिक क्षमताओं पर यह एक महत्वपूर्ण प्रभाव हासिल करते हैं।
- बुद्धिमान होते हैं और महत्वपूर्ण निर्णय लेने में सक्षम होते हैं।
- सामाजिक स्तर पर इन्हें सम्मान और सराहे जाने का लाभ मिलता है।
जया योग
षष्ठ भाव का स्वामी नीच का होता है और दशम भाव का स्वामी अत्यधिक उच्च का होता है। तब जया योग का निर्माण होता है। यह बाद शुभ योग है।
जया योग का लाभ
- जया योग से जातक अपने पूरे जीवन में खुश रहता है।
- आप अधिक परेशान नहीं होते और हमेशा सभी को खुश करने का भी प्रयास करते हैं।
- अपने शत्रुओं पर विजयी होने के साथ-साथ सफल भी होते हैं।
- व्यक्तित्व में आप हमेशा सफल और भाग्यशाली होते हैं।
- जीवन लंबा, स्वस्थ और खुश रहता है।
- जीवन में किसी भी प्रकार की समस्या का सामना नहीं करना पड़ता है।
चंडिका योग
नवमांश के स्वामी पर छठे भाव का स्वामी और नवमांश में नवमांश का स्वामी सूर्य के साथ युति करता है और लग्न स्थिर राशि होने के कारण छठे भाव के स्वामी द्वारा देखा जाता है। तब चंडिका योग का निर्माण होता है।
चंडिका योग का लाभ
- जातक लोगों के प्रति एक आक्रामक दृष्टिकोण और रवैया है।
- जातकों को परोपकार पसंद होता है और आप काफी परोपकारी हैं।
- जीवन में बहुत दौलत देकने को मिलती है और इसे और अधिक अर्जित करते रहते हैं।
- कार्य की स्थिति एक मंत्री के बराबर या कम से कम उनके समान स्तर पर है।
- हमेशा सुखी जीवन व्यतीत करते हैं
- लंबे समय में प्रसिद्धि प्राप्त करते हैं।