Rajyog 2023, Malavya Rajyog, Shukra Transit, Neecbhang Rajyog : ज्योतिष शास्त्र के अनुसार सभी ग्रह एक नियमित अंतराल पर एक राशि से दूसरी राशि में गोचर करते हैं। वही ग्रह समय-समय पर उदय और अस्त होते हैं। ग्रह की क्षमता सूर्य के नजदीक होने से कम हो जाती है। इसे ही ग्रहों का अस्त होना माना जाता है। धन सुख समृद्धि और वैभव के दाता शुक्र ग्रह जल्दी ही वक्री अवस्था में अस्त होंगे। जिसका असर सभी राशियों पर देखने को मिलेगा।
वृषभ
- खुशियों का आगमन होगा।
- सुख समृद्धि में वृद्धि होगी।
- आय में बढ़ोतरी होगी।
- नया मकान वाहन खरीद सकते हैं।
- नौकरी वाले को लाभ मिलेगा। पदोन्नति के आसार बनते नजर आ रहे हैं।
कर्क
- करके के लिए धन का आगमन होगा
- अप्रत्याशित तरीके से धन संचय कर सकते हैं
- आत्मविश्वास बढ़ेगा
- शुभ समाचार मिलेगा
- सकारात्मक रवैया अपनाएंगे
- नौकरी में पदोन्नति मिल सकती है।
तुला
- आर्थिक स्थिति मजबूत होगी
- अटके हुए काम पूरे होंगे
- सुख समृद्धि का लाभ
- मित्र मिलेगा
- आत्मविश्वास से भरे रहेंगे
- विदेश यात्रा के योग बनते नजर आ रहे हैं।
मालव्य राजयोग
वैदिक ज्योतिष में पंच महापुरुष योग का बेहद महत्व माना जाता है, जब बुध मंगल गुरु शुक्र और शनि अपने केंद्र भाव में राशि में मजबूत अवस्था में होते हैं। तब वह हंस, मालव्य, भद्र, रूचक और शश राजयोग जैसे योग का निर्माण करते हैं।
शुक्र से मालव्य राजयोग का निर्माण होता है। शुक्र जब पहले, चौथे, सातवें या दसवें भाव में अपनी खुद की राशि वृषभ, तुला या फिर उच्च राशि मीन में स्थित हो तब इस योग का निर्माण होता है।
मालव्य राजयोग का लाभ
- भौतिक सुख में वृद्धि होती है।
- सफलता मिलने के साथ ही व्यवसाय में वृद्धि होती है।
- विलासिता पूर्ण जीवन का आनंद लेते हैं।
- सुख-सुविधाओं से भरपूर जीवन जीने के साथ ही आर्थिक लाभ मिलता है
- सफलता प्रसिद्धि सहित सौंदर्य और संपत्ति का लाभ मिलता है।
- पराक्रमी होने के साथ-साथ से तर्कसंगत और एक अच्छा वक्त और निर्णायक साबित होते हैं।
नीचभंग राजयोग
कुंडली में ग्रह अपनी उच्च राशि, मूल त्रिकोण राशि, खुद की राशि, राशि, शत्रु राशि, नीच राशि में उपस्थित होते है। इस प्रकार उच्च राशि में ग्रह के होने पर शुभ प्रभाव पड़ता और नीच राशि में होने पर बुरा प्रभाव पड़ता है। जब कोई नीच ग्रह इस तरह बैठा है कि उसकी नीचे अवस्था समाप्त होती है और प्रबल तौर पर उच्च ग्रह का प्रभाव उस पर पड़ता है तो ऐसे कारक को नीच भंग राजयोग कहा जाता है।
नीचभंग राजयोग का निर्माण
- यदि किसी कुंडली में एक उच्च ग्रह के साथ एक नीच ग्रह से रखा जाता है तो कुंडली में नीच भंग राजयोग का निर्माण होता है।
- कोई ग्रह अपनी नीच राशि में हो और उच्च राशि का स्वामी लग्न भाव यह चंद्रमा से केंद्र में स्थित हो तब इस राजयोग का निर्माण होता है।
- कोई ग्रह अपनी नीच राशि में हो और उस राशि में उच्च होने वाले ग्रह चंद्रमा से केंद्र स्थान में हो तब इस नीच भंग राजयोग का निर्माण होता है।
- किसी कुंडली में नीच का ग्रह वक्री हो तो नीच भंग राज योग का निर्माण होता है।
राजयोग के लाभ
- व्यवसाय में सफलता मिलती है
- अच्छे मित्र बनते हैं
- लोगों का सहयोग प्राप्त होता है
- प्रसिद्धि प्राप्त करती है
- पैसे का लाभ मिलता है
- धन संपत्ति के मालिक होते हैं
- इसके साथ ही बुद्धि ज्ञान में वृद्धि होती है
- कार्यकुशलता में प्रवीण होते हैं
- व्यवहारिक होते हैं
- साथ ही उन्हें सरकारी नौकरी सहित विदेश यात्रा के योग बनते हैं।