Saraswati Rajyog, Laxmi Yog, Astrology : ग्रहों और नक्षत्रों के राशि परिवर्तन से कई महत्वपूर्ण योग और राजयोग का लाभ जातकों को मिल रहा है। नवीन योग और राजयोग का निर्माण होने से जातकों के जीवन में इसके अनुकूल और प्रतिकूल प्रभाव भी पढ़ते हैं। ज्योतिष शास्त्र में शुक्र योग का बेहद महत्व है।
शुक्र को पृथ्वी का सबसे निकटतम ग्रह माना जाता है। सूर्यास्त के बाद और सूर्योदय के पहले कुछ घंटे के भीतर शुक्र ग्रह को देखा जा सकता है। शुक्र कला, कविता, भौतिकता और वाहन आभूषण सहित प्रशासन से जुड़ा ग्रह माना जाता है। मनोरंजन क्षेत्र के लिए भी शुक्र ग्रह की स्थिति बेहद लाभकारी नजर आती है।
शुक्र से बनने वाले राजयोग
लक्ष्मी योग
- लक्ष्मी योग सहित सरस्वती योग और श्रीनाथ योग का निर्माण शुक्र ग्रह के कारण होता है।
- लक्ष्मी योग का निर्माण तब होता है, जब नवम भाव का स्वामी बलवान अवस्था में त्रिक भाव में विराजमान हो और लग्न भाव का स्वामी बलवान हो।
- इसके अलावा लक्ष्मी योग तब बनता है, जब शुक्र और नवम भाव का स्वामी बलवान अवस्था में केंद्र में विराजमान हो।
लक्ष्मी योग का लाभ
लक्ष्मी योग से जातक उच्च सिद्धांतवादी होते हैं। साहसी और को कुशल होने के साथ ही धार्मिक कार्य में शामिल रहते हैं। लक्ष्मी योग से प्रसिद्धि प्राप्त होती है। साथ ही जीवन साथी का भरपूर सहयोग होता है।
सरस्वती योग का निर्माण
बुध शुक्र और गुरु केंद्र के प्रथम, चतुर्थ सप्तम और दशम भाव में यह त्रिकोण भाव यह द्वितीय भाव में बैठकर संबंध बनाते हैं। तब सरस्वती योग का निर्माण होता है।
सरस्वती योग का लाभ
सरस्वती योग से जातक प्रसिद्धि पाने के साथ ही किस्मत का बलवान होता है। संगीतकार और रचनात्मक कलाकार के रूप में जाना जाता है। इसके साथ ही मधुर आवाज और लिखावट के साथ यह जातक गणित सहित इंजीनियरिंग के क्षेत्र में महत्वपूर्ण नाम कमाता है।
श्रीनाथ योग
किसी कुंडली में सप्तम भाव का स्वामी दशम भाव में मौजूद और दशम भाव का स्वामी नवम भाव में उपस्थित हो, तब श्रीनाथ योग का निर्माण होता है।
श्रीनाथ योग का लाभ
- श्रीनाथ योग से जातकों को धन, सुख समृद्धि का लाभ मिलता है। नाम और प्रसिद्धि प्राप्त करने के साथ ही मान सम्मान में बढ़ोतरी होती है।
- यश, लंबी, आयु और अन्य लाभ उन्हें उपलब्ध होते हैं।
- श्रीनाथ योग से व्यक्ति मृदुभाषी उत्तम संतान और जीवन साथी वाले होते हैं। इनके हथेली पर शंख चक्र जैसे चिन्ह निर्मित होते हैं।
- श्रीनाथ योग से सातवें, नौवें और दसवें भाव और उनके स्वामी के बीच संपर्क स्थापित होता है।
- ऐसे व्यक्ति अमीर प्रतिष्ठा और सौभाग्य से जीवन जीते हैं।इसके साथ ही इनके सौभाग्य का असाधारण प्रभाव इनके परिवार पर भी पड़ता है।
- इनके असाधारण प्रभाव का मूल्यांकन नहीं किया जा सकता। यह आशा जनक परिणाम वाले होते हैं।