March Rajyog 2025 : वैदिक ज्योतिष में सभी नवग्रहों का विशेष महत्व माना जाता है और हर ग्रह एक निश्चित समय अंतराल के बाद राशि बदलता है, जिससे योग-राजयोग का निर्माण होता है। इसी क्रम में अब मार्च के दूसरे हफ्ते में दैत्यों के गुरू शुक्र, ग्रहों के राजा सूर्य, ग्रहों के सेनापति मंगल और ग्रहों के राजकुमार बुध मिलकर एक साथ कई राजयोग बना रहे है।
ज्योतिषीय दृष्टि से मार्च का दूसरा हफ्ता बेहद खास रहने वाला है। इस हफ्ते शुक्र के अपनी उच्च राशि मीन में गोचर करने से मालव्य राजयोग बन रहा है। इसके अलावा मंगल सूर्य की युति से नीचभंग, शुक्र बुध के संयोग से लक्ष्मी नारायण जैसे राजयोगों का भी निर्माण हो रहा हैस ऐसे में इस हफ्ते कई राशि के जातकों को विशेष लाभ मिल सकता है।

राजयोग का राशियों पर पड़ेगा बड़ा प्रभाव
मेष राशि :ग्रहों का संयोग और एक साथ कई राजयोग का बनना जातकों के लिए फलदायी सिद्ध हो सकता है। नौकरीपेशा को वेतनवृद्धि के साथ प्रमोशन का लाभ मिल सकता है। आत्मविश्वास में वृद्धि होगी। नई नौकरी के अवसर मिल सकते है।बिजनेस करने वालों के लिए समय अनुकूल रहेगा। कोई बड़ा प्रोजेक्ट मिल सकता है। अटका या रुका हुआ पैसा वापस मिल सकता है। आर्थिक स्थिति मजबूत होगी।
कुंभ राशि: एक साथ कई राजयोग का बनना जातकों के लिए लकी साबित हो सकता है। आत्मविश्वास में वृद्धि होगी।अटके और रुके काम पूरे होंगे । मनोकामना पूरी हो सकती है। निवेश से अच्छा खासा धन एकत्रित होगा। मन प्रसन्न और शांत रहेगा। आत्मविश्वास बढ़ा हुआ रहेगा। रुघर या वाहन खरीदने के लिए समय शुभ रहेगा। मानसिक तनाव कम होगा और सेहत में सुधार होगा। माता-पिता को संतान से कोई शुभ समाचार मिल सकता है,। नौकरीपेशा लोगों को इस सप्ताह किसी वरिष्ठ अधिकारी का सहयोग मिलेगा।नए निवेश से अच्छा लाभ मिलने की संभावना है। रिश्तों में मजबूती आएगी।
सिंह राशि : ग्रहों की युति और 3 राजयोग का बनना जातकों के लिए फलदायी सिद्ध हो सकता है। लंबे समय से अटके काम पूरे हो सकते है। दांपत्य जीवन में भी सुख और प्रेम बना रहेगा। परिवार के साथ यात्रा पर जाएंगे। बिजनेस में लाभ के अवसर बन रहे हैं। वैवाहिक जीवन में मधुरता बनी रहेगी। पुराने निवेश से लाभ मिलने की उम्मीद है।आय में वृद्धि हो सकती है।नौकरीपेशा को वेतनवृद्धि और प्रमोशन का तोहफा मिल सकता है।
कुंडली में कैसे बनता है नीचभंग राजयोग
- ज्योतिष के मुताबिक, यदि किसी कुंडली में एक उच्च ग्रह के साथ एक नीच ग्रह रखा जाता है, तो कुंडली में नीचभंग राजयोग बनता है ।कोई ग्रह अपनी नीच राशि में बैठा हो और उस राशि का स्वामी लग्न भाव या चंद्रमा से केंद्र स्थान में हो तो कुंडली में नीचभंग योग बनता है ।कोई ग्रह अपनी नीच राशि में हो और उस राशि में उच्च होने वाला ग्रह चंद्रमा से केंद्र स्थान में हो तो योग बनता है ।किसी ग्रह की नीच राशि का स्वामी और उसकी उच्च राशि का स्वामी परस्पर केंद्र स्थान में हो तो राजयोग बनता है।
- ज्योतिष शास्त्र में लक्ष्मी नारायण राजयोग का विशेष महत्व बताया गया है, इसे बेहद ही शुभ माना गया है। जब किसी भी राशि में बुध और शुक्र ग्रह दोनों एक साथ होते हैं, तो लक्ष्मी नारायण योग का निर्माण होता है।कहते है जिसकी कुंडली में यह योग बनता है उस पर लक्ष्मी जी की कृपा बरसती है, वहां धन धान्य की वर्षा होती है।
- मालव्य राजयोग शुक्र से संबंधित है, जिस भी जातक की कुंडली में शुक्र लग्न से अथवा चन्द्रमा से केन्द्र के घरों में स्थित है अर्थात शुक्र यदि कुंडली में लग्न अथवा चन्द्रमा से 1, 4, 7 अथवा 10वें घर में वृष, तुला अथवा मीन राशि में स्थित है तो कुंडली में मालव्य राजयोग बनता है। अगर शुक्र ग्रह पर सूर्य या गुरु की दृष्टि पड़ रही है तो इस राजयोग का फल व्यक्ति को कम प्रदान होगा। क्योंकि सूर्य और गुरु का शुक्र के साथ शत्रुता का भाव है।
(Disclaimer : यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं, ज्योतिष, पंचांग, धार्मिक ग्रंथों और जानकारियों पर आधारित है, MP BREAKING NEWS किसी भी तरह की मान्यता-जानकारी की पुष्टि नहीं करता है। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है।इसके सही और सिद्ध होने की प्रामाणिकता नहीं दे सकते हैं। इन पर अमल लाने से पहले अपने ज्योतिषाचार्य या पंडित से संपर्क करें)