Shani Shukra Yuti : ज्योतिष शास्त्र में न्याय व दंड के देवता शनि और दैत्यों के गुरू शुक्र ग्रह की भूमिका बेहद अहम होती है। शनि सभी ग्रहों में सबसे मंद गति से चलने वाले ग्रह हैं, जिन्हें एक से दूसरी राशि में जाने के लिए करीब 2.5 वर्ष का समय लगता हैं, इसलिए एक ही राशि में दोबारा आने में शनि को 30 साल लग जाते है। शुक्र ग्रह को संपत्ति, ऐश्वर्या, वैभव का कारक माना जाता है,वे हर माह राशि बदलते है।
वर्तमान में शनि मीन राशि में विराजमान है और सुख वैभव एश्वर्य और संपत्ति के कारक शुक्र अपनी स्वामी राशि वृषभ में स्थित है। 26 जुलाई को शुक्र ग्रह मिथुन राशि में प्रवेश करने जा रहे है, ऐसे में शनि व शुक्र मिलकर नवपंचम राजयोग का निर्माण करेंगे। यह राजयोग बेहद शुभ रहने वाला है, क्योंकि शनि और शुक्र ग्रह में मित्रता का भाव है। यह राजयोग 3 राशियों के लिए बेहद शुभ होने वाला है।आइए जानते हैं ये राशियां कौन कौन सी हैं…
शनि-शुक्र का नवपंचम राजयोग 3 राशियों के लिए लकी
वृषभ राशि पर प्रभाव :
शनि-शुक्र नवपंचम राजयोग जातकों के लिए अनुकूल साबित हो सकता है। हर काम में सफलता पाएंगे। यात्रा के कई मौके मिल सकते हैं। भौतिक संसाधनों में वृद्धि हो सकती है। आकस्मिक धनलाभ के योग बनेंगे। बेरोजगारों के लिए नौकरी के प्रस्ताव आ सकते है। फिल्म लाइन, कला, मीडिया, संगीत से जुड़े लोगों के लिए समय अनुकूल रहेगा। आर्थिक स्थिति मजबूत होगी। इस अवधि में इच्छाओं की पूर्ति हो सकती है।
कुंभ राशि पर प्रभाव :
नवपंचम राजयोग का बनना जातकों के लिए लाभप्रद सिद्ध हो सकता है। समय- समय पर आकस्मिक धनलाभ हो सकता है।व्यापारियों को कारोबार से मुनाफा मिल सकता है।। प्रेम और विवाह से संबंधित मामलों में शुभ समाचार मिल सकता हैं। संतान से जुड़ी समस्याएं हल होंगी । शादीशुदा लोगों का वैवाहिक जीवन खुशहाल रहेगा। भाग्य का अच्छा साथ मिलेगा।
मिथुन राशि पर प्रभाव :
शनि-शुक्र का नवपंचम जातकों के लिए फलदायी साबित होगा। नौकरीपेशा को पदोन्नति या वेतनवृद्धि का लाभ मिल सकता है। किस्मत का साथ मिल सकता है।बेरोजगार लोगों को नौकरी मिल सकती है। रिश्तों में सुधार और नए संबंधों की शुरुआत हो सकती है। पार्टनरशिप बिजनेस से लाभ होगा। आत्मविश्वास में वृद्धि और मान-सम्मान में इजाफा देखने को मिलेगा। बिजनेस में कुछ अच्छा मुनाफा और डील हासिल हो सकती है।
आईए जानते है नवपंचम राजयोग के बारें में
- ज्योतिष के मुताबिक, जब दो ग्रह पंचम दृष्टि अथवा त्रिकोणीय संबंध में स्थित होकर शुभ भावों में परस्पर दृष्टि डालते हैं, तब उस संयोग को नवपंचम राजयोग कहा जाता है।
- जब दो ग्रह एक दूसरे से त्रिकोण भाव में स्थित हो जाते हैं, दोनों ग्रहों के बीच 120 डिग्री का कोण बनता है तथा एक ही तत्व राशि होती है, तो नवपंचम राजयोग बनता है ।
- ज्योतिष में मेष, सिंह, धनु को अग्नि राशि, वृषभ, कन्या, मकर को पृथ्वी राशि, मिथुन, तुला, कुंभ को वायु राशि और कर्क वृश्चिक मीन को जल राशि माना जाता है, ऐसे में जब एक ही तत्व वाली 2 राशियों में 2 ग्रह पहुंचकर 120 डिग्री का कोण, जिसे नक्षत्र के द्वारा भी जान सकते हैं, तो नवपंचम राजयोग बनता है।
(Disclaimer : यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं, ज्योतिष, पंचांग, धार्मिक ग्रंथों और जानकारियों पर आधारित है, MP BREAKING NEWS किसी भी तरह की मान्यता-जानकारी की पुष्टि नहीं करता है। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है।इसके सही और सिद्ध होने की प्रामाणिकता नहीं दे सकते हैं। इन पर अमल लाने से पहले अपने ज्योतिषाचार्य या पंडित से संपर्क करें)





