Gajkesari Rajyog 2025: ज्योतिष शास्त्र में सभी ग्रहों में से चंद्रमा को सबसे तेज गति से चलने वाला ग्रह माना जाता हैं, क्योंकि चंद्रमा हर ढाई दिन में राशि परिवर्तन करते हैं, ऐसे में वे गोचर करते समय किसी न किसी ग्रह के साथ युति बनाते है, जिससे योग-राजयोग का निर्माण होता है। वही देव गुरू बृहस्पति 13 महीने में राशि बदलते है, ऐसे में अगर गुरू चन्द्र साथ आ जाए तो राजयोग का निर्माण होता है।
ज्योतिष के मुताबिक, वर्तमान में देवगुरु बृहस्पति वृषभ राशि में विराजमान है और 29 अप्रैल को मन के कारक चंद्रमा भी वृषभ राशि में प्रवेश करेंगे, ऐसे में वृषभ राशि में गुरू चन्द्र की युति से गजकेसरी नामक राजयोग बनेगा, जिसका प्रभाव 1 मई तक बना रहेगा। आईए जानते है यह राजयोग किन राशियों के लिए बेहद लकी साबित होने वाला है……….

चंद्रमा- गुरु का संयोग और गजकेसरी राजयोग
कुंभ राशि: चंद्रमा और देवदुरु बृहस्पति की युति से बने गजकेसरी राजयोग से जातकों को लाभ मिलेगा। भौतिक सुखों की प्राप्ति हो सकती है। माता का साथ मिलेगा। नौकरी में अवसर और करियर में तरक्की मिल सकती है। आर्थिक स्थिति मजबूत होगी। आय के नए स्त्रोत खुलेंगे। अटका और रूका हुआ पैसा वापस मिल सकता है। संतान की ओर से कोई अच्छी खबर मिल सकती है। सट्टेबाजी से लाभ मिल सकता है।। वैवाहिक जीवन में खुशियां बनी रहेगी।
तुला राशि: गजकेसरी राजयोग जातकों के लिए बहुत ही अनुकूल साबित हो सकता है।भाग्य का साथ मिलेगा। आकस्मिक धनलाभ की प्राप्ति हो सकती है। पैतृक संपत्ति से इस अवधि में लाभ मिल सकता है। जीवन में बदलाव आएंगे। कार्यों में सफलता प्राप्त करेंगे। व्यापार में मुनाफा और नए मौके मिल सकते है। लंबे समय से अटका हुआ कोई प्रोजेक्ट पूरा हो सकता है।
कर्क राशि: गजकेसरी राजयोग जातकों के लिए बहुत ही अनुकूल साबित हो सकता है। भाग्य का अच्छा साथ मिलेगा। अध्यात्म की ओर आपका झुकाव बढ़ेगा। धर्म कर्म के कार्यों में रूचि बढ़ेगी। नई नौकरी के मौके मिल सकते है। नौकरीपेशा को कोई बड़ी जिम्मेदारी दी जा सकती है। व्यापार जमकर मुनाफा कमाएंगे। धन निवेश के लिए समय उत्तम रहेगा।
कब बनता है कुंडली में गजकेसरी राजयोग
- ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, गजकेसरी योग मतलब हाथी के ऊपर सवार सिंह। इस योग में चंद्रमा की युति गुरु, बुध और शुक्र के साथ होती है। अगर चंद्रमा ,गुरु, बुध और शुक्र में से किसी एक से भी केंद्र में हो तो गजकेसरी योग का निर्माण जातक की कुंडली में होता है ।
- अगर किसी जातक की कुंडली के लग्न,चौथे और दसवें भाव में गुरु-चंद्र साथ हो तो इस योग का निर्माण होता है।यदि चंद्र या गुरु में से कोई भी एक दूसरे के साथ उच्च राशि में हो तो भी गजकेसरी योग बनता है।
(Disclaimer : यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं, ज्योतिष, पंचांग, धार्मिक ग्रंथों और जानकारियों पर आधारित है, MP BREAKING NEWS किसी भी तरह की मान्यता-जानकारी की पुष्टि नहीं करता है। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है।इसके सही और सिद्ध होने की प्रामाणिकता नहीं दे सकते हैं। इन पर अमल लाने से पहले अपने ज्योतिषाचार्य या पंडित से संपर्क करें)