शनि एक ऐसे देवता हैं, जिन्हें कर्म फल का दाता कहा जाता है। वह व्यक्ति को उसके कर्मों के हिसाब से फल देने का काम करते हैं। अच्छे कामों का अच्छा परिणाम और बुरे कर्मों का बुरा परिणाम देने का काम भगवान शनि का ही है। वह व्यक्ति के जीवन में आयु,पीड़ा, तकनीक, लोहा, खनिज, दुख, रोग आदि के कारक माने गए हैं।
शनि कुंभ मकर राशि के स्वामी हैं। तुला उनके उच्च और मेष राशि है। आज हम बात कर रहे हैं शनि की महादशा की जिसका कम 19 सालों तक चलता है। अगर शनि की दशा कुंडली में अशुभ है तो व्यक्ति को कई परेशानियों का सामना करना पड़ता है। वहीं ढैया और साढ़ेसाती में भी व्यक्ति को दरिद्रता का सामना करना पड़ता है। शनि की शुभ स्थिति व्यक्ति को धन भी प्रदान करती है।

महादशा का कैसा होता है असर (Shani Mahadasha)
अशुभ स्थिति
जिस व्यक्ति के जीवन में शनि की महादशा चल रही होती है उसे शुभ और अशुभ दोनों परिणाम मिल सकते हैं। अगर यह नकारात्मक परिणाम दे तो व्यक्ति को मानसिक और आर्थिक दोनों तरह की समस्या का सामना करना पड़ता है। चलो व्यापार करते हैं उन्हें घाटा भी हो सकता है। वहीं शनि अगर सूर्य के साथ आ जाए तो पैसों की हानि देने लगता है। इन लोगों को मान सम्मान में भी परेशानी का सामना करना पड़ता है।
शुभ स्थिति
महादशा में शनि की शुभ स्थिति व्यक्ति को आकस्मिक धन लाभ के मार्ग पर पहुंचा देती है। उसे संपत्ति की प्राप्ति होने लगती है और वह हर जगह लोकप्रिय हो जाता है। इन लोगों को किस्मत का भी भरपूर सहयोग मिलता है। राजनीति से जुड़े हुए लोगों को खूब सफलता की प्राप्ति होती है। जो लोग लोहा, पेट्रोल, खनिज जैसे काम करते हैं उन्हें विशेष तरक्की मिलती है। प्राइवेट कंपनी से जुड़े हुए लोगों को धन लाभ भी होने लगता है।