शिव महापुराण (Shiv Mahapuran) एक ऐसा धार्मिक ग्रंथ है, जिसमें भोलेनाथ की कथाओ और लीलाओं का उल्लेख देखने को मिलता है। इसमें भोलेनाथ के चमत्कारों के साथ कुछ नियम और उपाय भी बताए गए हैं, जो किसी भी व्यक्ति के जीवन को बदल सकते हैं। शिव महापुराण की कथा में शिवलिंग पर चढ़ाए गए प्रसाद को लेकर नियमों का उल्लेख किया गया है।
आमतौर पर हम जब भी किसी शिव मंदिर में जाते हैं वहां भगवान को जल दूध बेलपत्र चढ़ाने के बाद उन्हें भोग लगाते हैं। अगर आपके मन में यह सवाल है कि शिवलिंग पर चढ़ाया गया प्रसाद खाना चाहिए या नहीं तो शिव महापुराण में इस बात का उत्तर दिया गया है।
क्या कहती है शिव महापुराण (Shiv Mahapuran)
धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक भगवान को चढ़ाया हुआ प्रसाद अगर ग्रहण किया जाता है तो व्यक्ति के जीवन के दुख धीरे-धीरे दूर हो जाते हैं और हमें आशीर्वाद मिलता है। कुछ लोग कहते हैं की शिवलिंग पर जो प्रसाद चढ़ा होता है उसे हाथ भी नहीं लगाया जाता। शिव महापुराण के मुताबिक भगवान शिव के मुख से चंडेश्वर नामक एक गण निकला था जो भूत प्रेतों का प्रधान है। शिवलिंग पर जो प्रसाद चढ़ाया जाता है वह चंडेश्वर का होता है। अगर हम उसे ग्रहण करते हैं इसका मतलब है कि हमने भूत प्रेतों के हिस्से का खा लिया है। यही कारण है कि शिवलिंग पर चढ़ाया गया प्रसाद नहीं खाया जाता। इसके विपरीत अगर मूर्ति पर प्रसाद चढ़ा है तो आप उसे खा सकते हैं।
कौन सा प्रसाद खा सकते हैं
शिव महापुराण के मुताबिक शिवलिंग पर चढ़ा हुआ प्रसाद नहीं खाना चाहिए जबकि आप पास रखा हुआ प्रसाद ग्रहण कर सकते हैं। इसके अलावा अगर चांदी, पीतल, तांबे जैसी धातु का शिवलिंग है तो इसका प्रसाद ग्रहण कर सकते हैं। भगवान की तस्वीर मूर्ति पर प्रसाद चढ़ाया है तो वह भी खाया जा सकता है। जो व्यक्ति सच्चे मन से भोलेनाथ का प्रसाद ग्रहण करता है उसके पाप नष्ट हो जाते हैं।
प्रसाद का क्या करें
सभी लोगों की अपनी अपनी मान्यताएं होती है। ऐसे में अगर आप मंदिर जा रहे हैं और वहां से आपको मिट्टी या चीनी मिट्टी से बने हुए शिवलिंग का प्रसाद मिल रहा है तो खाने की जगह आप उसे नदी में प्रवाहित कर सकते हैं।
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