Surya Grahan 2025 : इस दिन लगेगा साल का दूसरा सूर्य ग्रहण, भारत में दिखेगा या नहीं? जानें डेट टाइम और सूतककाल के बारें में

29 मार्च को साल का पहला सूर्य ग्रहण लग चुका है।इस ग्रहण की कुल अवधि करीब 3 घंटे 53 मिनट तक थी। ये एक आंशिक सूर्य ग्रहण था, जो भारत में नजर नहीं आया। अब अगला सूर्य ग्रहण सितंबर में नजर आएगा।

2nd Surya Grahan 2025: ज्योतिष शास्त्र में ग्रहों और नक्षत्रों की तरह ग्रहण का बड़ा महत्व माना जाता है ।खास करके धार्मिक दृष्टि से ग्रहण को महत्वपूर्ण माना गया है। 29 मार्च चैत्र अमावस्या के दिन साल का पहला आशिंक सूर्य ग्रहण लगा था हालांकि यह भारत में दिखाई नहीं दिया था और ना ही सूतक काल मान्य हुआ। अब साल 2025 का दूसरा सूर्य ग्रहण सितंबर में लगेगा।

ज्योतिष के मुताबिक, साल का दूसरा सूर्य ग्रहण 21 सितंबर 2025 अमावस्या को लगेगा। यह एक आंशिक सूर्य ग्रहण होगा। यह भारत को छोड़कर ऑस्ट्रेलिया, अंटार्कटिका, प्रशांत महासागर, अटलांटिक महासागर में दिखेगा।यह ग्रहण रात 11 बजे शुरू होगा और सुबह 4 बजे तक चलेगा।भारत में ना दिखने के चलते सूतक काल भी मान्य नहीं होगा।

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कब लगता है सूर्य ग्रहण?

  • ज्योतिष के मुताबिक, जब चंद्रमा, पृथ्वी और सूर्य के बीच से गुजरता है तो सूरज की रोशनी धरती तक पहुंच नहीं पाती है, तो सूर्य ग्रहण लगता है।
  • जब चंद्रमा, पृथ्वी और सूर्य एक लाइन में सीधे नहीं होते। इस कारण चंद्रमा सूर्य के कुछ हिस्से को ही ढक पाता है, वही अन्य सूर्य ग्रहण में लोकेशन के कारण भी आंशिक सूर्य ग्रहण दिखता है।
  • वलयाकार सूर्य ग्रहण तब लगता है जब चंद्रमा पृथ्वी से दूर हो। तब यह पूरी तरह सूर्य को ढक नहीं पाता, जिस कारण हमें सूर्य ग्रहण के दौरान आसमान में एक ‘आग की रिंग’ दिखती है।
  • हाइब्रिड सूर्य ग्रहण को वलयाकार-पूर्ण ग्रहण कहा जाता है। इसमें यह सूर्य को पूरी तरह ढंकता है, लेकिन कुछ हिस्सा खुला रह जाता है।

मार्च में लगा था साल का पहला चन्द्र ग्रहण व सूर्य ग्रहण

  • साल 2025 का पहला चंद्रग्रहण 14 मार्च पूर्णिमा होली के दिन लगा था। यह ग्रहण सिंह राशि और उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र में लगा था।भारत को छोड़कर ये ग्रहण ऑस्ट्रेलिया के अधिकांश भाग यूरोप अफ्रीका के अधिकांश भाग, उत्तरी दक्षिणी अमेरिका, प्रशांत अटलांटिक आर्कटिक महासागर, पूर्वी एशिया व अंटार्कटिका में दिखाई दिया था।
  • साल का पहला सूर्य ग्रहण 29 मार्च 2025 चैत्र अमावस्या के दिन लगा था। यह मीन राशि और उत्तर भाद्रपद नक्षत्र में लगा था। यह भी भारत को छोड़कर यूरोप, एशिया के कुछ हिस्से, अफ्रीका, उत्तरी अमेरिका, दक्षिण अमेरिका, अटलांटिक महासागर, आर्कटिक महासागर में दिखाई दिया था।

(Disclaimer : यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं, ज्योतिष, पंचांग, धार्मिक ग्रंथों और जानकारियों पर आधारित है, MP BREAKING NEWS किसी भी तरह की मान्यता-जानकारी की पुष्टि नहीं करता है। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है। इन पर अमल लाने से पहले अपने ज्योतिषाचार्य या पंडित से संपर्क करें)


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Pooja Khodani

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