नया घर बनाना हर इंसान की जिंदगी का सबसे बड़ा सपना होता है। महीनों की प्लानिंग, मेहनत और इंतजार के बाद जब घर तैयार होता है, तो मन बार-बार कहता है कि बस अब जल्दी से गृह प्रवेश कर लिया जाए। लेकिन कई लोग जल्दबाज़ी या जानकारी के अभाव में ऐसा दिन चुन लेते हैं जो वास्तु (Vastu Tips) के अनुसार शुभ नहीं माना जाता। इसके परिणाम घर की ऊर्जा पर असर डालते हैं, कभी मनमुटाव बढ़ता है, कभी आर्थिक रुकावटें, तो कभी रोज-रोज की अनचाही दिक्कतें।
इसी वजह से वास्तु एक्सपर्ट बताते हैं कि किन स्पेसिफिक तिथियों और दिनों में गृह प्रवेश बिल्कुल नहीं करना चाहिए। गलत दिन गृह प्रवेश करना घर की सकारात्मक ऊर्जा को कमज़ोर कर सकता है। वहीं सही मुहूर्त में प्रवेश करने से घर में सुख-समृद्धि और शांति बनी रहती है। इसलिए नए घर में कदम रखने से पहले वास्तु का ध्यान रखना बेहद जरूरी हो जाता है।
कौन से दिन गृह प्रवेश नहीं करना चाहिए?
गृह प्रवेश से जुड़े सबसे बड़े भ्रम में से एक यह है कि कोई भी दिन चलता है। जबकि वास्तु शास्त्र में कुछ दिन ऐसे बताए गए हैं जब नए घर में प्रवेश करना ठीक नहीं माना जाता। इन दिनों में गृह प्रवेश करने से घर की सकारात्मक ऊर्जा प्रभावित हो सकती है। एक्सपर्ट के अनुसार, मंगलवार को मंगल दोष और विवाद की आशंका रहती है। शनिवार को शनि की कठोर दृष्टि के चलते मन में अस्थिरता और अनचाही अड़चनें आ सकती हैं। इसलिए इन दोनों दिन गृह प्रवेश वर्जित माना गया है।
किन तिथियों पर रोक है?
वास्तु शास्त्र में कुछ तिथियां ऐसी मानी जाती हैं जिनमें नए घर में प्रवेश करना शुभ नहीं होता। एक्सपर्ट कहती हैं कि चतुर्थी, नवमी, चतुर्दशी, अमावस्या और पूर्णिमा तिथि को गृह प्रवेश करने से बचना चाहिए। चतुर्थी तनाव और कलह बढ़ाती है, नवमी अस्थिरता का संकेत देती है, जबकि चतुर्दशी अचानक रुकावटों का कारण बन सकती है। अमावस्या में नकारात्मक ऊर्जा अधिक होती है और पूर्णिमा मानसिक असंतुलन पैदा कर सकती है।
गृह प्रवेश के लिए कौन से दिन शुभ माने जाते हैं?
गृह प्रवेश हमेशा उन दिनों पर करना चाहिए जो सकारात्मक ऊर्जा को आकर्षित करते हैं। सोमवार चंद्रदेव की शांति देने वाली ऊर्जा से जुड़ा है, बुधवार तरक्की और बुद्धिमत्ता का प्रतीक माना जाता है, जबकि गुरुवार बृहस्पति की कृपा और समृद्धि का दिन है। शुक्रवार प्रेम और सौहार्द को बढ़ाने वाला माना गया है। इन दिनों में की गई गृह प्रवेश पूजा घर की सुख-समृद्धि को मजबूत करती है। इसके अलावा शुक्ल पक्ष की द्वितीया, तृतीया, पंचमी, एकादशी और त्रयोदशी तिथियां भी नए कार्य की शुरुआत के लिए बेहद शुभ और ऊर्जा बढ़ाने वाली मानी जाती हैं।
गृह प्रवेश के दौरान किन बातों का रखें ध्यान?
गृह प्रवेश केवल पूजा का कार्यक्रम नहीं, बल्कि एक ऊर्जा-आधारित प्रक्रिया है जिसमें छोटे-छोटे वास्तु नियम पूरे माहौल को सकारात्मक बना देते हैं। मुख्य द्वार पर तोरण, आम के पत्ते या अशोक के पत्तों की सजावट लगाना शुभ माना जाता है। इसके साथ ही दरवाजे पर स्वास्तिक और श्री का चिन्ह बनाना सकारात्मक ऊर्जा को आमंत्रित करता है। गृह प्रवेश पूजा के दौरान एक चौकी पर कुंभ, नारियल, गंगाजल और रोली रखकर घर में पहली बार प्रवेश करते हुए गौरी-गणेश का ध्यान करना चाहिए। कई परिवार दान-पुण्य भी करते हैं, जिससे नकारात्मक ऊर्जा दूर होकर नई शुरुआत शुभ बनती है।
गलत दिन गृह प्रवेश करने से क्या हो सकते हैं नुकसान?
एक्सपर्ट्स का मानना है कि गलत तिथि पर गृह प्रवेश करने से घर का ऊर्जा संतुलन बिगड़ सकता है। कई बार लोग बिना मुहूर्त देखे प्रवेश कर लेते हैं, जिसके बाद घर में नेगेटिविटी महसूस होने लगती है, छोटी-छोटी बातों पर तनाव बढ़ना, परिवार में कलह होना या शांति न रहना इसकी शुरुआत है। आर्थिक रुकावटें, काम में देरी या अचानक नुकसान होना भी वास्तु के अनुसार गलत दिन प्रवेश करने से जुड़ा माना जाता है। इसके अलावा परिवार के किसी सदस्य की सेहत प्रभावित होना या घर में अस्थिरता महसूस होना भी सामान्य प्रभावों में गिना जाता है। इसलिए विशेषज्ञ साफ कहते हैं कि सही मुहूर्त ही घर को सकारात्मक बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
गृह प्रवेश क्यों माना जाता है इतना खास?
भारत में गृह प्रवेश केवल एक रस्म नहीं, यह घर की पहली ऊर्जा-धारा को स्थापित करने का तरीका है। हमारे शास्त्रों में घर को ऊर्जा का केंद्र बताया गया है, और जब परिवार पहली बार अंदर कदम रखता है तो वही ऊर्जा आने वाले वर्षों तक जीवन को प्रभावित करती है। इसलिए गृह प्रवेश करते समय सही दिशा, सही तिथि और सही दिन का मिलान करना जरूरी माना जाता है। यह संयोजन घर में नई सकारात्मक तरंगों को सक्रिय करता है, जिससे परिवार के लिए सुख-समृद्धि, शांति और स्थिरता सुनिश्चित मानी जाती है।
क्या हर व्यक्ति को पंडित से मुहूर्त पूछना चाहिए?
हर परिवार की परिस्थितियां अलग होती हैं। कई बार ग्रहों की स्थिति, राशि, उम्र या परिवार की जरूरतों के अनुसार गृह प्रवेश की तारीखें बदलती हैं। ऐसे में व्यक्तिविशेष मुहूर्त निकलवाना अधिक उचित रहता है। साथ ही घर की दिशा या किसी संभावित वास्तु दोष की जांच करवाना भी अच्छा होता है। यदि किसी दिशा में कमी या दोष पाया जाता है, तो छोटे-छोटे उपाय करके घर की ऊर्जा को संतुलित किया जा सकता है।
Disclaimer- यहां दी गई सूचना सामान्य जानकारी के आधार पर बताई गई है। इनके सत्य और सटीक होने का दावा MP Breaking News नहीं करता।





