13 मई 2025 को पहला बड़ा मंगल (Bada mangal) है और यह दिन हर हनुमान भक्त के लिए बेहद खास माना जाता है। इस दिन हनुमानजी की पूजा विशेष फलदायी मानी जाती है, खासकर जब उन्हें चोला चढ़ाया जाए। लेकिन कई लोग सिर्फ श्रद्धा में डूबकर विधि को नजरअंदाज कर देते हैं, जिससे लाभ अधूरा रह जाता है। अगर चोला सही विधि से चढ़ाया जाए, तो जीवन की सबसे बड़ी परेशानियां भी दूर हो सकती हैं।
बजरंगबली को चोला चढ़ाने की परंपरा सिर्फ एक धार्मिक क्रिया नहीं, बल्कि एक शक्तिशाली उपाय है जो मनोकामना पूरी करने में मदद करता है। इस दिन हनुमानजी को सिंदूर, चमेली का तेल, जनेऊ और प्रसाद के साथ चोला चढ़ाना चाहिए। यह प्रक्रिया जितनी सरल लगती है, उतनी ही सटीकता भी मांगती है। अगर आप भी इस शुभ मौके पर चोला चढ़ाने जा रहे हैं, तो जान लीजिए इसकी पूरी विधि ताकि हनुमानजी की कृपा आप पर बनी रहे और हर बाधा दूर हो जाए।

पहले बड़े मंगल का महत्व
ज्येष्ठ मास का पहला मंगलवार यानी पहला “बड़ा मंगल” उत्तर भारत, खासकर उत्तर प्रदेश और लखनऊ में बेहद खास माना जाता है। इस दिन हनुमानजी की विशेष पूजा और चोला चढ़ाने की परंपरा है। माना जाता है कि इस दिन की गई पूजा बजरंगबली तक तुरंत पहुंचती है और वो भक्तों की हर मुराद पूरी करते हैं। साल 2025 में यह शुभ दिन 13 मई को पड़ा है। इस दिन मंदिरों में भक्तों की लंबी कतारें लगती हैं, भंडारे होते हैं और श्रद्धा से हनुमानजी को सिंदूर और चमेली के तेल से चोला चढ़ाया जाता है।
हनुमानजी को चोला चढ़ाने की सही विधि
हनुमानजी को चोला चढ़ाने से पहले कुछ बातें ध्यान में रखना जरूरी होता है। सबसे पहले, सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और साफ वस्त्र पहनें। फिर किसी हनुमान मंदिर जाएं, जहां प्रतिमा पर सिंदूर और चमेली का तेल चढ़ाया जाता हो। चोला चढ़ाने से पहले पुजारी से अनुमति लें और भगवान को पंचामृत से स्नान कराएं। इसके बाद हनुमानजी की प्रतिमा को रोली, अक्षत, सिंदूर और चमेली के तेल से सजाएं। चोला चढ़ाते समय “हनुमान चालीसा” या “बजरंग बाण” का पाठ करें। चोला चढ़ाते समय मन में कोई कामना करें, लेकिन किसी को बताएं नहीं। माना जाता है कि चुपचाप मांगी गई मुराद जल्दी पूरी होती है।
हनुमानजी को कब और क्यों चढ़ाया जाता है चोला?
हनुमान चोला चढ़ाने का धार्मिक महत्व
बजरंगबली को चोला चढ़ाना न सिर्फ धार्मिक विश्वास है, बल्कि मानसिक शांति और आत्मबल बढ़ाने का भी माध्यम है। हर मंगलवार को हनुमानजी को चोला चढ़ाया जा सकता है, लेकिन बड़े मंगल पर इसका फल कई गुना अधिक होता है। विशेष रूप से वे लोग जो कर्ज, बीमारी, शत्रु बाधा या मानसिक तनाव से जूझ रहे हैं, उनके लिए यह उपाय बेहद कारगर होता है। चोला चढ़ाते समय जो तेल और सिंदूर उपयोग किया जाता है, उसे बाद में अपने घर के मुख्य द्वार या पूजा स्थान पर लगाया जाए तो नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है। यह परंपरा खासकर उत्तर प्रदेश और मध्य भारत में काफी प्रसिद्ध है, लेकिन अब धीरे-धीरे देशभर में फैल रही है।
चोला चढ़ाने में किन बातों का रखें ध्यान?
हनुमानजी को चोला चढ़ाते समय पवित्रता और नियमों का पालन जरूरी होता है। जो व्यक्ति चोला चढ़ा रहा हो, उसे मांस-मदिरा का सेवन नहीं करना चाहिए और उस दिन ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए। हाथों में रक्षासूत्र या मौली बांध लें और अपने साथ कुछ लाल फूल, बताशे, गुड़, और नारियल जरूर ले जाएं। महिलाएं भी चोला चढ़ा सकती हैं लेकिन उन्हें प्रतिमा को छूने की मनाही होती है, इसलिए वे दूर से ही पूजा करें। जो सिंदूर और तेल चढ़ता है, उसे घर ले जाकर दरवाजे पर लगाने से बुरी नजर का असर खत्म होता है। यदि संभव हो तो उस दिन गरीबों को भोजन कराएं या मंदिर में प्रसाद वितरण करें। ऐसा करने से पुण्य कई गुना बढ़ जाता है और मन की शांति भी मिलती है।
Disclaimer- यहां दी गई सूचना सामान्य जानकारी के आधार पर बताई गई है। इनके सत्य और सटीक होने का दावा MP Breaking News नहीं करता।