Fri, Dec 26, 2025

बड़ा मंगल पर ज़रूर पढ़ें ये चालीसा, दूर होंगे जीवन के सारे संकट

Written by:Bhawna Choubey
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बड़ा मंगल 2025 पर अगर आप पूरी श्रद्धा से करें प्रेतराज चालीसा का पाठ, तो हर तरह की नेगेटिविटी और संकट आपके जीवन से दूर हो सकते हैं। जानिए कब है बड़े मंगल और इस दिन पूजा के सही नियम।
बड़ा मंगल पर ज़रूर पढ़ें ये चालीसा, दूर होंगे जीवन के सारे संकट

बड़ा मंगल का दिन हनुमान जी की विशेष कृपा पाने के लिए बहुत खास माना जाता है। साल 2025 में भी यह दिन भक्तों के लिए शुभ संकेत लेकर आ रहा है। इस बार बड़ा मंगल (Bada Mangal) पर खास चालीसा का पाठ करने से जीवन के कई संकट टल सकते हैं।

बड़ा मंगल हर साल ज्येष्ठ महीने के मंगलवार को मनाया जाता है और 2025 में यह पर्व खास रहने वाला है। इस दिन भक्त हनुमान जी के मंदिरों में जाकर प्रसाद चढ़ाते हैं, भंडारा करते हैं और घर में पूजा रखते हैं। मान्यता है कि इस दिन प्रेतराज चालीसा का पाठ करने से जीवन से हर बाधा और डर दूर हो जाता है। कई भक्तों ने बताया है कि इस पाठ से मानसिक शांति मिलती है और बुरे सपने भी नहीं आते।

प्रेतराज चालीसा पढ़ने का सही समय और तरीका

बड़ा मंगल के दिन सूरज उगने से पहले या शाम को सूर्यास्त के बाद पूजा करना सबसे शुभ माना जाता है। पूजा से पहले स्नान करें, घर के मंदिर या हनुमान जी की मूर्ति के सामने दीपक जलाएं और प्रेतराज चालीसा का पाठ करें। अगर संभव हो तो लाल फूल, गुड़ और चने का भोग भी लगाएं। कहा जाता है कि लगातार सात बड़ा मंगल तक यह पाठ करने से व्यक्ति को जीवन में कभी डर, बाधा या मानसिक अशांति नहीं होती।

बड़ा मंगल 2025 की तिथि और धार्मिक महत्व

उत्तर भारत खासकर लखनऊ और कानपुर जैसे शहरों में इसे बहुत धूमधाम से मनाया जाता है। इस दिन कई मंदिरों में विशाल भंडारे और हनुमान चालीसा के अखंड पाठ का आयोजन होता है।

श्री प्रेतराज चालीसा

॥ दोहा ॥

गणपति की कर वंदना,गुरु चरनन चितलाय।
प्रेतराज जी का लिखूं,चालीसा हरषाय॥
जय जय भूताधिप प्रबल,हरण सकल दु:ख भार।
वीर शिरोमणि जयति,जय प्रेतराज सरकार॥

॥ चौपाई ॥

जय जय प्रेतराज जग पावन। महा प्रबल त्रय ताप नसावन॥
विकट वीर करुणा के सागर। भक्त कष्ट हर सब गुण आगर॥
रत्न जटित सिंहासन सोहे। देखत सुन नर मुनि मन मोहे॥
जगमग सिर पर मुकुट सुहावन। कानन कुण्डल अति मन भावन॥
धनुष कृपाण बाण अरु भाला। वीरवेश अति भृकुटि कराला॥
गजारुढ़ संग सेना भारी। बाजत ढोल मृदंग जुझारी॥
छत्र चंवर पंखा सिर डोले। भक्त बृन्द मिलि जय जय बोले॥
भक्त शिरोमणि वीर प्रचण्डा। दुष्ट दलन शोभित भुजदण्डा॥
चलत सैन काँपत भूतलहू। दर्शन करत मिटत कलि मलहू॥
घाटा मेंहदीपुर में आकर। प्रगटे प्रेतराज गुण सागर॥
लाल ध्वजा उड़ रही गगन में। नाचत भक्त मगन हो मन में॥
भक्त कामना पूरन स्वामी। बजरंगी के सेवक नामी॥
इच्छा पूरन करने वाले। दु:ख संकट सब हरने वाले॥
जो जिस इच्छा से आते हैं। वे सब मन वाँछित फल पाते हैं॥
रोगी सेवा में जो आते। शीघ्र स्वस्थ होकर घर जाते॥
भूत पिशाच जिन्न वैताला। भागे देखत रुप कराला॥
भौतिक शारीरिक सब पीड़ा। मिटा शीघ्र करते हैं क्रीड़ा॥
कठिन काज जग में हैं जेते। रटत नाम पूरन सब होते॥
तन मन धन से सेवा करते। उनके सकल कष्ट प्रभु हरते॥
हे करुणामय स्वामी मेरे। पड़ा हुआ हूँ चरणों में तेरे॥
कोई तेरे सिवा न मेरा। मुझे एक आश्रय प्रभु तेरा॥
लज्जा मेरी हाथ तिहारे। पड़ा हूँ चरण सहारे॥
या विधि अरज करे तन मन से। छूटत रोग शोक सब तन से॥
मेंहदीपुर अवतार लिया है। भक्तों का दु:ख दूर किया है॥
रोगी, पागल सन्तति हीना। भूत व्याधि सुत अरु धन छीना॥
जो जो तेरे द्वारे आते।मन वांछित फल पा घर जाते॥
महिमा भूतल पर है छाई। भक्तों ने है लीला गाई॥
महन्त गणेश पुरी तपधारी। पूजा करते तन मन वारी॥
हाथों में ले मुगदर घोटे। दूत खड़े रहते हैं मोटे॥
लाल देह सिन्दूर बदन में। काँपत थर-थर भूत भवन में॥
जो कोई प्रेतराज चालीसा। पाठ करत नित एक अरु बीसा॥
प्रातः काल स्नान करावै। तेल और सिन्दूर लगावै॥
चन्दन इत्र फुलेल चढ़ावै। पुष्पन की माला पहनावै॥
ले कपूर आरती उतारै। करै प्रार्थना जयति उचारै॥
उनके सभी कष्ट कट जाते। हर्षित हो अपने घर जाते॥
इच्छा पूरण करते जनकी। होती सफल कामना मन की॥
भक्त कष्टहर अरिकुल घातक। ध्यान धरत छूटत सब पातक॥
जय जय जय प्रेताधिप जय। जयति भुपति संकट हर जय॥
जो नर पढ़त प्रेत चालीसा। रहत न कबहूँ दुख लवलेशा॥
कह भक्त ध्यान धर मन में। प्रेतराज पावन चरणन में॥

॥ दोहा ॥

दुष्ट दलन जग अघ हरन,समन सकल भव शूल।
जयति भक्त रक्षक प्रबल,प्रेतराज सुख मूल॥
विमल वेश अंजिन सुवन,प्रेतराज बल धाम।
बसहु निरन्तर मम हृदय,कहत भक्त सुखराम॥