हिंदू धर्म में अमावस्या से लेकर पूर्णिमा तिथि का विशेष महत्व होता है। इस दौरान दान पुण्य का भी धार्मिक मान्यता होती है। इस दिन लोग पवित्र नदियों में स्नान करते हैं। बात करें अमावस्या की तो यह पितरों के तर्पण के लिए बेहद शुभ माना जाता है। इस दिन विशेष उपाय करने से जीवन में खुशियों का आगमन होता है। साथ ही पितृ दोष से छुटकारा मिलता है। वैसे तो हर महीने अमावस्या तिथि आती है। लेकिन भाद्रपद महीने की अमावस्या का अपना अलग ही महत्व है। जिसे कुछ ग्रहणी अमावस्या या पिठोरी अमावस्या के नाम से भी जाना जाता है।
ज्योतिष शास्त्र की माने तो इस दिन पितरों का श्राद्ध तर्पण और पिंडदान करने से उनके आत्मा को शांति मिलती है। यदि आप भी पितृ दोष से परेशान हैं, तो आपको जरूर इस दिन दान-पुण्य करना चाहिए।
सही तिथि
वैदिक पंचांग के अनुसार भाद्रपद अमावस्या की तिथि 22 अगस्त को दिन में 11:55 पर शुरू होगी। जिसका समापन अगले दिन यानी 23 अगस्त को 11:35 पर होगा। ऐसे में 23 अगस्त को भाद्रपद अमावस्या मनाई जाएगी। जो कि शनिवार को पढ़ रहा है। ऐसे में यह दिन और भी ज्यादा खास हो जाता है। क्योंकि इस दिन शनि महाराज की भी विशेष पूजा अर्चना की जाती है।
महत्व
इस अमावस्या के महत्व की बात करें तो हिंदू धर्म में कुछ ग्रहणी अमावस्या के नाम से भी जाना जाता है। मान्यताओं के अनुसार, इस दिन एकत्र की गई कुछ बहुत ही ज्यादा पवित्र होती है। यह जीवन के लिए लाभदायक भी होता है। इस दिन जो महिलाएं व्रत रखती है। उनके संतान को दीर्घायु का आशीर्वाद मिलता है। साथ ही जीवन में सुख और समृद्धि आती है। व्रत के दौरान महिलाएं आटे से 64 योगिनियों की प्रतिमा बनाकर उनकी पूजा करती है। जिससे जीवन में आने वाले हर समस्याओं का समाधान मिल सके। यह दिन पिंडदान तर्पण और श्राद्ध कर्म के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण माना गया है। कहा जाता है कि यदि इस दिन गरीब और जरूरतमंदों की मदद की जाए, तो आने वाले हर संकट टल जाते हैं।
करें ये काम
इस दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करने के बाद सूर्य देव को जल अर्पित करना चाहिए। ब्राह्मणों को भोजन करवा सकते हैं। इसके अलावा, जिन्हें जरूरत है उन्हें वस्त्र, किताब, कंबल आदि का भी दान कर सकते हैं। इस दिन तामसिक भोजन का सेवन न करना ही ज्यादा उचित माना गया है। ऐसा करने से पितरों का आशीर्वाद मिलता है।
(Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है। MP Breaking News किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है। किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें।)





