Interesting Facts : रामायण और महाभारत हिंदू धर्म के महत्वपूर्ण ग्रंथ में शामिल है। जिसमें भगवान राम और भगवान श्री कृष्ण की कथाएं लिखी गई है। इसके अलावा, महाभारत के युद्ध का भी वर्णन विस्तारपूर्वक किया गया है। इसी में गीता का ज्ञान भी दिया गया है, जो कि भगवान श्री कृष्ण द्वारा अर्जुन को दिया गया था। इस दौरान उन्होंने यह कहा था कि मनुष्य को बिना कर्मों की फल की चिंता किए बगैर निरंतर आगे बढ़ते रहना चाहिए।
वैसे तो सभी भगवान और सभी योद्धाओं के बारे में अमूमन लोगों को जानकारी होती ही है, लेकिन क्या आपको पता है भगवान श्री राम का पोता कौन है? जिसने ना केवल महाभारत के युद्ध में भाग लिया था बल्कि कौरवों की ओर से लड़ाई भी लड़ी थी।
महाभारत काल से जुड़ा है रहस्य
दरअसल, इसका रहस्य महाभारत काल से जुड़ा हुआ है। बता दें कि इस युद्ध में कौरवों की ओर से लड़ने वाला एक योद्धा भगवान श्री राम का पोता भी था। जिसका नाम बृहद्बल था। इस लड़ाई में उसने पांडवों का नहीं, बल्कि कौरवों का साथ दिया था, जो कि अधर्मी था। जैसा कि हम सभी जानते हैं यह लड़ाई असत्य पर सत्य, अधर्म पर धर्म की लड़ाई थी, जिसमें पांडवों की जीत पक्की थी।
क्यों चुना अधर्म का रास्ता
पौराणिक ग्रंथों के अनुसार, राजा बृहद्बल कुश की 32वीं पीढ़ी थे। वह हर तरह से युद्ध कौशल में निपुण थे। ग्रंथ में इस बात का जिक्र किया गया है कि आखिर बृहद्बल ने पांडवों के पक्ष से युद्ध क्यों नहीं लड़ा था। उसके पीछे का कारण है कि पांडवों ने महाभारत होने से पहले अयोध्या पर आक्रमण करके बृहद्बल को हरा दिया था। जिस कारण यहां उनका अधिकार हो गया था। इसके बाद राजसुयी यज्ञ की घोषणा की गई। इस बात से बृहद्बल काफी ज्यादा क्रोधित थे। ऐसे में जब महाभारत युद्ध का उनके पास प्रस्ताव आया, तब उन्होंने कौरवों को चुना, ताकि वह अपने क्रोध की ज्वाला को शांत कर सके।
उन्होंने यह जानते हुए भी अधर्मी कौरवों का साथ दिया। इस युद्ध में अधिकतर योद्धा मारे गए थे। ऐसे में बृहद्बल की भी मौत अभिमन्यु के हाथों हुई थी। हालांकि, राजा बृहद्बल के बारे में बहुत से लोगों को पता भी होगा, लेकिन लोग यह नहीं जानते कि राजा वह भगवान श्री राम के वंशज थे।
(Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है। MP Breaking News किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है।)