Chanakya Niti : आचार्य चाणक्य भारतीय इतिहास के महत्वपूर्ण व्यक्तित्वों में से एक हैं। उनके नीतिग्रंथ “अर्थशास्त्र” और “चाणक्य नीति” आज भी लोगों के लिए मार्गदर्शक हैं। उनकी नीतियां और विचार कठोर हो सकते हैं लेकिन वे जीवन की सच्चाई और व्यवसायिक योजनाओं के लिए महत्वपूर्ण हैं। चाणक्य ने अपनी नीतियों में सामाजिक और राजनीतिक जीवन के विभिन्न पहलुओं पर गहरा अध्ययन किया था। आचार्य चाणक्य को अर्थशास्त्र, राजनीति और कूटनीति का बेहतरीन पात्र माना जाता है। उन्होंने अपने जीवन के दौरान भारतीय इतिहास में महत्वपूर्ण भूमिकाएं निभाई हैं। इसी में से आज आपको हम उनकी एक विश्लेशष के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसमें उन्होंने जीवन में बुरा वक्त शुरू होने के लक्षणों के बारे में बताया है। यदि समय रहते हम उन बातों पर ध्यान दें, तो बेशक उस बुरे समय से बचा जा सकता है…
तुलसी का पौधा सूख जाना
चाणक्य नीति में तुलसी के पौधे का सूख जाना भविष्य में आने वाली आर्थिक संकट का संकेत माना जाता है। बता दें कि तुलसी का पौधा हिन्दू धर्म में बहुत महत्वपूर्ण होता है। हर घर के आंगन में तुलसी विराजमान रहती हैं। हर रोज उनकी विधि-विधान से पूजा की जाती है, जिससे घर में सुख-समृद्धि बनी रहे। चाणक्य नीति के अनुसार, यदि पूरी देखभाल के बावजूद तुलसी का पौधा सूख जाता है तो इसे नजरअंदाज करने के बाजए सतर्क हो जाएं।
अकारण ही घर में कलेश होना
चाणक्य नीति के अनुसार, बिना किसी कारण घर में लड़ाई-झगड़े और कलह होते रहना आर्थिक संकट की संकेत हो सकता है। इससे घर की सुख-शांति भंग होती है। साथ ही सभी कार्य में अडचनें पैदा होती है। बनते काम बिगड़ जाते हैं। कई बार ऐसी घटनाएं ग्रह, दोष आदि के कारण भी होती है। अगर आपके साथ ऐसी घटना हो रही हैं तो फौरन सावधान हो जाएं। अन्यथा, आपको आर्थिक संकटों से जुझना पड़ सकता है।
बार-बार कांच टूटना
घर में बार-बार कांच का टूटना धन की हानि और आर्थिक समस्याओं का संकेत हो सकता है। चाणक्य नीति के अनुसार, कांच का टूटना बुरे भाग्य का संकेत हो सकता है और यह दरिद्रता की ओर भी इशारा करता है। यदि किसी के घर में बार-बार कांच टूट रहा है, तो वो सतर्क हो जाएं ताकि वे आर्थिक संकटों से बचा जा सके। वहीं, टूटे हुए कांच में अपने चेहरे को ना देखें, इससे आपका आने वाले कई साल बहुत कष्टदायी हो जाएंगे।
बड़े-बुजुर्गों का तिरस्कार
बड़े-बुजुर्गों का सम्मान करना और उनके साथ अच्छा व्यवहार करना बहुत महत्वपूर्ण है। चाणक्य नीति के अनुसार, जिस घर में बड़े-बुजुर्गों का तिरस्कार होने लगे, उन्हें जीवन में भारी कीमत चुकानी पड़ती है। आर्थिक और आत्मिक संकट से जुझना पड़ता है। इसलिए हमें हमेश इनका आदर करना चाहिए। यही हमारी संस्कृति और नैतिकता की पहचान है। बड़े-बुजुर्गों की सलाह और अनुभव हमें जीवन के बड़े मुद्दों का समाधान ढूंढने में मदद करते हैं। उनकी अमूल्य सीखें हमें जीवन में मार्गदर्शन प्रदान करती हैं। इससे हमें आत्मिक और सामाजिक सुख-शांति मिलती।
पूजा-पाठ नहीं होना
चाणक्य के अनुसार, जिस घर में देवी-देवताओं का सम्मान नहीं होता, पूजा-पाठ नहीं होता उस घर में कभी मां लक्ष्मी वास नहीं करती। जिसके कारण उनके घर में हमेशा मतभेद की स्थिति बनी रहती है। आर्थिक संकटों से जुझना पड़ता है। यदि आपके घर में ऐसा हो रहा है तो तुरंत अपनी आदतों में सुधार करें क्योंकि पूजा-पाठ करने से व्यक्तिगत और सामाजिक सुख की प्राप्ती होती है। इससे न केवल आर्थिक बल्कि मानसिक और आध्यात्मिक शांति भी मिलती है।
(Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है। MP Breaking News किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है। किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें।)