Thu, Dec 25, 2025

Chhath Puja 2024: नहाए खाए से लेकर अर्घ्य देने तक, जानें पूरी डिटेल्स

Written by:Sanjucta Pandit
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यह लोगों की आस्था और भावना से जुड़ा त्योहार है। इस दिन का लोग बड़ी बेशब्री से इंतजार करते हैं। बता दें कि छठ पूजा साल में 2 बार मनाई जाती है। पहले छठ को चैती छठ कहते हैं, तो वहीं दिवाली के बाद मनाए जाने वाली छठ को कार्तिक छठ कहते हैं।
Chhath Puja 2024: नहाए खाए से लेकर अर्घ्य देने तक, जानें पूरी डिटेल्स

Chhath Puja 2024 : हिंदू धर्म का सबसे कठिन त्योहार छठ का महापर्व शुरू होने वाला है। जिसके लिए लोगों ने घरों में तैयारियां शुरू कर दी है। दिवाली खत्म होते ही पूर्वोत्तर इलाकों में छठ महापर्व की तैयारी शुरू कर दी जाती है। यह एक ऐसा त्योहार होता है, जब व्रती अपने पति और बच्चों के लिए 36 घंटे का निर्जला व्रत रखती हैं। यह पर्व पूरे 4 दिन बड़े हर उत्साह के साथ मनाया जाता है। यह एक ऐसा त्योहार है, जब परिवार के लोग एकत्रित होते हैं और एक साथ इसे मानते हैं।

छठ मुख्य रूप से बिहार, उत्तर प्रदेश, झारखंड और पश्चिम बंगाल के कुछ हिस्सों में मनाया जाता है। यह एकमात्र ऐसा त्योहार है, जिसमें उगते सूर्य के साथ-साथ ढलते सूर्य की भी पूजा की जाती है। यह सबसे ज्यादा कठिन व्रत माना जाता है। इसलिए इसे लोग पर्व नहीं महापर्व कहते हैं। यह लोगों की आस्था और भावना से जुड़ा त्योहार है। इस दिन का लोग बड़ी बेशब्री से इंतजार करते हैं। बता दें कि छठ पूजा साल में 2 बार मनाई जाती है। पहले छठ को चैती छठ कहते हैं, तो वहीं दिवाली के बाद मनाए जाने वाली छठ को कार्तिक छठ कहते हैं।

5 नवंबर से शुरू (Chhath Puja 2024)

हिंदू पंचांग के अनुसार, इस साल 5 नवंबर को नहाए खाए से छठ महापर्व शुरू होगी। जिसका समापन 8 नवंबर को अर्घ्य देने के साथ होगा। 4 दिनों तक चलने वाले छठ पूजा का पहला दिन नहाए खाए से शुरू होता है। दूसरा दिन खरना तो वहीं तीसरे दिन डूबते सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है। चौथे दिन उगते सूर्य को अर्घ्य देने के साथ ही इसका समापन हो जाता है।

  • पहला दिन, 5 नवंबर 2024- नहाय खाय
  • दूसरा दिन, 6 नवंबर 2024- खरना
  • तीसरा दिन, 7 नवंबर 2024-संध्या अर्घ्य
  • चौथा दिन, 8 नवंबर 2024- उगते सूर्य को अर्घ्य

पौराणिक मान्यताएं

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, पहली बार त्रेता युग में माता सीता ने छठ का व्रत किया था। तो वहीं भगवान श्री राम ने सूर्य देव की आराधना की थी। इसके अलावा, द्वापर युग में दानवीर कर्ण और द्रौपदी ने भगवान सूर्य की पूजा और उपासना की थी। तब से ही छठ का त्योहार बड़े ही श्रद्धा के साथ मनाया जाता है। एक और मान्यता है जिसके अनुसार, राजा प्रियंवद ने सबसे पहले छठ माता की पूजा की थी। 36 घंटे निर्जला व्रत रखने वाले जातकों के जीवन से सभी प्रकार के दुख कष्ट दूर हो जाते हैं।

मुख्य प्रसाद

इस त्योहार पर मुख्य रूप से ठेकुआ चढ़ाया जाता है, जिसे लोग स्पेशल प्रसाद कहते हैं। जिसके बिना पूजा अधूरी मानी जाती है। इसके अलावा, सुप में सभी प्रकार के फल चढ़ाए जाते हैं। पटना, भागलपुर, दानापुर, इत्यादि बिहार के मुख्य शहरों में और नदियों के किनारे छठ घाट पर इस दिन भक्तों की खचाखच भीड़ देखने को मिलती है। 4 दिन छठ का व्रत करने वाले लोगों के घरों में चहल-पहल बनी रहती है। बाजारें तरह-तरह के फलों, गन्नों से सजकर तैयार रहती है। कुछ लोग गाड़ी से छठ घाट पहुंचते हैं, तो कुछ लोग पैदल ही वहां तक जाते हैं। कई जगह पर मेले का भी आयोजन किया जाता है।

(Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है। MP Breaking News किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है। किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें।)