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Sun, Dec 7, 2025

घाट की जगह घर पर करना चाहते हैं छठ पूजा, इस विधि और नियमों का रखना होगा ध्यान

Written by:Diksha Bhanupriy
बिहार और झारखंड जैसे इलाकों में छठ पूजा का विशेष महत्व माना गया है। चलिए आगे जान लेते हैं क्या अगर घाट पर नहीं जा पा रहे हैं तो घर पर यह पूजा कैसे करें।
घाट की जगह घर पर करना चाहते हैं छठ पूजा, इस विधि और नियमों का रखना होगा ध्यान

दीपावली के बाद अगर किसी सबसे प्रमुख त्यौहार की चर्चा होती है तो वह छठ (Chhath Puja 2025) का होता है। यह ऐसा त्यौहार है जिस दिन सूर्य देव और छठी मैया की पूजन की जाती है। ये व्रत 4 दिनों का होता है जो बहुत ही कठिन कहलाता है। इसलिए बात 25 अक्टूबर से शुरू होगा और 28 अक्टूबर तक चलेगा।

छठ व्रत को लेकर जो धार्मिक मान्यता है उसके मुताबिक इसकी पूजा पवित्र नदियों के तट पर होती है। हालांकि जो व्रत रखता है उसके लिए कई बार तट पर जाकर यह पूजन करना मुश्किल होता है। ऐसे में अगर वह चाहे तो अपने घर पर श्रद्धा और नियमों के मुताबिक छठ पूजा कर सकता है। घर पर की गई पूजन में कुछ विशेष नियम और विधि का पालन करना जरूरी है। चलिए इस बारे में जानते हैं।

कब-कब है छठ का व्रत (Chhath Puja 2025)

छठ का व्रत 25 अक्टूबर दिन शनिवार को नहाय खाय से शुरू होगा। 26 अक्टूबर को खरना, 27 अक्टूबर को संध्या अर्घ्य और 28 अक्टूबर को उषा अर्घ्य के साथ ये व्रत संपन्न होगा।

क्या है सूर्यास्त सूर्योदय का समय

27 अक्टूबर को शाम 5:40 पर सूर्यास्त होगा और 28 अक्टूबर को सुबह 6:30 पर सूर्योदय होने वाला है। यही वो दो समय है जब सूर्य और छठी मैया को अर्घ्य दिया जाता है।

जान लें जरूरी नियम और विधि

  • अगर आप घर पर पूजन कर रहे हैं तो आपके घर की छत, आंगन या बालकनी में साफ सुथरा स्थान चुनना चाहिए।
  • अब ईंट और मिट्टी के उपयोग से एक गोल या चौकोर जल कुंड बनाएं।
  • अगर यह नहीं कर सकते तो आप बड़े से टब या प्लास्टिक कंटेनर का इस्तेमाल कर सकते हैं। यह पूरी तरह से साफ और नया होना चाहिए।
  • इस कुंड में भरा हुआ जल व्रत करने वाले की कमर तक आना चाहिए ताकि वह अर्घ्य देते समय इसका अनुभव कर सके।
  • कुंड में थोड़ा गंगाजल जरूर मिला लें ताकि यह पूरी तरह से स्वच्छ और शुद्ध रहे।
  • अगर आपके घर में कोई व्रत कर रहा है तो लहसुन और प्याज सहित किसी भी तरह की तामसिक वस्तु का प्रयोग ना करें।
  • छठ के प्रसाद में चावल के लड्डू और ठेकुआ जैसी चीजों को पवित्रता का ध्यान रखते हुए बनाएं।
  • इस व्रत के दौरान पलंग पर सोना वर्जित माना गया है। जो व्यक्ति व्रत कर रहा है उसे जमीन पर चटाई बिछाकर सोना पड़ता है।
  • व्रत करने वाले व्यक्ति को बिना सिले हुए और साफ-सुथरे कपड़े पहनना चाहिए। सूर्योदय और सूर्यास्त के समय अर्घ्य घर के कुंड में ही दें।
  • पूजन में जो भी मौसमी फल, गन्ना, ठेकुआ और अन्य पकवान उपयोग होते हैं, उन्हें आपको बांस या पीतल की टोकरी में रखना चाहिए।
  • तांबे के लोटे में जल और दूध मिलाकर सूर्य देव को अर्घ्य दें। ये अर्घ्य व्रत करने वाले को हमेशा कुंड में खड़े होकर सूर्य की तरफ मुख करके देना होगा।
  • अर्घ्य देते समय छठी मैया ओर सूर्य देवता का ध्यान करें। अपनी मनोकामना पूर्ति का आशीर्वाद मांगे और पूजा में हुई गलती के लिए क्षमा मांगे।

Disclaimer: यहां दी गई सूचना केवल एक सामान्य जानकारी है। उपयोग करने से पहले संबंधित विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें। MP Breaking News इसकी पुष्टि नहीं करता।