सनातन धर्म में हर साल ज्येष्ठ महीने के कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा तिथि को नारद जयंती मनाई जाती है। इस दिन महर्षि नारद जी की पूजा अर्चना की जाती है। सभी वेद पुराणों में इनका जिक्र पाया जाता है। उनकी पूजा अर्चना करने से जातक को भौतिक सुख और शांति मिलती है। इस दिन व्रत रखकर विधि-विधान से उनकी अराधना करना बेहद शुभ माना गया है।
वैदिक पंचांग के अनुसार, 13 मई को नारद जयंती मनाई जाएगी। इस दिन शुभ योग का भी निर्माण हो रहा है। नारद जी को भगवान विष्णु का परम भक्त माना जाता है।

शुभ मुहूर्त
वैदिक पंचांग के अनुसार, ज्येष्ठ महीने के कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा तिथि 12 मई को देर रात 10:25 पर होगी। जिसका समापन 14 मई को देर रात 12:35 पर होगा। उदया तिथि के अनुसार, 13 मई को नारद जयंती मनाई जाएगी। इस अवसर पर ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करके साफ वस्त्र धारण करें। मंदिर की साफ-सफाई कर नारद जी की पूजा करें। इसके अलावा, फल, मिठाई, लड्डू चढ़ाकर भोग अर्पित करें।
बन रहा ये योग
इस खास मौके पर शिव वास योग का निर्माण हो रहा है। जिसका समापन 14 मई को देर रात 12:35 पर होगा। इस समय पर भगवान विष्णु और नारद जी की उपासना करने पर जातक के सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती है।
करें दान
इस दिन दान-पुण्य का भी विशेष महत्व है। ब्राह्मणों को भोजन करना अत्यधिक लाभदाई होगा। हिंदू धर्म में दान को पुण्य का कार्य माना गया है। ऐसे में यदि आप जरूरतमंदों के बीच दान करते हैं, तो आपकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होगी।
दिव्य दूत
धार्मिक ग्रंथो में ऋषि मुनि नारद को देवताओं और राक्षस के बीच का एक दिव्य दूत माना जाता है। वह तीनों लोगों की संदेश वाहक कहे जा सकते हैं। वह कोई शस्त्र नहीं रखते, बल्कि उनके पास एक वीणा है, जो कि पारंपरिक वाद्य यंत्र है। धार्मिकल ग्रंथों में यह कहा जाता है कि नारद जी आकाश के रास्ते आते-जाते हैं। कहीं भी दो घड़ी से ज्यादा नहीं रुकते। ऋषि मुनि नारद को खगोल, भूगोल, विज्ञान, श्रुति-स्मृति, इतिहास, पुराण, व्याकरण, वेदांग, संगीत, ज्योतिष और योग सहित कई शास्त्रों का विद्वान माना जाता है।
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