Dahi Handi 2023 : दही हांडी उत्सव भारत के महत्वपूर्ण हिंदू उत्सवों में से एक है जो कि भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की नवमी तिथि को मनाया जाता है। इस दिन श्रीकृष्ण के बचपन की यादों को ताजा किया जाता है। इस दिन लोग गोपाल के नाम से भी जाने जाने वाले श्रीकृष्ण की बाल लीलाओं का आयोजन करते हैं। जैसा कि आप सभी को पता है कि बाल गोपाल को दूध से बनी चीजों से कितना प्रेम था। इसलिए दही हांडी उत्सव के द्वारा लोग भगवान श्रीकृष्ण की बाल लीलाओं की याद में खुशियां मनाते हैं और उनके प्रति अपने प्रेम की भावना को व्यक्त करते हैं। दही हांडी के रूप में दूध, माखन, दही आदि के भोग का आयोजन करके बड़े धूमधाम से इसे मनाया जाता है।
तिथि
पचांग के अनुसार, भाद्रपद मास की अष्टमी तिथि का समापन 7 सितंबर को शाम 4.14 मिनट पर होगा। जिसके बाद नवमी तिथि शुरू होगी, जिस दिन दही हांडी का उत्सव मनाया जाएगा। इसलिए यह पर्व 7 सिंतबर दिन गुरुवार को बड़े हर्षोल्लास और आनंद के साथ मनाया जाएगा। जिसमें लोग भगवान श्रीकृष्ण की प्रेम और भक्ति का संबोधन करते हैं।
क्यों मनाते हैं दही हांडी
भगवान श्रीकृष्ण अपने बाल रुप में माखन चोरी कर खाया करते थे। वह रोज अपने मित्रों के साथ खेलने जाते थे और माखन चुराकर खा जाया करते थे। इससे परेशान होकर गोपियां उनकी मां को उनकी शिकायत भी करती थी। उसे बचाने के लिए वो मक्खन को ऊपर लटकाना शुरू कर दिया लेकिन कान्हा कहां रुकने वाले थे। वो मित्रों की श्रृंख्ला बनाकर मटके तक पहुंच जाते थे और उसे फोड़कर दोस्तों के साथ मिलकर मक्खन चट कर जाते थे। इस प्रकार उन्हें माखन चोर नाम से पुकारा जाने लगा।
ऐसे मनाते हैं उत्सव
बता दें कि इस उत्सव में गोपाला के रूप में लड़के-लड़कियाँ भाग लेते हैं और मटकी तोड़ने का प्रयास करते हैं। यह उत्सव न केवल श्रीकृष्ण की आराधना का माध्यम है बल्कि यह भगवान के साथ खेलने, मनोरंजन करने और एक-दूसरे के साथ आनंद साझा करने का खुबसुरत तरीका होता है। इस दौरान गोपाला बनकर मटकी तोड़ने की प्रतियोगिता में भाग लिया जाता है। जिसमें विजेता को इनाम मिलता है।
(Disclaimer: यहां मुहैया सूचना अलग-अलग जानकारियों पर आधारित है। MP Breaking News किसी भी तरह की जानकारी की पुष्टि नहीं करता है।)