15 नवंबर को मनाई जाएगी देव दीपावली, जानें शुभ मुहूर्त और महत्व, इस दिन भूलकर भी ना करें ये काम

वाराणसी में देव दीपावली के दिन श्रद्धालु दूर-दराज से यहां पहुंचते हैं और गंगा नदी में स्नान करने के बाद महादेव की पूजा करते हैं, जिससे उनके जीवन के सभी कष्ट, रोग और दोष दूर हो जाते हैं।

Sanjucta Pandit
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Dev Deepawali

Dev Deepawali 2024 : देव दीपावली का त्योहार कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा के प्रदोष काल में मनाई जाती है। यह उत्तर प्रदेश के वाराणसी में बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है। इस दिन लोग घाटों पर दीपों की बातें जलाते हैं। पूरा शहर दिए से जगमगा उठता है। इसके लिए पहले से ही तैयारी शुरू कर दी जाती है। सड़कों को रंग-बिरंगी लाइटों से सजा दिया जाता है। घाटों को फूलों से सजाते हैं। वहीं, देव दीपावली के खास मौके पर प्रशासन भी अलर्ट रहते हैं। सुरक्षा के लिए चप्पे-चप्पे पर पुलिस और राहत व बचाव की टीमें तैनात की जाती है, ताकि किसी प्रकार की कोई अनहोनी ना हो।

इस खास मौके पर पवित्र नदियों में स्नान करने के बाद भगवान शिव की पूजा-अर्चना करने का विधान है। वहीं, वाराणसी में देव दीपावली के दिन श्रद्धालु दूर-दराज से यहां पहुंचते हैं और गंगा नदी में स्नान करने के बाद महादेव की पूजा करते हैं, जिससे उनके जीवन के सभी कष्ट, रोग और दोष दूर हो जाते हैं।

शुभ मुहूर्त (Dev Deepawali 2024)

हिंदू पंचांग के अनुसार, इस साल कार्तिक महीने की पूर्णिमा तिथि 15 नवंबर को सुबह 06:19 पर शुरू होगा, जिसका समापन इसके अगले दिन यानी 16 नवंबर की रात 02:58 पर होगा। उदयातिथि के अनुसार, देव दीपावली का त्योहार 15 नवंबर को मनाई जाएगी। वहीं, दीप जलाने का शुभ मुहूर्त 15 नवंबर को शाम 05:08 से शुरू होगा जो कि शाम 07:45 तक रहेगा। ऐसे में आप पूरे 02 घंटे 39 मिनट के शुभ समय में दीपक जला सकते हैं।

स्वर्ग की भद्रा

बता दें कि देव दीपावली दिवाली के 15 दिन बाद मनाई जाती है। ज्योतिष शास्त्रों के अनुसार, इस साल स्वर्ग की भद्रा है। भद्रा का समय सुबह में 6 बजकर 44 मिनट से लेकर शाम 4 बजकर 37 मिनट तक है, जबकि राहुकाल सुबह 10 बजकर 45 मिनट से दोपहर 12 बजकर 6 मिनट तक है। हालांकि, इसका किसी पर भी अधिक प्रभाव देखने को नहीं मिलेगा।

धार्मिक मान्यता

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, देव दीपावली के दिन देवगन धरती पर दिवाली मनाने आते हैं। पौराणिक कथाओं में इस बात का जिक्र पाया गया है कि भगवान शिव ने जब त्रिपुरा राक्षस का वध किया था, तब सभी देवी-देवता भय से मुक्त होकर शिव की नगरी काशी आए थे और वहां उन्होंने गंगा स्नान कर उनकी पूजा-अर्चना कर की थी। इसके साथ ही खुशी में पूरी नगरी को दीप से रौशन कर दिया था, तब से लेकर आज तक देव दीपावली बड़े ही उल्लास के साथ मनाया जाता है। इसलिए इसे देवताओं की दिवाली कहते हैं।

घाटों की सजावट

लोग देवागणों का स्वागत करने के लिए घाटों को सजाते हैं। इसके अलावा, मंदिर और देवालयों की खास सजावट की जाती है। लाइटों से पूरा शहर दुल्हन की सज उठता है। हर साल वाराणसी में लाखों की संख्या में दीपक जलाए जाते हैं। फूलों की रंगोली बनाई जाती है।

भूलकर भी न करें ये काम

  • इस दिन उपहार देते समय किसी को चमड़े की वस्तु न दें।
  • घर पर क्लेश ना करें किसी से भी वाद-विवाद से बचें।
  • शराब और मांसाहारी भोजन से बचें।
  • पूजा घर को रात भर खाली ना छोड़े एक दिया लगातार जलना चाहिए।
  • इस दिन पूजा पाठ पर विशेष ध्यान दें।
  • शुभ अवसर पर मोमबत्ती की बजाय दिए जलाएं क्योंकि यह शुभ माना जाता है।
  • पूजा के समय लक्ष्मी जी की आरती गाते वक्त हाथ से ताली ना बजाए।
  • आतिशबाजी करने से बचें।

(Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है। MP Breaking News किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है। किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें।)


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मैं संयुक्ता पंडित वर्ष 2022 से MP Breaking में बतौर सीनियर कंटेंट राइटर काम कर रही हूँ। डिप्लोमा इन मास कम्युनिकेशन और बीए की पढ़ाई करने के बाद से ही मुझे पत्रकार बनना था। जिसके लिए मैं लगातार मध्य प्रदेश की ऑनलाइन वेब साइट्स लाइव इंडिया, VIP News Channel, Khabar Bharat में काम किया है।पत्रकारिता लोकतंत्र का अघोषित चौथा स्तंभ माना जाता है। जिसका मुख्य काम है लोगों की बात को सरकार तक पहुंचाना। इसलिए मैं पिछले 5 सालों से इस क्षेत्र में कार्य कर रही हुं।

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