दिवाली भारत का सबसे बड़ा फेस्टिवल है। इसके लिए लोग सालभर इंतजार करते हैं। यह वह मौका होता है, जब लोग सारे पुराने गिले-सिकवे भूलकर एक-दूसरे के साथ साथ नए सिरे से रिश्ता शुरू करते हैं। इस दौरान सभी के घरों में विभिन्न प्रकार के पकवान बनाएं जाते हैं। बहुत ही जल्द ये त्योहार आने वाला है, जिसके लिए लोगों ने अभी से ही तैयारियां शुरू कर दी है। बाजारों में तरह-तरह के सजावट के सामान बिकने लगे हैं। रोशनी से सजे घर, गलियां और मंदिर जगमगाते हैं। परिवार के लोग एक साथ जुटते हैं, मां लक्ष्मी और गणेश की पूजा करते हैं और दीपदान से अंधकार को दूर भगाते हैं। बाजारों की रौनक, बच्चों की हंसी-ठिठोली और मिठाइयों की खुशबू से हर ओर त्योहार (Diwali Safety Tips) का उल्लास महसूस होता है। हर साल की तरह इस बार भी दिवाली का इंतजार पूरे देश को है।
दिवाली खुशियों, रोशनी और अपनों से मिलने का त्योहार है। मां लक्ष्मी की पूजा से लेकर घर-आंगन में दीये सजाने तक… हर चीज में एक अलग ही रौनक होती है। इन सबके बीच जैसे ही पूजा खत्म होती है, बच्चों की मस्ती शुरू हो जाती है।

बच्चों का रखें खास ख्याल
जी हां, पूजा खत्म होने के इंतजार में बच्चे जैसे तैसे समय को काट लेते हैं, लेकिन इसकी समाप्ती के बाद फुलझड़ियां, चकरी, अनार, बम फोड़ने में व्यस्त हो जाते हैं। फिर उन्हें न भूख लगती है और न ही प्यास… पर इसी खुशी के बीच जरा-सी लापरवाही पूरी दिवाली का रंग फीका कर सकती है। आंकड़े उठाकर देखे जाए तो हर साल हजारों लोग पटाखों से झुलसते हैं। किसी की आंखों को नुकसान होता है, तो किसी के कान पर बुरा असर पड़ता है। ऐसे में बच्चे लेकर हर वर्ग के लोगों को दिवाली के दौरान कुछ खास सेफ्टी टिप्स को फॉलो करना चाहिए, जिससे वह सुरक्षित अपना फेस्टिवल मना पाएंगे।
आंखों का ध्यान
पटाखे जलाते वक्त आंखों का ध्यान सबसे पहले रखें। एक चिंगारी या बारूद का छोटा-सा कण भी आंख को नुकसान पहुंचा सकता है। अगर गलती से आंख में कुछ चला जाए तो तुरंत ठंडे पानी के छींटे मारें, आंखों को मलने की गलती न करें और किसी देसी नुस्खे में न पड़ें, सीधे आंखों के डॉक्टर के पास जाएं। कई बार छोटी सी जलन बाद में बड़ी समस्या में बदल जाती है।
कानों की सेफ्टी
WHO के मुताबिक, अगर 85 डेसिबल से ज्यादा शोर कान में जाए, तो उसकी सुनने की शक्ति पर असर पड़ता है। दिवाली पर कई पटाखे 120-130 डेसिबल तक आवाज करते हैं, जो कि सीधे तौर पर कानों के लिए खतरनाक है। ऐसे में कोशिश करें कि बच्चों को ऐसे पटाखों से दूर रखें और खुद भी कम से कम 4 मीटर की दूरी बनाकर खड़े हों। बहुत छोटे बच्चे और बुजुर्गों के कान पटाखों के तेज धमाकों से तुरंत प्रभावित हो सकते हैं।
मास्क पहनें
दिवाली पर हवा में धुंआ और जहरीले कण भर जाते हैं। जो लोग अस्थमा या सांस की बीमारी से जूझ रहे हैं, उनके लिए यह बेहद खतरनाक हो सकता है। बाहर जाते वक्त मास्क जरूर पहनें, खासकर बच्चों और बुजुर्गों को इस बात का खास ख्याल रखना चाहिए।
ध्यान से रखें दीया
दीये सजाना दिवाली की खूबसूरती है, लेकिन इन्हें पर्दे, कागज या लकड़ी के फर्नीचर के पास न रखें। दीया जलाते वक्त सूती कपड़े पहनें और बाल खुले न छोड़ें। थोड़ी सी लापरवाही से आग फैलने में सेकंड भी नहीं लगता, इसलिए बहुत ही ज्यादा सावधानी बरतें।
बरतें सावधानियां
- बच्चों को पटाखे अकेले जलाने न दें।
- किसी पटाखे को सीधे हाथ में पकड़कर न जलाएं।
- अगर पटाखा नहीं फूटे, तो उसे छूएं नहीं।
- पॉलिस्टर या ढीले कपड़े पहनने से बचें, सूती कपड़े पहनें।
- जहां पटाखे जला रहे हैं, वहां पास में पानी की बाल्टी या बालू का डिब्बा जरूर रखें।
- घर के अंदर नहीं, खुली जगह में ही पटाखे फोड़ें।
(Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है। MP Breaking News किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है।)










