हिंदू धर्म में कुछ ऐसी जरूरत के समान है, जिसके बिना पूजा अधूरी मानी जाती है। इनमें से एक स्वास्तिक भी है, जो किसी भी मांगलिक कार्य के शुरू होने से पहले बनाया जाता है। चाहे विवाह हो या फिर मंगल ग्रह प्रवेश हो या फिर सतनारायण भगवान की कथा, पुजारी सबसे पहले स्वास्तिक का चिन्ह ही बनाते हैं। यह घर में सुख और समृद्धि के आगमन का प्रतीक माना जाता है।
हालांकि यदि यह गलत तरीके से बन जाए तो इसके विपरीत परिणाम भी देखने को मिल सकते हैं। इसलिए स्वास्तिक बनाने का सही तरीका आपको पता होना चाहिए।
ऐसे बनाएं
स्वास्तिक बनाने के लिए सबसे पहले स्वास्तिक का दायां भाग बनाएं। इसके बाद बायां भाग बनाएं। आपको चारों रेखाओं का उपयोग करते हुए स्वास्तिक बनाना है। इसके लिए सबसे पहले ऊपर से नीचे की तरफ एक रेखा खींचें। उसके बाद उस रेखा के छोर पर दाएं से बाएं तरफ ले जाते हुए एक और रेखा खींचें। इसके बाद नीचे से ऊपर की तरफ ले जाते हुए एक रेखा खींचें। फिर बाएं से दाएं ले जाकर एक अंतिम रेखा खींच दें।
सही दिशा
वास्तु शास्त्र के अनुसार, स्वास्तिक बनाने के लिए ईशान कोण यानी उत्तर-पूर्व को सबसे उत्तम माना गया है। आप अपने घर की उत्तर दिशा में स्वास्तिक बना सकते हैं। इसके अलावा, पूजा स्थान और मुख्य द्वार पर भी स्वास्तिक चिन्ह बनाना चाहिए, जिससे माता लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं, साथ ही घर में देवी और देवताओं का आगमन होता है।
ना बनाएं गलत
स्वास्तिक बनाने के लिए आप चंदन, कुमकुम या फिर सिंदूर का उपयोग कर सकते हैं। इसे कभी भी उल्टा ना बनाएं, वरना आपके जीवन में तमाम तरह की परेशानियां झेलनी पड़ सकती हैं। ज्यादा दिक्कत हो तो आप इंटरनेट पर उपलब्ध तरीकों को देखें, लेकिन गलती से भी गलत दिशा में स्वास्तिक चिन्ह ना बनाएं, इसका प्रभाव आपको भुगतना पड़ सकता है।
महत्व
ज्योतिष शास्त्रों के अनुसार स्वास्तिक को चारों दिशाओं और चारों वेदों का प्रतीक माना जाता है। यह एक मंगल और कल्याणकारी चिन्ह है जिससे खुशियां आती हैं। इसलिए हर कार्य में इस चिन्ह को बनाया जाता है।
(Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है। MP Breaking News किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है। किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें।)





