धन की प्राप्ति के लिए शुक्रवार को करें ये आसान उपाय, मां लक्ष्मी की बनेगी कृपा

Maa Lakshmi Puja: हिंदू धर्म में धन, समृद्धि और ऐश्वर्य की देवी माता लक्ष्मी की पूजा का विशेष महत्व है। शुक्रवार का दिन मां लक्ष्मी को समर्पित माना जाता है। इस दिन मां लक्ष्मी की पूजा करने से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।

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Maa Lakshmi Puja: सप्ताह का प्रत्येक दिन किसी न किसी देवी देवताओं को समर्पित रहता। ठीक इसी तरह शुक्रवार का दिन धन की देवी मां लक्ष्मी को समर्पित होता है। शुक्रवार के दिन विधि विधान से मां लक्ष्मी की पूजा करने का विशेष महत्व है। मां लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए लोग इस दिन तरह-तरह के उपाय भी करते रहते हैं। ऐसा कहा जाता है कि जीवन में आ रही तमाम परेशानियां जैसे सफलता न मिलना, आर्थिक तंगी, कुंडली में शुक्र की स्थिति का कमजोर होना एसी सारी समस्याएं मात्र मां लक्ष्मी की पूजा करने से समाप्त हो जाती है।

शुक्रवार के दिन क्या-क्या उपाय करें

सफलता पाने के लिए क्या करें

अगर लाख कोशिश करने के बाद भी आपको करियर में सफलता नहीं मिल रही है, तो यह उपाय आपके बहुत काम आ सकता है। शुक्रवार के दिन मां लक्ष्मी के साथ भगवान गणेश की पूजा करें। दूसरों को 11 हल्दी की गांठे चढ़ाएं। इसके बाद ॐ श्रीं लक्ष्मी नारायणाय नमः मंत्र का जाप करें। ऐसा करने से जल्द ही करियर में सफलता प्राप्त होगी।

मां लक्ष्मी की कृपा पाने के लिए क्या करें

शुक्रवार का दिन धन की देवी मां लक्ष्मी को समर्पित होता है। इसलिए इस दिन मां लक्ष्मी के नाम का व्रत जरूर रखें । विधि विधान से मां लक्ष्मी की पूजा अर्चना करें फिर आरती करें। गरीबों और जरूरतमंदों की मदद करें।

मां लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए क्या करें

अगर आप मां लक्ष्मी को प्रसन्न करना चाहते हैं और चाहते हैं कि उनका आशीर्वाद सदा आप और आपके परिवार पर बना रहे, तो ऐसे में हर शुक्रवार को प्रातः किसी भी पवित्र नदी में स्नान करें, अगर पवित्र नदी में स्नान करना संभव नहीं हो पा रहा है तो अपने नहाने के पानी में गंगाजल मिलाकर स्नान करें। इसके बाद साफ सुथरे कपड़े पहनकर, मां लक्ष्मी की तस्वीर या मूर्ति के सामने बैठकर कनकधारा स्तोत्र का पाठ करें।

कनकधारा स्तोत्र

अंगहरे पुलकभूषण माश्रयन्ती भृगांगनैव मुकुलाभरणं तमालम।
अंगीकृताखिल विभूतिरपांगलीला मांगल्यदास्तु मम मंगलदेवताया:।।

मुग्ध्या मुहुर्विदधती वदनै मुरारै: प्रेमत्रपाप्रणिहितानि गतागतानि।
माला दृशोर्मधुकर विमहोत्पले या सा मै श्रियं दिशतु सागर सम्भवाया:।।

विश्वामरेन्द्रपदविभ्रमदानदक्षमानन्द हेतु रधिकं मधुविद्विषोपि।
ईषन्निषीदतु मयि क्षणमीक्षणार्द्धमिन्दोवरोदर सहोदरमिन्दिराय:।।

आमीलिताक्षमधिगम्य मुदा मुकुन्दमानन्दकन्दम निमेषमनंगतन्त्रम्।
आकेकर स्थित कनी निकपक्ष्म नेत्रं भूत्यै भवेन्मम भुजंगरायांगनाया:।।

बाह्यन्तरे मधुजित: श्रितकौस्तुभै या हारावलीव हरि‍नीलमयी विभाति।
कामप्रदा भगवतो पि कटाक्षमाला कल्याण भावहतु मे कमलालयाया:।।

कालाम्बुदालिललितोरसि कैटभारेर्धाराधरे स्फुरति या तडिदंगनेव्।
मातु: समस्त जगतां महनीय मूर्तिभद्राणि मे दिशतु भार्गवनन्दनाया:।।

प्राप्तं पदं प्रथमत: किल यत्प्रभावान्मांगल्य भाजि: मधुमायनि मन्मथेन।
मध्यापतेत दिह मन्थर मीक्षणार्द्ध मन्दालसं च मकरालयकन्यकाया:।।

दद्याद दयानुपवनो द्रविणाम्बुधाराम स्मिभकिंचन विहंग शिशौ विषण्ण।
दुष्कर्मधर्ममपनीय चिराय दूरं नारायण प्रणयिनी नयनाम्बुवाह:।।

इष्टा विशिष्टमतयो पि यथा ययार्द्रदृष्टया त्रिविष्टपपदं सुलभं लभंते।
दृष्टि: प्रहूष्टकमलोदर दीप्ति रिष्टां पुष्टि कृषीष्ट मम पुष्कर विष्टराया:।।

गीर्देवतैति गरुड़ध्वज भामिनीति शाकम्भरीति शशिशेखर वल्लभेति।
सृष्टि स्थिति प्रलय केलिषु संस्थितायै तस्यै ‍नमस्त्रि भुवनैक गुरोस्तरूण्यै ।।

श्रुत्यै नमोस्तु शुभकर्मफल प्रसूत्यै रत्यै नमोस्तु रमणीय गुणार्णवायै।
शक्तयै नमोस्तु शतपात्र निकेतानायै पुष्टयै नमोस्तु पुरूषोत्तम वल्लभायै।।

नमोस्तु नालीक निभाननायै नमोस्तु दुग्धौदधि जन्म भूत्यै ।
नमोस्तु सोमामृत सोदरायै नमोस्तु नारायण वल्लभायै।।

सम्पतकराणि सकलेन्द्रिय नन्दानि साम्राज्यदान विभवानि सरोरूहाक्षि।
त्व द्वंदनानि दुरिता हरणाद्यतानि मामेव मातर निशं कलयन्तु नान्यम्।।

यत्कटाक्षसमुपासना विधि: सेवकस्य कलार्थ सम्पद:।
संतनोति वचनांगमानसंसत्वां मुरारिहृदयेश्वरीं भजे।।

सरसिजनिलये सरोज हस्ते धवलमांशुकगन्धमाल्यशोभे।
भगवति हरिवल्लभे मनोज्ञे त्रिभुवनभूतिकरि प्रसीद मह्यम्।।

दग्धिस्तिमि: कनकुंभमुखा व सृष्टिस्वर्वाहिनी विमलचारू जल प्लुतांगीम।
प्रातर्नमामि जगतां जननीमशेष लोकाधिनाथ गृहिणी ममृताब्धिपुत्रीम्।।

कमले कमलाक्षवल्लभे त्वं करुणापूरतरां गतैरपाड़ंगै:।
अवलोकय माम किंचनानां प्रथमं पात्रमकृत्रिमं दयाया : ।।

स्तुवन्ति ये स्तुतिभिर भूमिरन्वहं त्रयीमयीं त्रिभुवनमातरं रमाम्।
गुणाधिका गुरुतरभाग्यभागिनो भवन्ति ते बुधभाविताया:।।

।। इति श्री कनकधारा स्तोत्रं सम्पूर्णम् ।।

(Disclaimer- यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं के आधार पर बताई गई है। MP Breaking News इसकी पुष्टि नहीं करता।)


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भावना चौबे

भावना चौबे

इस रंगीन दुनिया में खबरों का अपना अलग ही रंग होता है। यह रंग इतना चमकदार होता है कि सभी की आंखें खोल देता है। यह कहना बिल्कुल गलत नहीं होगा कि कलम में बहुत ताकत होती है। इसी ताकत को बरकरार रखने के लिए मैं हर रोज पत्रकारिता के नए-नए पहलुओं को समझती और सीखती हूं। मैंने श्री वैष्णव इंस्टिट्यूट ऑफ़ जर्नलिज्म एंड मास कम्युनिकेशन इंदौर से बीए स्नातक किया है। अपनी रुचि को आगे बढ़ाते हुए, मैं अब DAVV यूनिवर्सिटी में इसी विषय में स्नातकोत्तर कर रही हूं। पत्रकारिता का यह सफर अभी शुरू हुआ है, लेकिन मैं इसमें आगे बढ़ने के लिए उत्सुक हूं।मुझे कंटेंट राइटिंग, कॉपी राइटिंग और वॉइस ओवर का अच्छा ज्ञान है। मुझे मनोरंजन, जीवनशैली और धर्म जैसे विषयों पर लिखना अच्छा लगता है। मेरा मानना है कि पत्रकारिता समाज का दर्पण है। यह समाज को सच दिखाने और लोगों को जागरूक करने का एक महत्वपूर्ण माध्यम है। मैं अपनी लेखनी के माध्यम से समाज में सकारात्मक बदलाव लाने का प्रयास करूंगी।

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