मासिक शिवरात्रि पर ये उपाय करें, मिलेगा दुख और रोग से छुटकारा

वर्ष में एक बार आने वाली शिवरात्रि को हम सभी धूमधाम के साथ मनाते हैं और उसका विशेष महत्व माना गया है। लेकिन इसके अलावा हर महीने मासिक शिवरात्रि आती है। चलिए हम आपको बताते हैं कि इस मासिक शिवरात्रि पर आपको क्या उपाय करना चाहिए।

भावना चौबे
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masik shivratri 2024

Masik shivratri 2024: हर माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मासिक शिवरात्रि कब पर्व श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाया जाता है। इस दिन विशेष रूप से भगवान शिव की पूजा करने से मनुष्य को मनचाहा वर प्राप्त होता है और पति-पत्नी के रिश्ते में स्नेह और समझ बढ़ती है।

मासिक शिवरात्रि व्रत से व्यक्ति के दुख कष्ट रोग और दरिद्रता का नाश होता है। इस दिन श्री शिव रक्षा स्तोत्र का पाठ करना बेहद शुभ माना जाता है, क्योंकि इससे भगवान शिव की विशेष कृपा मिलती है और सभी समस्याओं से मुक्ति मिलती है। इस दिन का महत्व और शुभ मुहूर्त जानकार इस व्रत को और भी प्रभावी रूप से किया जा सकता है।

॥ श्री शिव रक्षा स्तोत्रम ॥

॥ विनियोग ॥

श्री गणेशाय नमः॥

अस्य श्रीशिवरक्षास्तोत्रमन्त्रस्य याज्ञवल्क्य ऋषिः॥

श्री सदाशिवो देवता॥ अनुष्टुप् छन्दः॥

श्रीसदाशिवप्रीत्यर्थं शिवरक्षास्तोत्रजपे विनियोगः॥

॥ स्तोत्र पाठ ॥

चरितं देवदेवस्य महादेवस्य पावनम्।

अपारं परमोदारं चतुर्वर्गस्य साधनम्॥1॥

गौरीविनायकोपेतं पञ्चवक्त्रं त्रिनेत्रकम्।

शिवं ध्यात्वा दशभुजं शिवरक्षां पठेन्नरः॥2॥

गंगाधरः शिरः पातु भालं अर्धेन्दुशेखरः।

नयने मदनध्वंसी कर्णो सर्पविभूषण॥3॥

घ्राणं पातु पुरारातिः मुखं पातु जगत्पतिः।

जिह्वां वागीश्वरः पातु कंधरां शितिकंधरः॥4॥

श्रीकण्ठः पातु मे कण्ठं स्कन्धौ विश्वधुरन्धरः।

भुजौ भूभारसंहर्ता करौ पातु पिनाकधृक्॥5॥

हृदयं शंकरः पातु जठरं गिरिजापतिः।

नाभिं मृत्युञ्जयः पातु कटी व्याघ्राजिनाम्बरः॥6॥

सक्थिनी पातु दीनार्तशरणागतवत्सलः।

उरू महेश्वरः पातु जानुनी जगदीश्वरः॥7॥

जङ्घे पातु जगत्कर्ता गुल्फौ पातु गणाधिपः।

चरणौ करुणासिंधुः सर्वाङ्गानि सदाशिवः॥8॥

एतां शिवबलोपेतां रक्षां यः सुकृती पठेत्।

स भुक्त्वा सकलान्कामान् शिवसायुज्यमाप्नुयात्॥9॥

ग्रहभूतपिशाचाद्यास्त्रैलोक्ये विचरन्ति ये।

दूरादाशु पलायन्ते शिवनामाभिरक्षणात्॥10॥

अभयङ्करनामेदं कवचं पार्वतीपतेः।

भक्त्या बिभर्ति यः कण्ठे तस्य वश्यं जगत्त्रयम्॥11॥

इमां नारायणः स्वप्ने शिवरक्षां यथाऽऽदिशत्।

प्रातरुत्थाय योगीन्द्रो याज्ञवल्क्यः तथाऽलिखत॥12॥

॥ इति श्रीयाज्ञवल्क्यप्रोक्तं शिवरक्षास्तोत्रं सम्पूर्णम् ॥

महामृत्युंजय मंत्र

ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्

उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्॥

श‍िव नामावली मंत्र

।। श्री शिवाय नम:।।
।। श्री शंकराय नम:।।
।। श्री महेश्वराय नम:।।
।। श्री सांबसदाशिवाय नम:।।
।। श्री रुद्राय नम:।।
।। ओम पार्वतीपतये नम:।।
।। ओम नमो नीलकण्ठाय नम:।।


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भावना चौबे

भावना चौबे

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