धनवान बनने के लिए शुक्रवार को जरूर करें ये 1 काम, कुबेर देव की मिलेगी अनंत कृपा

Friday: धन और समृद्धि की प्राप्ति के लिए शुक्रवार का दिन विशेष माना जाता है। यदि आप इस दिन भगवान कुबेर की पूजा करके विशेष उपाय करते हैं, तो उनकी कृपा से घर में धन की कभी कमी नहीं होती।

भावना चौबे
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Friday

Friday: आज शुक्रवार है और शुक्रवार का दिन धन की देवी मां लक्ष्मी और धन के देवता कुबेर देव को समर्पित होता है। इस दिन सच्चे मन से माता लक्ष्मी और कुबेर देव की पूजा अर्चना करने और ध्यान करने से धन संबंधी समस्याएं दूर होती हैं, और धन आगमन के द्वार खुलते हैं।

सनातन धर्म में कुबेर देव को धन का देवता माना जाता है। सच्चे मन से उनकी पूजा करने से जीवन भर सुख समृद्धि बनी रहती है। शुक्रवार का दिन कुबेर देव को समर्पित होता है इस दिन विशेष रूप से उनकी पूजा करने से धन प्राप्ति के मार्ग खुलते हैं। पूजा के दौरान कुबेर चालीसा का पाठ करने से आर्थिक समस्याएं दूर होती है और सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। अगर आप भगवान कुबेर देव की पूजा करना चाहते हैं तो घी का दीपक जलाना, इत्र, कमल का फूल चढ़ाना, मखाने की खीर का भोग लगाना आदि कुबेर पूजा के प्रमुख अंग है, इन बातों का ध्यान रखें।

।।कुबेर चालीसा का पाठ।।

”दोहा”

जैसे अटल हिमालय और

जैसे अडिग सुमेर।

ऐसे ही स्वर्ग द्वार पै,

अविचल खड़े कुबेर॥

विघ्न हरण मंगल करण,

सुनो शरणागत की टेर।

भक्त हेतु वितरण करो,

धन माया के ढ़ेर॥

”चौपाई”

जै जै जै श्री कुबेर भण्डारी ।

धन माया के तुम अधिकारी॥

तप तेज पुंज निर्भय भय हारी ।

पवन वेग सम सम तनु बलधारी॥

स्वर्ग द्वार की करें पहरे दारी ।

सेवक इंद्र देव के आज्ञाकारी॥

यक्ष यक्षणी की है सेना भारी ।

सेनापति बने युद्ध में धनुधारी॥

महा योद्धा बन शस्त्र धारैं।

युद्ध करैं शत्रु को मारैं॥

सदा विजयी कभी ना हारैं ।

भगत जनों के संकट टारैं॥

प्रपितामह हैं स्वयं विधाता ।

पुलिस्ता वंश के जन्म विख्याता॥

विश्रवा पिता इडविडा जी माता ।

विभीषण भगत आपके भ्राता॥

शिव चरणों में जब ध्यान लगाया ।

घोर तपस्या करी तन को सुखाया॥

शिव वरदान मिले देवत्य पाया ।

अमृत पान करी अमर हुई काया॥

धर्म ध्वजा सदा लिए हाथ में ।

देवी देवता सब फिरैं साथ में ।

पीताम्बर वस्त्र पहने गात में ॥

बल शक्ति पूरी यक्ष जात में॥

स्वर्ण सिंहासन आप विराजैं ।

त्रिशूल गदा हाथ में साजैं॥

शंख मृदंग नगारे बाजैं ।

गंधर्व राग मधुर स्वर गाजैं॥

चौंसठ योगनी मंगल गावैं ।

ऋद्धि सिद्धि नित भोग लगावैं॥

दास दासनी सिर छत्र फिरावैं ।

यक्ष यक्षणी मिल चंवर ढूलावैं॥

ऋषियों में जैसे परशुराम बली हैं ।

देवन्ह में जैसे हनुमान बली हैं॥

पुरुषोंमें जैसे भीम बली हैं ।

यक्षों में ऐसे ही कुबेर बली हैं॥

भगतों में जैसे प्रहलाद बड़े हैं ।

पक्षियों में जैसे गरुड़ बड़े हैं॥

नागों में जैसे शेष बड़े हैं ।

वैसे ही भगत कुबेर बड़े हैं॥

कांधे धनुष हाथ में भाला ।

गले फूलों की पहनी माला॥

स्वर्ण मुकुट अरु देह विशाला।

दूर दूर तक होए उजाला॥

कुबेर देव को जो मन में धारे ।

सदा विजय हो कभी न हारे ।।

बिगड़े काम बन जाएं सारे ।

अन्न धन के रहें भरे भण्डारे॥

कुबेर गरीब को आप उभारैं ।

कुबेर कर्ज को शीघ्र उतारैं॥

कुबेर भगत के संकट टारैं ।

कुबेर शत्रु को क्षण में मारैं॥

शीघ्र धनी जो होना चाहे ।

क्युं नहीं यक्ष कुबेर मनाएं॥

यह पाठ जो पढ़े पढ़ाएं ।

दिन दुगना व्यापार बढ़ाएं॥

भूत प्रेत को कुबेर भगावैं ।

अड़े काम को कुबेर बनावैं॥

रोग शोक को कुबेर नशावैं ।

कलंक कोढ़ को कुबेर हटावैं॥

कुबेर चढ़े को और चढ़ादे ।

कुबेर गिरे को पुन: उठा दे॥

कुबेर भाग्य को तुरंत जगा दे ।

कुबेर भूले को राह बता दे॥

प्यासे की प्यास कुबेर बुझा दे ।

भूखे की भूख कुबेर मिटा दे॥

रोगी का रोग कुबेर घटा दे ।

दुखिया का दुख कुबेर छुटा दे॥

बांझ की गोद कुबेर भरा दे ।

कारोबार को कुबेर बढ़ा दे॥

कारागार से कुबेर छुड़ा दे ।

चोर ठगों से कुबेर बचा दे॥

कोर्ट केस में कुबेर जितावै ।

जो कुबेर को मन में ध्यावै॥

चुनाव में जीत कुबेर करावैं ।

मंत्री पद पर कुबेर बिठावैं॥

पाठ करे जो नित मन लाई ।

उसकी कला हो सदा सवाई॥

जिसपे प्रसन्न कुबेर की माई ।

उसका जीवन चले सुखदाई॥

जो कुबेर का पाठ करावै ।

उसका बेड़ा पार लगावै ॥

उजड़े घर को पुन: बसावै।

शत्रु को भी मित्र बनावै॥

सहस्त्र पुस्तक जो दान कराई।

सब सुख भोद पदार्थ पाई ।

प्राण त्याग कर स्वर्ग में जाई ।

मानस परिवार कुबेर कीर्ति गाई॥

”दोहा”

शिव भक्तों में अग्रणी, श्री यक्षराज कुबेर ।

हृदय में ज्ञान प्रकाश भर, कर दो दूर अंधेर ॥

कर दो दूर अंधेर अब, जरा करो ना देर ।

शरण पड़ा हूं आपकी, दया की दृष्टि फेर ।

(Disclaimer- यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं के आधार पर बताई गई है। MP Breaking News इसकी पुष्टि नहीं करता।)


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भावना चौबे

भावना चौबे

इस रंगीन दुनिया में खबरों का अपना अलग ही रंग होता है। यह रंग इतना चमकदार होता है कि सभी की आंखें खोल देता है। यह कहना बिल्कुल गलत नहीं होगा कि कलम में बहुत ताकत होती है। इसी ताकत को बरकरार रखने के लिए मैं हर रोज पत्रकारिता के नए-नए पहलुओं को समझती और सीखती हूं। मैंने श्री वैष्णव इंस्टिट्यूट ऑफ़ जर्नलिज्म एंड मास कम्युनिकेशन इंदौर से बीए स्नातक किया है। अपनी रुचि को आगे बढ़ाते हुए, मैं अब DAVV यूनिवर्सिटी में इसी विषय में स्नातकोत्तर कर रही हूं। पत्रकारिता का यह सफर अभी शुरू हुआ है, लेकिन मैं इसमें आगे बढ़ने के लिए उत्सुक हूं।मुझे कंटेंट राइटिंग, कॉपी राइटिंग और वॉइस ओवर का अच्छा ज्ञान है। मुझे मनोरंजन, जीवनशैली और धर्म जैसे विषयों पर लिखना अच्छा लगता है। मेरा मानना है कि पत्रकारिता समाज का दर्पण है। यह समाज को सच दिखाने और लोगों को जागरूक करने का एक महत्वपूर्ण माध्यम है। मैं अपनी लेखनी के माध्यम से समाज में सकारात्मक बदलाव लाने का प्रयास करूंगी।

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