सनातन धर्म में सावन महीना बहुत ही शुभ माना जाता है। इस दौरान सभी शिव के मंदिरों में अलग ही उमग और उत्साह देखने को मिलता है। इसी महीने की शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को नाग पंचमी का पर्व मनाया जाता है। इस साल यह 29 जुलाई को मनाई जाएगी। मान्यताओं के अनुसार, इस दिन नाग देव के साथ-साथ भगवान शिव की पूजा करने से जीवन में चल रही सारी समस्याएं खत्म हो जाती हैं। इस खास अवसर पर नाग देव की खास तरीके से अराधना की जाती है। कहीं-कहीं तो इस दिन मां मनसा की भी पूजा का विधान है।
ज्योतिष शास्त्रों की मानें तो किसी की कुंडली में यदि सर्प दोष हो, तो इस दिन व्रत रखने से इस समस्या से छुटकारा मिल सकता है। सभी मंदिरों में भक्तों की भीड़ भी उमड़ती है।
नागचंद्रेश्वर मंदिर
हालांकि, आज हम आपको उस मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं, जो साल में केवल एक बार ही खोला जाता है। इस मंदिर का नाम नागचंद्रेश्वर मंदिर है। यह उज्जैन के महाकालेश्वर मंदिर परिसर में स्थित है। स्थानीय लोगों की ऐसी मान्यता है कि यदि कोई यहां कुछ मांगता है, तो उसकी मनोकामना अवश्य पूर्ण होती है। नाग पंचमी के दिन इस मंदिर भक्तों की बहुत ही ज्यादा भीड़ उमड़ती है। सुरक्षा की दृष्टि से यहां भारी संख्या में पुलिस बल की तैनाती की जाती है, ताकि किसी भी तरह की अनहोनी ना हो।
होती है विशेष आरती
इस मंदिर के पट 29 जुलाई को ही श्रद्धालुओं के लिए खोल दिए जाएंगे। बता दें कि इस खास मौके पर पुजारियों द्वारा मंदिर में विशेष पूजा की जाती है। साथ ही आरती भी होती है, जिसमें स्थानीय क्षेत्रों के अलावा दूसरे राज्यों के भी भक्तगण शामिल होते हैं। इस मौके पर लोगों के बीच प्रसादी का भी वितरण किया जाता है। इसके बाद वापस मंदिर के कपाट बंद कर दिए जाते हैं। वहीं, फिर एक साल बाद इसके द्वार खोले जाएंगे। दरअसल, यह परंपरा सदियों से चली आ रही है। जिस कारण लोगों में भी आस्था बढ़ जाती है।
खासियत
मंदिर के खासियत की बात की जाए, तो यह महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर के शिखर पर स्थित है। यहां 11वीं सदी से नाग देवता की प्रतिमा स्थापित है। यह दुनिया का इकलौता ऐसा मंदिर है, जहां भगवान शिव सर्प शय्या पर विराजमान हैं। ऐसे में मंदिर का महत्व और अधिक बढ़ जाता है। मीडिया सूत्रों की मानें तो यहां पर स्थापित प्रतिमा नेपाल से भारत लाई गई थी। जिसमें नाग देवता अपने फन को फैलाए हुए हैं। इसलिए इस खास मौके पर भगवान नागचंद्रेश्वर की त्रिकाल पूजा की जाती है।
पौराणिक कथा
मंदिर के कपाट साल में एक बार खोले जाने के पीछे भी एक पौराणिक कथा जुड़ी हुई है। जिसके अनुसार, सांपों के राजा तक्षक ने भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए कठोर तपस्या की थी। इससे खुश होकर भोलेनाथ ने उन्हें अमरत्व का वरदान दे दिया। इसके बाद राजा तक्षक महाकाल वन में ही वास करने लगे। वहां उन्होंने अकेले रहने की इच्छा जताई। तब से यहां पर साल में केवल एक बार ही पट खोला जाता है।
करें एक्सप्लोर
यदि आप भी इस बार अपने परिवार की सुख-शांति और समृद्धि के लिए मनोकामनाएं मांगना चाहते हैं, तो आपको इस मंदिर को जरूर एक्सप्लोर करना चाहिए। यहां आपको आध्यत्मिक शांति मिलेगी। साथ ही भगवान की कृपा आपपर बरसेगी, जिससे आपके जीवन में चल रही तमाम कठिनाईयां खत्म हो जाएंगी।
(Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है। MP Breaking News किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है।)





